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शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

निःस्वार्थ परिवर्तन



चक्रव्यूह में होना 
उसे आंकना 
बाहर निकलने से बेखबर 
शांत मनःस्थिति लिए 
उसकी संरचना देखना 
परखना 
अधिक शक्ति देता है !
छद्म पितामह, द्रोण ....कर्ण
आशीष शिक्षा स्नेहिल दान 
इनका प्रश्न ही कहाँ ... 
यहाँ तो होड़ है शिव धनुष लेने की 
स्मरण ही नहीं 
कि शिव यह अधिकार सिर्फ राम को ही देंगे 
.......
निःस्वार्थ परिवर्तन की इच्छा हो 
तभी शिव धनुष फूल सा हल्का बनता है ! 
वर्चस्व का व्यूह है - परम्परारहित 
आरम्भ से पूर्व समाप्त 
न शस्त्र की ज़रूरत 
न शास्त्र की 
मौन द्रष्टा बनकर रहना है 
..... 

अंतर्नाद

प्यार की मीठी चाय

तब रोया था वो...

पाँव लफ़्ज़ के उलझ पड़े थे,
छिटक के साँसें - सांय - गिरी थीं,
आँखों के फिर आस्तीन पर
प्यार की मीठी चाय गिरी थी,
बर्फ ख्वाब के पिघल गए तब,
पलक से बूँदें हाय, गिरी थीं..

हाँ, रोया था वो...

मेरे बटुए में तुमको बस मिलेंगें नोट खुशियों के,
मैं सब चिल्हर उदासी के अलग गुल्लक में रखता हूँ.

kavitayen

अच्छी-भली पड़ी थी मैं

अपने शांत कोने में,

मुलायम घास के नीचे,

पहाड़ी की गोद में.


तुमने फावड़ा चलाया,

विस्थापित किया मुझे,

तोडा-फोड़ा, कीचड़ बनाया,

फिर छोड़ दिया यूँ ही.


अब ज़रा रहम खाओ,

गागर बना दो मुझे,

जिसमें पानी भरकर 

गांव की औरत 

रख ले मुझे सर पर 

या कोई सुन्दर मूरत 

जिसे सजा दे कोई मंदिर में.


चलो, कोई मामूली-सा खिलौना बना दो,

जिससे बच्चे खेलें कुछ दिन,

फिर तोड़ दें ठोकर मारकर 

या फेंक दें कूड़ेदान  में.


कुछ तो आकर दो मुझे,

अर्थ दो मेरे जीवन को,

पर्वत और घास से अलग होकर

कुछ तो बन जाऊं मैं 

किसी के कुछ तो काम आऊं मैं 





11 टिप्पणियाँ:

कडुवासच ने कहा…

jay ho ...

अरुन अनन्त ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत- बहुत हार्दिक आभार रश्मि जी मेरी रचना को शामिल करने के लिए यहाँ आकर अच्छे पठनीय सूत्र मिले

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बढ़िया लिनक्स ...शामिल करने का आभार

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

सुन्दर लिंक्स....
बढियां बुलेटिन...

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जय हो दीदी आपकी ... :)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर..

वाणी गीत ने कहा…

वर्चस्व स्थापित करने के होड़ की अच्छी कही !
उम्दा लिंक्स!

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर लिंक्स

विकास गुप्ता ने कहा…

सुन्दर कविता

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर लिंक ,अच्छा लगा

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