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बुधवार, 29 अगस्त 2012

झटपटिया वन लाइनर बुलेटिन :) :)







इन दिनों कुछ अलग मशरुफ़ियत है जो ये जिम्मा गाहे बेगाहे ही उठा पाते हैं जबकि एक खबरी के रूप में इन दिनों इत्ता माल मसाला देश विदेश से लेकर फ़ेसबुक और ब्लॉगिंग तक में है कि रिपोर्टर लाद लाद के आप तक लाता रहे मगर फ़िर भी सामान खत्म न हो । फ़िलहाल तो हमेशा की तरह ब्लॉग महारथियों के जुटान की खबरें , और उन पर आ रही घनघोर प्रतिक्रियाएं ही देखने पढने सुनने को मिल रही हैं । लेकिन ऐसा भी नहीं है कि और कुछ नहीं लिखा पढा जा रहा है , तो फ़िलहाल तो आप एक झटपटिया , फ़टफ़टिया एक लाइनर बुलेटिन बांचिए , जल्दी ही लौटते है फ़ुल फ़ार्म में : -



फ़ूलों से कहती हूं :   कहती ही रहती हूं


एक सफ़र :   जिंदगी से हसीन


भारत परिक्रमा -लीडो -भारत का सबसे पूर्वी स्टेशन : चला मुसाफ़िर घुमक्कडी करने


१६६ कत्ल करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को फ़ांसी : नहीं होने देगी , उसकी इटली वाली मासी


कभी तकलीफ़ इतनी हो कि जीना बोझ लगता है :कभी कभी तो ऐसा रोज़ लगता है


तुम सम कौन कुटिल , खल लम्पट :सारा माल ले हो गए चम्पत


ये क्या हो रहा है ? :  कोई हंस तो कोई रो रहा है


आधा कम्बल : देता संबल


परिकल्पना से उनका कलपना ! : तभी तो हुआ आपका इस पोस्ट को लिखना 


हिंदी ब्लॉगिंग की सहज़ प्रवृत्तियां : कित्ती असहज़ता पैदा करती हैं


अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन और परिकल्पना सम्मान : आंखों देखी  : सबसे तेज़ , सबसे आगे


नश्तर चुभा क्या :  आपको दिखा क्या


देख रहा था व्यग्र प्रवाह : आह कहें कि वाह !


यह भय व्यर्थ नहीं है : जीवन निरर्थ नहीं है


मछली : जल की रानी है


क्या सच में बातों से ज़िंदगी नहीं चलती :  सिर्फ़ बातों से तो बिल्कुल नहीं चलती


गम का इतिहास : बडा लंबा होता है


हमें अपनों ने मारा , गैरों में कहां दम था  : उन्हीं के जूते से उनका सर कलम था :)


अब मुझे इज़ाज़त दें , मिलते हैं अगली बुलेटिन के साथ ..आपका ब्लॉग खबरी ।



10 टिप्‍पणियां:

  1. झा जी 'कलपना' को कल्पना बना दिए.इसका मतलब तड़पना होता है !

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  2. @ त्रिवेदी जी भूल सुधार दी गयी है ... ध्यान दिलाने के लिए आभार !

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  3. आपकी टीम का आभार !
    ..सबसे बड़ा पुरस्कार लोगों का प्यार है !

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  4. वर्ष के बेस्ट खबरी का सम्मान ऐसे ही थोड़े ही न मिला है आपको ... हर खबर ... हर पोस्ट पर रखते है नज़र ... जय हो अजय भाई आपकी ... जय हो !

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  5. भागते भूत की तरह लंगोटी नुमा बुलेटिन!! मस्त है झा जी!!

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!