पेट्रोल लगभग एक रुपये सस्ता हो गया है, अब इसको खुशखबरी मानिए और खुश हो जाईए... हम तो यह कहेंगे की इस भारी भरकम बचत से नहाएं या निचोडैं... किस काम आएगा यह पैसा। भाई हमारे पास चौपाया गाडी है और कोई दो तीन महिनें से हम ट्रेन और बस से सफ़र करनें लगे हैं क्योंकी पेट्रोल कार का खर्चा जेब पर भारी बन पडा है। चलिए यह तो हमारी बात हुई आप अपनी कहें की आप इस भारी भरकम बचत का क्या करेंगे... कैलकुलेशन किया जाए तो यदि आप एक महीनें मे पचास लीटर तेल पीते हैं तो फ़िर आप पचास रुपये की बचत कर लेंगे। इस पचास रुपए की खुशी में बौराईए और सरकार की वाहवाही कीजिए। आखिर उसे आपकी इतनी फ़िकर जो है भाई।
वैसे अगर यकीन न हो तो फ़िर ज़रा इस चार्ट पर नज़र डालिए.... बाबा गुगल की कॄपा से कैलकुलेट किया है...
चलिए अपन तो मैंगो पीपूल है न बनाना रिपब्लिक के तो फ़िर टेंशन मत लीजिए और राम नाम जपिए....
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अब आज के बुलेटिन की ओर चलते हैं और आपको आज की ब्लाग हलचलों से रूबरू कराते हैं...
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यहाँ मर्ज़ क्या था और मरीज कौन ..?
मंजू दी, बस देख रहीं थीं, अपने सामने, अस्पताल के बेड पर पड़े, रमेश जीजा जी के निर्जीव शरीर को। छह फीट का इंसान, चार फीट का कैसे हो जाता है ? वो चेहरा जो कभी, मन मंदिर का देवता था ..आज ..... मंजू दी की आँखों में, अजीब सा धुँवा समाने लगा था।पुरानी संदूक से फटे चीथड़ों सी यादें , आँखों के सामने, लहराने लगीं, पर एक मुट्ठी लम्हा भी वो, समेट नहीं पायीं, जो उनका अपना होता। उनकी आँखों में सूखे सपनों.....
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क्यों सताते हो
क्यों सताते हो इतनी नफरत रखते हो निरंतर हम पर लांछन लगाते हो हमारी हर बात को गलत समझते हो जो हमने कभी सोचा भी नहीं अपने मन से कहते हो अगर हमसे इतना परेशान हो हम संसार से जाने के लिए तैयार हैं क्यों हमसे मुक्ती नहीं पा लेते क्यों हमारी जान नहीं ले लेते हर दिन हमें मारते हो जीने नहीं देते हो अब तक समझे नहीं तुम क्या चाहते हो या तो हिम्मत करो हमारा नाम-ओ-निशाँ ही मिटा दो या तुम भी चैन से जीओ हमें भी जीने दो
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'नमस्ते ...भैया!'
एक राह में बार-बार मिलने से मैं परच गया उससे। चाहा बात करूँ उससे परिचय से स्नेह हुआ जिससे। एक बार मैं असमंजस में था कि क्या बात करूँ मिलने पर। सहसा वह बोल पड़ी मुझसे - 'भैया' 'कहाँ खोये रहते हो, शरम से कुछ न कहते हो।' चाल रोक कर उन शब्दों का जिनमें मिला हुआ था स्नेह सुधा-सा - श्रवण कर लिया - 'भैया' शब्द स्वीकार कर लिया सहसा मुख से शब्द निकल गया 'बहना !' बार-बार फिर जब भी मिलते हँसते, फिर भी बात न करते वह थोड़ा रुकती चलते-चलते शरम से कर देती झुक कर 'नमस्ते ...भैया!' मेरी पहली भावपरक मुक्तछंद की रचना। यह विद्यार्थी जीवन का काल्पनिक स्वगतालाप भी है। जिसके बहिन न हो, उसे... more »
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गड़बड़ रामायण – आम जनता का कवित्त
बचपन से गड़बड़ रामायण सुनते आये हैं. फुटकर में चौपाइयां – जिनको कुछ न दिमाग में आने पर अंत्याक्षरी में ठेला जाता था! पर कोई न कोई वीटो का प्रयोग कर कहता था कि यह तो तुलसी ने लिखा ही नहीं है. फिर वह नहीं माना जाता था. पर होती बहुत झांव-झांव थी. यह सामग्री [...]
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स्मोकिंग अंडरवाटर
एक डूबे हुए जहाज के तल में बैठी हूँ...एक कमरे भर ओक्सिजन है. शीशे के बाहर काली गहराई है. लम्हे भर पहले एक मिसाइल टकराई थी और पूरा जहाज डूबता चला गया है. पानी में कूदने का भी कोई फायदा नहीं होने वाला था...मुझे तैरना नहीं आता. मेरे पास एक पैकेट सिगरेट हैं...मैं लंग कैंसर होने के डर से मुक्त हूँ. देखा जाए तो डर बीमारी का नहीं मौत का था...लेकिन जब मौत सामने खड़ी है तो उससे डर नहीं लग रहा. एक के बाद दूसरी सिगरेट जलती हूँ...कमरे की ऑक्सीजन को बिना शिकायत हम दोनों आधा आधा बाँट लेते हैं...मेरी पसंदीदा मार्लबोरो माइल्ड्स...सफ़ेद रंग के पैकेट पर लिखी चेतावनी को देखती हूँ...जिंदगी के आखिरी लम...more »
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वो शादी का घोड़ा है ... और ये गिरगिट ......... संजय कुमार
हमारे देश की विपक्षी पार्टी के जानेमाने , बड़बोले नेताजी ने अपने एक भाषण के दौरान केंद्र सरकार चलाने वाले युवराज को *" शादी का अड़ियल घोड़ा " *तक कह दिया , अब विवाद तो होना ही है ! अगर विवाद नहीं होगा तो फिर विपक्ष की ताक़त तो खत्म समझो ... खैर ये तो हमारे और देश के लिए अब रोज की बात है ! एक दिन ऐसा आएगा जब कोई नेता किसी दुसरे नेता को सुअर और कुत्ता तक कह देगा .... अरे भई ये आज की गन्दी राजनीति जो है इसमें सब कुछ जायज है ! मैं कहता हूँ कि , सूअर तो ठीक है लेकिन कुत्ता तो नहीं हो सकता , क्योंकि कुत्ता तो एक *" वफादार " *जानवर कहलाता है और आज के भ्रष्ट नेता तो वफादार नहीं हो सकते ..... more »
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गीत: पैसे में दम है भैया
माना पैसा खुदा नहीं पर खुदा का है ये भैया बोलो रे बोलो मिलके बोलो जय जय जय रुपैया... जब चाहे आजमा कर देखो ताकत तुम पैसे की ऐसे वैसे कैसे भी जियो फिर जी चाहे जैसे भी यहाँ – वहाँ चाहे जाओ जहाँ जब पाँव में लग जाये पहिया जय जय जय रुपैया... वे जीने का लुफ्त उठाते जिनकी जेबें भारी आज अभी से कर प्यारे कुछ कमाने की तैयारी कमा-कमा तू खूब कमा सहज पार लगेगी नैया जय जय जय रुपैया... बड़े-बड़े बाज़ार सजे जी चाहे जो भी ले लो ये दुनिया मैदान खेल का तुम जैसे चाहे खेलो प्यार, यार, संसार मिलेगा मन नाचेगा ता था थैया जय जय जय रुपैया... मेहनत में विश्वास रखो भाग्य भरोसे मत बैठो बहुत है कुछ तुम्... more »
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भावों का रेला
1) शब्दों की बयार पर दौडी चली आती थी घन घन मेघ सी छा जाती थी ये सोच पर कैसा पडा पाला है उमंगो पर भी लगा भावों का ताला है वक्त की जो ना बन पायी थाती है ये कैसी ज़िन्दगी की परिपाटी है चिकनी सपाट सडकों पर भी ज़िन्दगी क्यों उलझ उलझ जाती है यूँ ही नही हर मोड पर अंधी ,खामोश और गहरी खाई है 2) शब्दों की बारात कहाँ से लाऊँ वो सुनहरा साथ कहाँ से लाऊँ जो उमड पडता था भीतर से वो जज़्बात कहाँ से लाऊँ शायद तभी उजडे दयारों मे महफ़िलें नही जमा करतीं……… 3) मै इक पहर सी गुजर जाती जो तेरी चाहत मे बंध जाती यूँ तो मोहब्बत का कोई पहर नही होता फिर भी हर पहर के लम्हों मे याद बन सिमट जाती भ... more »
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हम मिडिल क्लास आदमी हैं...
*ई पोस्ट अपना भासा में लिख रहे हैं काहे कि मिडिल क्लास का हिस्सा होने के साथे साथ ई भासा भी हमरा दिल से जुड़ा हुआ है... * हम सुरुवे से काफी खुलल हाथ वाले रहे हैं, मतलब पईसा हमरे हाथ में ठहरता ही नहीं है एकदम.... जब हम छोटा थे तो माँ-पापाजी के मुंह से हमेसा सुनते थे कि हम लोग मिडिल क्लास के हैं, हमलोग को एक-एक पईसा का हेसाब रखना चाहिए.... ऊ समय हम केतना बार पूछे कि ऐसा करना काहे इतना ज़रूरी है तब पापाजी कहते थे कि टाईम आने पर अपने आप बुझ(समझ) जाओगे... *ओसे तो ज़िन्दगी में केतना बार ई एहसास हुआ कि पईसा केतना इम्पोर्टेन्ट होता है लाईफ के लिए, उसके बिना तो कोनो गुज़ारा ही नहीं है... लेकिन ... more »
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अपना काम तो मैंने कर दिया . अब समाज के लोगों और आप जैसे शुभचिंतकों के सहयोग से ही यह शब्द-यज्ञ पूरा होगा
अलबेला खत्री की आप सभी मित्रों से विनम्र विनती और अपील स्नेही स्वजनों, मित्रो और हितचिन्तको ! कई बार अतिउत्साह में आकर व्यक्ति कुछ अद्भुत, अद्वितीय और अत्युत्तम करने की ललक में इतना उदार हो जाता है कि बाद में उधार मांगता फिरता है . कोई नरसी मेहता की तरह इतना दान कर बैठता है कि स्वयं दरिद्र हो जाता है, कोई चोर के पीछे इतनी तेज़ी से दौड़ता है कि चोर तो पीछे छूट जाता है और खुद आगे निकल जाता है . बाद में लोग उसी को चोर सनझ कर पीटते हैं . हँसने की बात नहीं भाई, मेरा भी यही हाल है . मैं भी अक्सर ऐसी मूर्खताएं करता रहा हूँ जिसके लिए बाद में परेशान होना पड़ा है . लम्बी... more »
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भारतीय महिला की आयरलैंड के अस्पताल में मौत.
गर्भावस्था के दौरान नाजुक हालत से जूझ रही एक भारतीय महिला की आयरलैंड के एक अस्पताल में मौत हो गई। महिला को बचाया जा सकता था मगर डॉक्टरों ने गर्भपात करने से मना कर दिया। इसके पीछे दलील देते हुए डॉक्टरों ने कहा कि आयरलैंड एक कैथलिक देश है और यहां पर अबॉर्शन नहीं किया जा सकता। प्राप्त जानकारी के अनुसार कर्नाटक की रहने वाली और पेशे से डेंटिस्ट 31 वर्षीय सविता हलप्पनवार 14 हफ्तों की गर्भवती थी। मसिकैरेज की आशंका को देखते हुए उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सविता को भयंकर दर्द था और डॉक्टर भी इस बात को मान चुके थे कि बच्चे को बचाया नहीं जा सकता है लेकिन फिर भी डॉक्टरों ने स... more »
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मित्रों आज का बुलेटिन यहीं तक... आशा है आपको आज का बुलेटिन पसन्द आया होगा। तो फ़िर कल तक के लिए देव बाबा को इज़ाजत दीजिए और जीवन का आनन्द लीजिए....
जै हिन्द
हम भी खुशी में पगलाये जा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन । 300 समर्थक पुरे होने पर ब्लॉग बुलेटिन को बधाई । मेरी नई पोस्टों को भी एक बार पढ़े । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंज्ञान - संसार : " जन्म दिवस :मौलाना अबुल कलाम आज़ाद " gyaan-sansaar.blogspot.com
प्रचार : " डॉ हरिवंश राय "बच्चन" : दीवा जलाना कब मना है ? harshprachar.blogspot.com
वाह !! ये तो bahuuuuuuuut बड़ी खुशखबरी है |
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स का संकलन |
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
बढ़िया बुलेटिन....
जवाब देंहटाएंकवितायें ज़रा कम थीं..मगर लिंक्स और प्रस्तुति रोचक .
:-)
शुक्रिया
अनु
जय हो देव बाबू ... सही नब्ज़ पकड़े हो ... लगे रहो महाराज !
जवाब देंहटाएंबधाई ………सुन्दर बुलेटिन
जवाब देंहटाएंआम आदमी जिंदाबाद
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