प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
प्रणाम !
ऊपर दी गई इस तस्वीर को देख कर कुछ याद आया आपको ?
आज
१६ दिसम्बर है ... आज ही के दिन सन १९७१ में हमारी सेना ने पाकिस्तानी
सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था ... और बंगलादेश की आज़ादी का
रास्ता साफ़ और पुख्ता किया था ! तब से हर साल १६ दिसम्बर विजय दिवस के रूप
में मनाया जाता है !
आइये कुछ और तस्वीरो से उस महान दिन की यादें ताज़ा करें !
आप सब को विजय दिवस की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
==================
साहब की कोठी
साहब की कोठी आज सुबह की सैर से वापस आते समय पहले तो धीरे-धीरे फिर ज़ोर से वर्षा होने लगी। तेज हो चुकी बारिश से बचने के लिए मैं छाता ताने अपनी रफ्तार तेज करता घर की तरफ वापस जा रहा था। तभी काफी तेज रफ्तार से पुलिस की गाड़ी मेरे बगल से गुजरी। छपाक ...!!! ... और सड़क पर जम आए पानी से मेरा वह शरीर, जिसे अब तक मेरे छाते ने इंद्र देवता से बचाकर रखा था, भींग गया और साथ ही छोड़ गया कीचड़ से सना वस्त्र। अब तो मैं अपना छाता मोड़ने में ही सुख मान रहा था, बारिश की बौछार से कुछ तो कीचड़ धुल जाए! छाता मोड़ते हुए मैं बाई ओर अपनी गरदन घुमाता हूँ। जेल की ऊँची दीवारों पर उग आए पौधों पर मेरी more »
सहन-शक्ति
बात महात्मा बुद्ध के पूर्व भव की है जब वे जंगली भैंसे की योनि भोग रहे थे। तब भी वे एकदम शान्त प्रकृति के थे। जंगल में एक नटखट बन्दर उनका हमजोली था। उसे महात्मा बुद्ध को तंग करने में बड़ा आनन्द आता। वह कभी उनकी पीठ पर सवार हो जाता तो कभी पूंछ से लटक कर झूलता, कभी कान में ऊंगली डाल देता तो कभी नथुने में। कई बार गर्दन पर बैठकर दोनों हाथों से सींग पकड़ कर झकझोरता। महात्मा बुद्ध उससे कुछ न कहते। उनकी सहनशक्ति और वानर की धृष्टता देखकर देवताओं ने उनसे निवेदन किया, "शान्ति के अग्रदूत, इस नटखट बंदर को दंड दीजिये। यह आपको बहुत सताता है और आप चुपचाप सह लेते हैं!" वह बोले, "मैं इसे more »
हम पढ़ें, लिखें या करें ब्लॉगिंग...!
(1) न दैन्यं न पलायनम्.... यह प्रवीण पाण्डेय जी का ब्लॉग है। जानता हूँ, इससे सभी परिचित हैं। मैं बस भूमिका के लिए बता रहा हूँ। पिछले दिनो इस ब्लॉग पर एक पोस्ट आई.. *पढ़ते-पढ़ते लिखना सीखो*। शीर्षक पढ़कर तो ऐसा लगा कि यह बच्चों को कोई उपदेश देने वाली पोस्ट है लेकिन पढ़ने के बाद एहसास हुआ कि यह हमारे जैसे बेचैन लोगों की व्यथा-कथा है। इस पोस्ट के माध्यम से जो विमर्श उठाया गया है वह यह.. प्रश्न बड़ा मौलिक उठता है, कि यदि इतना स्तरीय और गुणवत्तापूर्ण लिखा जा चुका है तो उसी को पढ़कर उसका आनन्द उठाया जाये, क्यों समय व्यर्थ कर लिखा जाये और औरों का समय व्यर्थ कर पढ़ाया जाये ? ब्लॉग और कमें... more »
बैंगलोर पासपोर्ट की ऑनलाइन सेवा याने कि भ्रष्टाचार
सरकार ने लगभग २ वर्ष पहले पासपोर्ट कार्यालय और पुलिस के भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलवाते हुए, पासपोर्ट की प्रक्रिया ऑनलाइन की थी। मैंने खुद लगभग १.८ वर्ष पहले पासपोर्ट बनवाया था और इस प्रक्रिया का साक्षात अनुभव किया था। पासपोर्ट कार्यालय में केवल २ घंटे की अवधि में मेरा पूरा कार्य हो गया था, सरकार ने ऑनलाईन प्रक्रिया करते हुए प्रोसेसिंग का कार्य टीसीएस को ऑउटसोर्स कर दिया था। अभी मेरे ऑफ़िस के कुछ मित्रों को पासपोर्ट बनवाना था तब यह भ्रष्टाचार हमारे सामने आया । जनता समझती है कि अगर सरकार सुविधाएँ ऑनलाइन कर दे उसको सुविधाएँ मिलने लगेंगी। पहली बार जब IRCTC के द्वारा रेल्वे ने more »
शुक्र है अब भी बचा है रेडियो
आवाज की दुनिया मे गुमसुम आलमआरा जैसी मूक फ़िल्मो पर झूमते उस जमाने के हमारे समाज मे एक स्वरीय क्रान्ति ले कर आया रेडियो अब भारत मे तकरीबन सौ साल पूरे करने के समीप है। तमाम कमियो के बावजूद आज भी रेडियो सुनना अच्छा लगता है । जैसे सफ़ारी और जीन्स के युग मे धोती अच्छी लगती है। जैसे विविध भारती पर पुराने नगमो की बरसात पुरानी यादों को जगा जाती है। दुनिया मे टीवी के तमाम जलवो के बावजूद रेडियो की आज भी क्या अहमियत है इसे बयान करने के लिए एक ताजा मामले की चर्चा। यह मामला रेडियो बनाम ऍफ़ एम् के दिग्भ्रमित काल का एक नायाब उदाहरण है। आरजे ने गर्भवती महारानी केट की तबीयत जानने के लिए ब्रिट... more »
एक सीली रात के बाद की सुबह......
नर्म लहज़े में शफ़क ने कहा उठो दिन तुम्हारे इंतज़ार में है और मोहब्बत है तुमसे इस नारंगी सूरज को.... इसका गुनगुना लम्स तुम्हें देगा जीने की एक वजह सिर्फ तुम्हारे अपने लिए... सुनो न ! किरणों की पाजेब कैसे खनक रही है तुम्हारे आँगन में. मानों मना रही हो कमल को खिल जाने के लिए सिर्फ तुम्हारे लिए..... चहक रहा है गुलमोहर बिखेर कर सुर्ख फूल तुम्हारे क़दमों के लिए.... जानती हो ये मोगरा भी महका है तुम्हारी साँसों में बस जाने को... सारी कायनात इंतज़ार में है तुम्हारी आँखें खुलने के... जिंदगी बाहें पसारे खड़ी है तुम्हें आलिंगन में भरने को.... उठो न तुम... और कहो कुछ, इंतज़ार करती इस सुबह से.... जवा... more »
प्रेम की कोई भाषा नहीं होती...
मेरा फ़्लैट दुसरे माले पर है ! सुबह बालकनी में धूप ले रही थी कि निगाह कार पार्किंग में गयी ! सुरेश जल्दी-जल्दी सभी कारें साफ़ करने में लगा था , पता नहीं एक दिन में कितनी कार साफ़ कर डालेगा ... उसे तो बस हर कार मालिक से 300 रूपए महीने पाने थे! अचानक मेरी निगाह नीचे खड़े काले कुत्ते पर गयी , मुंह उठाये दुसरे माले पर मुझे देख रहा था ! प्रेम के लिए अपनी गर्दन को बेवजह इतनी तकलीफ दे रहा था ! मुझे उसका अपनापन बहुत अच्छा लगा ! मैंने मुस्कुरा दिया तो उसने पूंछ और जोर से हिलानी शुरू कर दी ... फिर अपनी जगह बदलकर ठीक मेरी बालकनी की सिधान में आ गया और 180 डिग्री पर सर उठाकर निहारने लगा !more »
सोलह दिसम्बर.......... कहां गये वो लोग......
आज सोलह दिसम्बर है, आज का दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है... आज का दिन अपनी सेना पर गर्व करनें का दिन है... आज का दिन उस कीर्तिमान को याद करनें का दिन है जब ९५००० पाकिस्तानी सैनिकों नें घुटनें टेक कर आत्मसमर्पण किया और सम्पूर्ण विश्व नें हमारी शक्ति को जाना और पहचाना। आईए उस वाक्ये को थोडा विस्तार से पढें.... पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान एक सिलसिलेवार तरीके से लगभग अत्याचार, नरसंहार और दमन की योजना पर अमल कर रहा था, इसके कारण उस क्षेत्र से लगभग दस लाख लोगों नें भारत के पूर्वी राज्यों में शरणार्थी के रुप में आना शुरु कर दिया। पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, त्रिपुरा, मेघालय में इ... more »
अमरीका :- बंदूक में भर के अमरीकी पिज्ज़ा ...
श्रद्धांजलि
*बाल ठाकरे को श्रद्धांजलि * मुम्बई में ‘कार्टूनिस्ट्स’ कम्बाइन’ द्वारा देश के जानेमाने कार्टूनिस्ट बालासाहेब ठाकरे पर बनाये गये कार्टून और कैरीकेचरों की एक विशेष प्रदर्शनी का जल्दी ही आयोजन किया जा रहा है। कार्टूनिस्ट प्रभाकर वाइरकर के अनुसार* ' टाइगर' बालासाहेब ठाकरे के लिए एक श्रद्धांजलि '* प्रदर्शनी के स्थान, समय और दिनांक के बारे में जल्दी ही जानकारी दे दी जाएगी। इस प्रदर्शनी हेतु ‘टाइगर" बालासा्हेब ठाकरे को लेकर सभी कार्टूनिस्टों द्वारा बनाये गये प्रकाशित/अप्रकाशित ३-४ कर्टून और/या कैरीकेचर आमन्त्रित किये गये हैं। *आवश्यक विवरण:* • कागज का आकार आकार: ए३ (२९७X४२० मिमी.) more »
डी.टी.सी. के बस की सवारी
ये डी.टी.सी. के बस की सवारी इससे तो थी अपनी यारी हर सुबह कुछ किलोमीटर का सफर कट “जाता था” , नहीं थी फिकर जैसे सुबह 9 बजे का ऑफिस 11 बजे तक पहुँचने पर कहलाता नाइस तो बेशक घर से हर सुबह निकलते लेट पर बस स्टैंड पर भी थोड़ा करते वेट अरे! कुछ बालाओं को करना पड़ता था सी-ऑफ ताकि कोई “भगा” न ले, न हो जाए इनका थेफ्ट कुछ ऑटो से जाती, कुछ भरी हुई बस मे हो जाती सेट हम आहें भरते, करते रह जाते दिस-देट मेरी बोलती आंखे दूर से करती बाय-बाय मन मे हुक सी होती, आखिर कब 'वी मेट' लो जी आ ही गई हमारी भी बस ! जो एक और झुकी थी, क्योंकि थी ठसाठस तो भी “बहुत “ सारे यात्रीगण चढ़ रहे थे कुछ ही यात्री आगे, बढ़ रह... more »
नम मौसम, भीगी जमीं ..
सर्दी की लम्बी काली रातें तन्हाइयां और घड़ी की टक..टक..टक सुबह तलक, क़हरे-हवा बबूल से टपकती शबनमी बूंदें टप..टप..टप नम मौसम, भीगी जमीं। By:- **रोहित** क़हरे-हवा=यादों का क़हर (कविता के अर्थ में) / हवा की विपदा (शाब्दिक अर्थ)
.....साँवली बिटिया .....
*रंग सांवला बिटिया का * *कैसे ब्याह रचाऊँगा * *बेटे जो होते सांवले...* *शिव और कृष्णा उन्हें बनाता * *बेटी को क्या उपमा दिलाऊंगा ....* * **पढ़ी लिखी संस्कारी है वो* *गुणों से सुसज्जित न्यारी है वो* *मेरी तो राजदुलारी है वो* *पर अपने रंग से थोड़ा सा लजाई है वो .......* * **गोरा तो गोरी ही चाहे* *काले को भी गोरी ही मनभाए* *सांवल किसी को क्यूँ ना सुहाए* *प्रेम का रंग क्यूँ कोई देख ना पाए ......* * **वो भी सृजन है देवों का* *करुणा , ममता उसमे भी है* *घर की लक्ष्मी भी बन दिखाएगी वो* *ग़र समझो उसे की वो अपनी है....* * **सांवली है पर संध्या है वो..* *भोर की पहली सांवली बदरिया है वो* *मेरी तो more »
माँ तुम्हारा चूल्हा
2010 में एक कविता लिखी थी "माँ तुम्हारा चूल्हा" और आज चर्चा है सभी अख़बारों में कि देश के स्वस्थ्य को प्रभावित करने वाला कारक है - चूल्हा (हाउस होल्ड एयर पाल्यूशन). संयुक्त राष्ट्र संघ से डबल्यू एच ओ तक इसे साबित करने पर तुला है। आश्चर्य है कि विकसित देशो में ए सी, गाड़ियाँ, हवाई जहाज़ आदि आदि धरती को कितना नुकसान पहुचते हैं, इस पर कोई अध्यनन नहीं होता। वह दिन दूर नहीं जब लकड़ी को इंधन के रूप में इस्तेमाल पर पाबंदी होगी और सोचिये कि कौन प्रभावित होगा, साथ ही पढ़िए मेरी कविता भी। माँ बंद होने वाला है तुम्हारा चूल्हा जिसमे झोंक कर पेड़ की सूखी डालियाँ पकाती हो तुम खाना कहा जा रहा ... more »
विजय दिवस विशेष - जय हिन्द की सेना
*ऊपर दी गई इस तस्वीर को देख कर कुछ याद आया आपको ?* *आज १६ दिसम्बर है ... आज ही के दिन सन १९७१ में हमारी सेना ने पाकिस्तानी सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था ... और बंगलादेश की आज़ादी का रास्ता साफ़ और पुख्ता किया था ! तब से हर साल १६ दिसम्बर विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है ! * *आइये कुछ और तस्वीरो से उस महान दिन की यादें ताज़ा करें !* *आप सब को विजय दिवस की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !* * * *आज जब हम विजय दिवस का जश्न मना रहे है ... आइये साथ साथ याद करे उन सब वीरों और परमवीरों को जिन्होने अपना सब कुछ नौछावर कर दिया अपनी पलटन और अपने देश के मान सम्मान बनाए रखने क... more »
==================
आज जब हम विजय दिवस का जश्न मना रहे है ... आइये साथ साथ याद करें उन सब वीरों और परमवीरों को जिन्होने अपना सब कुछ नौछावर कर दिया अपनी पलटन और अपने देश के मान सम्मान बनाए रखने के लिए ...
जय हिंद ... जय हिंद की सेना !!!
जय हिन्द की सेना....
जवाब देंहटाएंविजय दिवस की बधाई ...
जवाब देंहटाएंविजय दिवस की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबढ़ियाँ लिंक्स
जवाब देंहटाएंआभार...
:-)
कार्टून भी लगाने की बल्ले बल्ले
जवाब देंहटाएंविजय दिवस की बहुत बधाई। आभार आपने बहुत अच्छी-अच्छी पोस्ट पढ़ाई।
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन सारे लिंक्स अच्छे थे और एक से बढ़कर एक थे।
जवाब देंहटाएंएक चीज़ और शिवम् जी आप हमेशा बुलेटिन पेश करते रहे। धन्यवाद
विजय दिवस के शानदार लिँक्स
जवाब देंहटाएंThanks for providing great links.
जवाब देंहटाएंसब को विजय दिवस की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंजय हिंद ... जय हिंद की सेना !!!!
उस समय टीवी नहीं था, लेकिन इन पलों को अपनी याददाश्त में आकाशवाणी के समाचारों के माध्यम से 'देखा' है मैंने. बहुत अच्छा लगा इस दिन को याद करना!!
जवाब देंहटाएंविजय दिवस की शुभकामनायें----
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चित्रों का संग्रह ,साथ ही सार्थक सामग्री---बधाई
विजय दिवस की शुभकामनायें----
बेहतरीन चित्रों का संग्रह ,साथ ही सार्थक सामग्री---बधाई
विजय दिवस की शुभकामनायें----
बेहतरीन चित्रों का संग्रह ,साथ ही सार्थक सामग्री---बधाई
विजय दिवस की शुभकामनायें----
बेहतरीन चित्रों का संग्रह ,साथ ही सार्थक सामग्री---बधाई
विजय दिवस की शुभकामनायें----
बेहतरीन चित्रों का संग्रह ,साथ ही सार्थक सामग्री---बधाई
विजय दिवस की शुभकामनायें----
बेहतरीन चित्रों का संग्रह ,साथ ही सार्थक सामग्री---बधाई
विजय दिवस की शुभकामनायें----
बेहतरीन चित्रों का संग्रह ,साथ ही सार्थक सामग्री---बधाई
विजय दिवस की शुभकामनायें----
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चित्रों का संग्रह ,साथ ही सार्थक सामग्री---बधाई
लाजवाब और संग्रहणीय अंक!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र एकत्र किये हैं।
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन.....
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ शिवम जी जो अपने हमारे रचना को शामिल किया..
अनु
आप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएं