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सोमवार, 28 जनवरी 2013

फेसबुक - कुछ हंसी,कुछ अभिव्यक्ति (कहीं खो न जाये)




लिखा बहुत लिखा ---- 
देखा,सुना,महसूस किया 
सोच से ही परे है यह ज़िन्दगी 
तो यूँ ही - कुछ इधर की,कुछ उधर की 
- ढूंढना है,कई तथ्य मिलेंगे ....

                रश्मि प्रभा  



Rashmi Prabha
· 
बहुत मुश्किल है टिप्पणी देना ...

लगता है विद्यार्थी हो गए हैं 
रोज लिखो,पढो ... और संक्षेप में विचार दो 
....
सुन्दर - 10 में 1 (परीक्षक ने देखा ही नहीं)
बढ़िया - 10 में 4 (सरसरी निगाह पड़ी है)
व्याख्यित विचार - 10 में 9 (पढ़ा है और विचार दिए हैं)
गहन - डिस्टिंक्शन (समझ से परे)

गौरतलब बात है 
कि - बचपन से लेकर युवा तक डांट पड़ी 
'पढो पढ़ो ......
और पन्त की प्रथम रश्मि भी डराती थी 
जब आता था प्रश्न - इस कविता का आशय अपने शब्दों में लिखें"
.......... क्या लिखें !!!
कभी देखा है अपनी कविता का आशय ?
बहुत कम इतने महीन लोग हैं 
जो वही आशय समझे 
जो हमने सोचकर लिखा है !
...
और इससे परे एक और बात है 
कि ..... लिखने पढने से अलग 
ऑफिस है,किचेन है 
दुनियादारी है,बीमारी है 
और ब्लॉग एक ऑनलाइन लाइब्रेरी है 
.... सबको पढ़ना - उस पर लिखना !!!
......
दाल में जीरा,प्याज,हींग की बजाय 
शब्दों की छौंक लग जाती है 
और घर में सब हिंदी साहित्य की रूचि नहीं रखते 
तो शब्दों से छौंकी चटक दाल 
उन्हें फीकी लगती है 
और उनकी शिकायत होती है -
- हम कविता,कहानी नहीं 
ज़िन्दगी हैं ............ हमें भी कुछ सुनना है 
.........

अब .... किस किस को सुनिए .....
है न मुश्किल ?


Ranju Bhatia
तेज तपती धूप भी
अक्सर राहत दे जाती है
उस दिल को
जो जानता है
कोई साया साथ तो है
कम से कम
ज़िन्दगी के इस तन्हा सफ़र में !!# रंजू ..कुछ यूँ ही अभी अभी :)

Sonal Rastogi
अंगड़ाई की कुण्डी खोल
चिड़ियों सा चहचहाते हुए 
देखा है क्या कभी तुमने 
सुबह को गुनगुनाते हुए ...

अवन्ती सिंह आशा
हर कुछ महीनों बाद में अपनी मित्र मण्डली से उन लोगों को हटा देती हूँ जिन्हें देख कर लगता है के ये सिर्फ मित्र सूचि में है पर मित्र नहीं है ,जिनसे हमारे विचार या भावनाएं मेल नहीं खाती मुझे नहीं लगता वे मित्र होते है ,कुछ तो ऐसा होना ही चाहिए जिस से मित्रता शब्द को मायने मिले ,जब ऐसा नहीं है तो मित्र सूचि में रहने न रहने से क्या फर्क पड़ता है ,मित्र संख्या बढ़ाने में मेरा विशवास नहीं है ,कुछ लोगों को मित्र सूचि से निकाला है पिछले हफ्ते .उन में से एक को काफी बुरा लगा शायद, उन के msg. ऐसे ही लगा , फेसबुक पर ब्लॉग पर किसी का खूब नाम हो ये अच्छी बात है पर यदि मुझे वो अपने मित्र न लगें और मित्र सूचि से उन्हें हटा दिया जाए तो इसमें किसी का अपमान किया ऐसा नहीं माना जा सकता ,मुझे भी कोई हटा सकता है ,मुझे कोई तकलीफ नहीं इस से ,फेसबुक पर ये बहुत ही आम बात है और इसे सहज भाव से स्वीकारना चाहिए।

Rashmi Sharma
दरअसल उसने कहा था
दि‍न शुभ हो...शामें अच्‍छी
कोरी रही रात ने की मुझसे
बेइंतहा शि‍कायतें
मेरी हथेली में कैद है उसका चुंबन
और 
दि‍न-रात से परदेदारी है मेरी......

Ashok Saluja - 28/01/13
आज हमारी शादी की ४४ वीं वर्षगाँठ है .....
और ये जाना... और समझा है कि..
Everything is okay in the end. 
If it's not okay,
then it's not the end.
---unknown

Rajiv Chaturvedi
‎"जीवन का उद्देश्य है "विकिरण" और इसी विकिरण की प्रक्रिया यानी लघु से वृहद् का विस्तार ही ब्रम्ह है ..."ब्रम्ह" का शाब्दिक और सांस्कृतिक अर्थ यही है ...अलग अलग भू खण्डों में लोगों ने इसे अलग अलग संबोधन तो दे दिए पर जीवन के प्रष्फुटित होने से वृहद् में विलीन होने की प्रक्रिया और उसकी समझ सामान ही है हाँ उसको संबोधित करने के शब्द साम्प्रदायिक हैं हिन्दू ,मुसलमान, ईसाई सभी के धार्मिक नेता इसी षड्यंत्र में शामिल हैं और इश्वर की अवधारणा षड्यंत्र की पहली शिकार है ."

11 टिप्‍पणियां:

  1. पोस्ट दर पोस्ट फेसबूक का रंग और चटक होता जा रहा है ... जय हो रश्मि दीदी !

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  2. बहुत मुश्किल है इस पर टिप्पणी देना ....
    शुभकामनायें !!

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  3. जिनसे विचार मिलते हैं , उनसे मित्रता तो कोई भी निभा लेता है , असमान विचारों को झेलना साहस का काम है :)

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  4. इंतज़ार रहता है ...जब कुछ अलगसे पढ़ने का मन करता है ...हमेशा की तरह ...सबसे अलग ...:)

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