मोटा माल या छोटा माल यह बीजेपी की संस्कॄति होगी कांग्रेस की नहीं... आज कुछ ऐसा बयान आया कांग्रेसी प्रवक्ता का। जी... कल भाजपा भी नप गई केज़रीवाल के पैमानें पर सो उसके पास कोई और रास्ता है भी नहीं सो उसनें कोयला आबंटन से जुडी हुई हर कार्यवाही को रोलबैक करनें के लिए चीखना और चिल्लाना शुरु किया है। तो इसी बीच कितनी उच्च स्तर की बयान बाजी हो रही है..
बीजेपी कहती हैं.. कोयले की दलाली में कांग्रेस नें मोटा माल दबाया है उसके प्रतिक्रिया में कांग्रेस कहती हैं की मोटा माल या छोटा माल यह बीजेपी की संस्कॄति होगी कांग्रेस की नहीं.. बीजेपी की भाषा सही हो या गलत लेकिन मुझे लगता है कांग्रेस तो एकदम सही कहती है.. भाई कांग्रेस कब छोटा या मोटा माल देखती है वह तो पूरे देश को खा जानें का माद्दा रखती है.. धीरे धीरे वह ऐसा ही तो कर रही है। सही है न.. कोल-गेट मे नपे प्रधानमंत्री जी की हालत इस टाईम पर बडी बुरी हो गई है।
एक पुरानी पैरोडी है...
नेताओं की डगर पर चमचों दिखाओ चलके
यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तलके
कहनें के लिए व्यंग्य दिखेगा लेकिन यह बहुत गहरी चिन्ता का विषय भी है। कुछ भी कहें लेकिन हिन्दुस्तान की राजनीति में अब चमचे ही राज कर रहे हैं और असली माल दबा के जनता को बेवकूफ़ बनाया जा रहा है। न जानें क्यों लेकिन आज कल पक्ष हो या विपक्ष हो दोनों की नीयत पर भरोसा नहीं हो रहा है और मोटे तौर पर यह असली मुद्दों से भटकानें जैसा ही लग रहा है।
हमारे प्रधानमंत्री जी म्यूट मोड में रहते हैं, कोई बयान नहीं देते... जनता के साथ कभी मुलाकात नहीं करते.. स्टेटमेंट ज़ारी करते हैं... कभी किसी टाक-शो में नहीं आते.. दर-असल वह जनता के बीच से आते ही नहीं हैं सो वह जनता के प्रतिनिधि हैं ही नहीं.. ठीक ऐसा ही हाल सोनियां गान्धी का भी है.. क्या आपनें कभी उन्हे किसी टाक-शो.. प्रेस वार्ता में देखा है ? बिल्कुल नहीं... यह भी अपना स्टेटमेंट मीडिया में ज़ारी करतीं हैं... आज कल फ़ील-बैड का माहौल है.. और सब के सब माल दबा रहे हैं... किसका ? जी आपका और हमारा और क्या...
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आज का बुलेटिन...
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कभी तो होगी इस चमन पे भी बहार की नजर :ए . के हंगल
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इज़हार नहीं करेंगे
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कविता
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मेरे साथ इक साया
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अन्जान हूँ मैं । (गीत)
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कुर्सियाँ बुनने वाला
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उम्र यूं ही तमाम होती है
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प्रेम .... मेरे लिए - रश्मि प्रभा...
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यह दिया बुझे नहीं / गोपाल सिंह नेपाली
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सृष्टि में दृष्टि जैसे ह्रदय में स्पंदन ....
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अन्ना स्विर : वे तीसरी मंजिल से नहीं कूदे
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आज़ाद पुलिस का धरना-3
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गांधी और गांधीवाद-130
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भारत परिक्रमा- तीसरा दिन- पश्चिमी बंगाल और असोम प्रस्तुतकर्ता नीरज जाट
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चैतुरगढ: मैं कहता हौं आँखन की देखी -- ललित शर्मा
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बहुत परेशान हैं बेचारे यमराज ...
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आशा है आपको आज का बुलेटिन पसन्द आया होगा.. कल कुछ और खबर बाचेंगे.. तब तक के लिए देव बाबा को इज़ाजत दीजिए..
जय हिन्द
बहुत बढिया बुलेटिन
जवाब देंहटाएंआज तो चलते चलते मुझे भी आपने शामिल कर दिया.. शुक्रिया
पठनीय और रोचक सूत्र..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत खूब देव बाबू बढ़िया बुलेटिन लगाएँ है !
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