प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
आज २६ जनवरी है यानी गणतंत्र दिवस : आज ही के दिन १९५० में भारत का संविधान लागू किया गया था ! साल दर साल हम लोग मिल कर यह राष्ट्रीय पर्व मानते आए है पर इस बार कुछ लोगो से सुना कि इसका बहिष्कार किया जाये ... पर क्यों ... किस कारण से ... ऐसा क्या हो गया इस बार कि उस की सज़ा गणतंत्र दिवस को दी जाये ... कुछ लोग तर्क देंगे कि वो इस सरकार से नाराज़ है ... देश मे बिगड़ती कानून व्यवस्था के प्रति उनमे रोष है ... सीमा पर हुये घटनाकर्म से वो दुखी है ... सब तर्क जायज है आप के पर एक हद तक !
सच बताइएगा दिल्ली रेप कांड के बाद आप मे से कितनों ने नया साल नहीं मनाया ... किसी को मुबारकबाद नहीं दी न किसी से ली ... आप के खुद के घर मे किसी का जन्मदिन आया हो आपने न मनाया हो ! होता क्या है कि हम लोग यह सब तो मना लेते है पर देश से जुड़े हुये किस मामले पर अपनी पकड़ अक्सर ढीली हो जाती है ... सारा गुस्सा राष्ट्रीय पर्व न मना कर या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान कर ठंडा कर लिया जाता है ! क्यों नहीं हम लोग जो कुछ गलत है उसको बदलने का प्रयास करें ... यह तो हम शायद ही कभी करते है ... केवल आलोचना से कुछ हासिल नहीं होता ! विरोध का अधिकार भी उसका ही होता है जो मुद्दे के पक्ष मे हो या विपक्ष मे हो ... जो बाहर बैठे बहस का मज़ा ले रहे है ... वो किस बात पर विरोध करते है ???
आप सरकार से रुष्ट हो सकते है पूरा अधिकार है आपको ... पर राष्ट्रीय पर्व से रुष्ट होना और उसका असम्मान करना ... केवल मूर्खता है ! विरोध सरकार का कीजिये ... कौन रोकता है ... सीधा राष्ट्र और राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान पर उतर आना कहाँ की समझदारी है ... ऊपर से तुर्रा यह कि इन सब के बाद भी खुद को देश भक्त कहलवाना है !
माफ कीजिएगा ... पर यह बात कुछ हज़म नहीं हुई !!
ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को गणतंत्र की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
सादर आपका
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गण गौण, तंत्र हावी!
Atul Shrivastava at सत्यमेव जयते ! ... (?)
दुनिया के सबसे बड़े गणतंत्र को बने 63 साल हो गए। इन तिरसठ सालों में काफी कुछ बदला है। एक बड़ा बदलाव यह हुआ है कि 'गण' गौण होता जा रहा है और 'तंत्र' हावी हो गया है। गणतंत्र के असली मायने गुम हो गए हैं और 'गणतंत्र' को 'गण' का 'तंत्र' बनाने वाला 'तंत्र' इतना हावी हो गया है कि 'गण' को इसमें घुटन होने लगी है। आजादी के दीवानों ने जिन उम्मीदों के साथ लड़ाई शुरू की थी और उसे अंजाम तक पहुंचाया था, अब के दौर में सब कुछ भुला दिया गया है। सत्ता का स्वाद बाद के नेताओं को ऐसा भाया कि बाकी सब कुछ गौण होता गया और अब आजादी के 65 साल बाद और गणतंत्र के 63 साल बाद यदि मुड़कर देखा जाए तो काफी कुछ बदल... more »
गणतंत्र दिवस
सहसा याद आ गए बचपन के वे दिन - जब मनाते गणतंत्र और स्वंत्रता दिवस सीने में जोश और आँखों में नमी भरे जब झंडा स्कूल का फहराते थे - जन गण मन - हर शब्द दिलों की थाह से उभरते आते थे - कितना अभिमान देश और झन्डे पर अपने था गौरव से सर अपने ऊँचे उठ जाते थे आँख टिकाये टीवी पर - रहता इंतज़ार -ध्वजा रोहण का फहराता तिरंगा जब - वे क्षण वहीँ रुक जाते थे ..... आज फिर आया है गणतंत्र दिवस लेकिन आज वह जोश वह जज़्बा नहीं न है चाह की देखूं परेड जनपथ की - न इच्छा फहराऊं झंडा अभी - वह ध्वज जिसमें लिपटे शहीद आये थे सर जिनके किये थे ... धड़ से जुदा ... याद आया है फिर उन शहीदों का जोश - मरने मिटने वतन पे वे... more »
भारतवर्ष
रश्मि प्रभा... at मेरी नज़र सेवो किस राह का भटका पथिक है ? मेगस्थिनिस बन बैठा है चन्द्रगुप्त के दरबार में लिखता चुटकुले दैनिक अखबार में | सिन्कदर नहीं रहा नहीं रहा विश्वविजयी बनने का ख़्वाब चाणक्य का पैर घांस में फंसता है हंसता है महमूद गज़नी घांस उखाड़कर घर उजाड़कर घोड़ों को पछाड़कर समुद्रगुप्त अश्वमेध में हिनहिनाता है विक्रमादित्य फ़ा हाइन संग बेताल पकड़ने जाता है | वैदिक मंत्रो से गूँज उठा है आकाश नींद नहीं आती है शूद्र को नहीं जानता वो अग्नि को इंद्र को उसे बारिश चाहिए पेट की आग बुझाने को | सच है- कुछ भी तो नहीं बदला पांच हज़ार वर्षों में ! वर्षा नहीं हुई इस साल बिम्बिसार अस्सी हज़ार ग्रामिकों संग सभा में बैठा ... more
'सिने पहेली' में आज गणतंत्र दिवस विशेष
noreply@blogger.com (PLAYBACK) at रेडियो प्लेबैक इंडिया26 जनवरी, 2013 सिने-पहेली - 56 में आज सुलझाइये देशभक्ति गीतों की पहेलियाँ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, जनवरी महीने का आख़िरी सप्ताह हम सभी भारतीयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण बन जाता है। 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जनमदिवस, 26 जनवरी को प्रजातंत्र दिवस, और 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का स्मृति दिवस
क्या मै स्वतंत्र हूँ ?
poonam at anubuthiदायरे - दायरे और दायरों मे दायरे , छोटे - बड़े , लंबे - चौड़े, गोल- चोकौर, कहीं दिखते कहीं छिपते , कहीं वास्तविक कहीं काल्पनिक , कभी उभरते कभी झीने - झीने , देखो तो हर कोई सिमटा है , अपने - अपने दायरों के दरमियान , कौन है स्वतंत्र यहाँ ? धार्मिक - सामाजिक - पारिवारिक , हर स्तर पर बंधा है हर कोई , स्वतन्त्रता एक जज्बा है , जो हर दिल मे सुलगता है , यह वो अनबुझी प्यास है , जिससे हर कोई झुलसता है , क्या मै स्वतंत्र हूँ ? यह तो यक्ष प्रश्न है ?????
हमारे राष्ट्रीय चिन्ह
Chaitanyaa Sharma at चैतन्य का कोना
*राष्ट्रीय ध्वज - तिरंगा * *राष्ट्रीय पक्षी - मोर * * **राष्ट्रीय पुष्प - कमल * *राष्ट्रीय पेड़ - बरगद * * **राष्ट्रीय फल - आम * *राष्ट्रीय गान - राष्ट्र गान* * ** **राष्ट्रीय नदी *- गंगा नदी *राष्ट्रीय प्रतीक - अशोक चिन्ह * * **राष्ट्रीय **आदर्श ** वाक्य* - सत्यमेव जयते ... more »
हैपी रिपब्लिक डे
माधव( Madhav) at माधव
नरक का राजपथ
गिरिजेश राव, Girijesh Rao at एक आलसी का चिठ्ठा
कुछ है जो नहीं बदलता, नया क्या लिखना जब इतने वर्षों के बाद भी लिखना उन्हीं शब्दों को दुहराये? कुछ है जो ग़लत है, बहुत ग़लत है, चिंतनीय है, अमर है, शाश्वत है। हम अभिशप्त हैं उसे पीढ़ी दर पीढ़ी रोने को अमर अश्वत्थामा बन सनातन घाव ढोने को किंतु हमें नहीं पता हमारा पाप क्या नहीं पता वह अभिशाप क्या? नहीं पता किन ईश्वरों ने गढ़े नर्क? मस्तिष्कों में भरे मवाद जैसे तर्क। .............. खेतों के सारे चकरोड टोली की पगडण्डियाँ कमरे की धूप डण्डी रिक्शे और मनचलों के पैरों तले रौंदा जाता खड़ंजा ... ये सब राजपथ से जुड़ते हैं। राजपथ जहाँ राजपाठ वाले महलों में बसते हैं। ये रास्ते ... more »
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
सूर्यकान्त गुप्ता at उमड़त घुमड़त विचार
*गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं* ** बगैर क़ानून कायदे के क्या जीना है सहज मगर अमल में लाता कौन? संविधान - संरचना पूरी होने की तारीख 26 जनवरी घोषित राष्ट्रीय त्यौहार "गणतंत्र दिवस" मनता, मनाता पूरा देश निभाता औपचारिकता महज! (2) संविधान का विधान होत राष्ट्र-हित हेत जान भाव जनता में इस बात का जगाइये वहशी दरिंदों की शिकार हो न "दामिनी" मुक़र्रर सजा-ए -मौत शिकारी को कराइये नक्सली की भेंट अब चढ़ें न निरपराध मन्त्र यंत्र तंत्र का ऐसा जाल जो बिछाइये खाके कसम दूर करने की देश- दुर्दशा दिवस गणतंत्र का परब सब मनाइये *गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित * *जय हि... more »
राष्ट्रगीत के सम्मान में
गिरिजा कुलश्रेष्ठ at Yeh Mera Jahaan
'गॅाड सेव द क्वीन ' के विकल्प-स्वरूप सन् 1876 में श्री बंकिम चन्द्र चटर्जी ने 'वन्दे-मातरम्' की रचना की थी । तब यह गीत हर देशभक्त का क्रान्ति गीत बन गया था । 24 जनवरी 1950 को 'जन-गण-मन' को राष्ट्रगान तथा इसे राष्ट्रगीत घोषित किया गया लेकिन नेताजी सुभाष चन्द्र ने इसे राष्ट्रगीत का दर्जा बहुत पहले ही दे दिया था । विश्व के दस लोकप्रिय गीतों में वन्देमातरम् का दूसरा स्थान है । लेकिन हमारे मन प्राण में बसा यह गीत सर्वोच्च और सच्चे अर्थ में मातृ-भूमि की वन्दना का गीत है । हमारे स्वातन्त्र्य-आन्दोलन का गान ,वीरों के उत्सर्ग का मान ,और हर भारतवासी का अभिमान है । कई वर्ष पहले मैंने भी अ... more »
बंद आंखो के सपने
Shekhar Kumawat at काव्य वाणीबंद आंखो के सपने कहा साकार होते | बातो से रास्ते कहा आसान होते || वतन की मांग है जागो-उढो-चलो | क्योकी तबदिली बुलन्द होसलो से होते || © Shekhar Kumawat
क्या यही है गणतंत्र भारत का ?
ZEAL at ZEAL
आजादी मिले 65 वर्ष बीत गए और संविधान बने 63 वर्ष। लेकिन क्या भारतवर्ष में तरक्की हुयी है? हम जहाँ थे वहीँ हैं या फिर और पीछे चले गए हैं ? इतने वर्षों में क्या तरक्की की है हमने ? अशिक्षित बच्चों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है , ये नहीं जानते की 'गणतंत्र दिवस' और स्वतंत्रता दिवस क्या है। उनके लिए तो इस दिन लड्डू मिल जाते हैं बस यही है इसकी अहमियत। आधी आबादी जो भारत की सड़कों पर पैदा होती है और फुटपाथ किनारे दम तोड़ देती है क्या ये गणतंत्र दिवस उनके लिए भी है ? ये झंडा रोहण बड़े-बड़े आफिस , दफ्तरों और संस्थानों तक सीमित है। क्या लाभ इस दिवस का ,जब तक हर नागरिक खुशहाल न हो , more »
चाँद मेरा साथी है.. और अधूरी बात
लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` at लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`
चाँदनी / - लावण्या *शाह*चाँद मेरा साथी है.. और अधूरी बात सुन रहा है, चुपके चुपके, मेरी सारी बात! चाँद मेरा साथी है.. चाँद चमकता क्यूँ रहता है ? क्यूँ घटता बढता रहता है ? क्योँ उफान आता सागर मेँ ? क्यूँ जल पीछे हटता है ? चाँद मेरा साथी है.. और अधूरी बात सुन रहा है, चुपके चुपके, मेरी सारी बात! क्योँ गोरी को दिया मान? क्यूँ सुँदरता हरती प्राण? क्योँ मन डरता है, अनजान? क्योँ परवशता या अभिमान? चाँद मेरा साथी है.. और अधूरी बात सुन रहा है, चुपके चुपके, मेरी सारी बात! क्यूँ मन मेरा है नादान ? क्यूँ झूठोँ का बढता मान? क्योँ फिरते जगमेँ बन ठन? क्योँ हाथ पसारे देते प्राण? चाँद मेरा साथी है... और ... more »
तब लहराएँ तिरंगा
ऋता शेखर मधु at मधुर गुंजन*तिरंगा अरु देश वही, वही हिन्द की शान* *हम भारतवासी सदा, करते गुंजित गान* *करते गुंजित गान, आँख में भरता पानी* *याद आते शहीद, याद आती कुर्बानी* *देख देश का हाल, सिमटती जाती गंगा* *करके नव निर्माण, तब लहराएँ तिरंगा* * * *गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!*
एक गौरैया, फ़ुदकती थी यहां, अब कहां है
ताऊ रामपुरिया at ताऊ डाट इन* * * * *1* *एक गौरैया* *फ़ुदकती थी यहां* *कहां है **अब * * * *2* *सीता व राम* *परिणय के बाद* *झूजते रहे* *3* *शिव शंकर* *महा औघड दानी* *स्वयं बेघर* *4* *राधा व कृष्ण* *बिना किसी बंधन* *एक हो गये* * * * * *5* *कदंब भोज* *गोपियों संग रास* *महाभारत*
प्रतीक्षा ...
*मिलोगे तुम मुझे अब ?* *जाने कितने अरसे बाद....* *लगता है सदियाँ बीत गयीं,* *बात कल की नही है,* *मानों किसी * *पिछले जन्म का किस्सा था.* *जाने कैसे पहचानूंगी तुम्हें* *तुम भी कैसे जानोगे* *कि ये मैं ही हूँ ??* *जिन्हें तुम झील सी * *शरबती आँखें कहते थे,* *अब पथरा सी गयीं है,* *गुलाब की पंखुरी सामान अधर* * * *सूख के पपड़ा गए हैं * *इनमें बस * *भूले भटके ही * *आती है कोई* *पोपली सी,**खोखली सी हंसी !!* *रेशमी जुल्फों के साये खोजने निकलोगे,* *तो चंद चांदी के तारों में* *उलझ कर ज़ख़्मी हो जाओगे...* *स्निग्ध गालों की लालिमा* *महीन झुर्रियों में लुप्त हो गयी है* *मगर ये सब तो होना ही more »
बढ़िया लिक्स.. गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई..
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने, लोग अपनी और देश की खुशी को अलग अलग समझते हैं|
जवाब देंहटाएंमुझे ब्लॉग बुलेटिन का यह नया अवतार पहले से ज्यादा बेहतर लगता है
बात सही है...बहिष्कार बुराइयों का करना है...न कि देश के सम्मान का
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स...आभार !!
बात तो सही है शिवम बाबू... और ये संविधान हमने ही तो दिया है खुद को... अपना वहिष्कार करने से बेहतर है कि खुदी को करें बुलंद इतना कि खुद का वहिष्कार करने की नौबत न आये!!
जवाब देंहटाएंमेरे कार्टूप को भी जगह देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन...
जवाब देंहटाएंहमारी रचना को स्थान देने का शुक्रिया शिवम् जी.
सभी पाठकों और रचनाकारों को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं.
सादर
अनु
सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें...... शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शैली
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं.
बड़ी सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन के खबरे ...
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!!!