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बुधवार, 4 जुलाई 2012

एक आतंकवाद ऐसा भी - अनचाहे संदेशों का ... - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

माफ कीजिएगा पिछले कुछ दिनो से थोड़ा असक्रिय था कारण आपको मेरी पोस्ट से पता चला होगा ! 
'ज़िन्दगी चलने का नाम है' ... आइए चलते है आज की ब्लॉग बुलेटिन की ओर ...
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कंप्यूटर से जिनका नाता है और जो ई-मेल करते हैं, वे सभी स्पैम से अच्छी तरह वाकिफ होंगे। दरअसल, इनबाक्स में आने वाले अनचाहे संदेशों को ही स्पैम कहा जाता है। वैसे इसका इतिहास 30 साल पुराना है। दो मई 1978 को गैरी थूरक नाम के एक शख्स ने इसकी शुरुआत की थी।
आज हालत यह है कि दुनिया भर में हर रोज ऐसे बारह करोड़ संदेश भेजे जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इंटरनेट के जरिए होने वाले संचार का यह 85 फीसदी है। अनचाहे संदेश भेजे जाने की प्रक्रिया में तेजी 80 के दशक में आई, जो अभी भी जारी है।
80 के दशक में ही अपने उत्पादों के प्रचार से संबंधित संदेशों का भेजा जाना शुरू हुआ। पर स्पैमिंग की दुनिया में हलचल मचाने वाला वाकया 1994 में हुआ। इस साल आरिजोना के दो वकीलों ने ग्रीन कार्ड मुहैया कराने संबंधी सेवाओं का विज्ञापन अनेक लोगों के पास भेजा। इस अनचाहे संदेश को प्राप्त करने वालों की संख्या इतनी अधिक थी कि उस समय यह चर्चा का विषय बन गया।
इन दोनों वकीलों को यह अहसास हो गया कि वे अपने मकसद में कामयाब रहे हैं। इस वजह से उन्होंने अनचाहे संदेश भेजने का धंधा ही शुरू कर दिया। उस दौर में दुनिया तेजी से बाजारीकरण और औद्योगिकरण की ओर बढ़ रही थी, इसलिए विज्ञापन के नए-नए तरीके तलाशे जा रहे थे। ऐसे में इन वकीलों को अनचाहे संदेश भेजने के लिए कुछ अच्छे अनुबंध भी हासिल हो गए। बाद में इस जोड़ी ने जंक मेल के जरिए पैसा कमाने के गुर सीखाने वाली एक पुस्तक भी लिख डाली।
अनचाहे संदेश भेजे जाने का यह धंधा अभी जोरों पर है। इसमें संदेश भेजने वाले को रकम प्रति संदेश के बजाए हजारों अनचाहे संदेशों के एवज में दी जाती है। ईमेल जैसी बेहतरीन सुविधा का दुरुपयोग करके अनचाहे संदेश भेजने के मामले में अमेरिका शीर्ष पर है। उसकी हिस्सेदारी 28.4 फीसदी है। दूसरे पायदान पर 5.2 फीसदी के साथ दक्षिण कोरिया है, जबकि साइबर युद्ध का अगुआ चीन 4.9 फीसदी के साथ तीसरे स्थान पर है।
सूचना क्राति के लिए दुनिया भर में ख्याति पा चुका भारत इस सूची में काफी नीचे है। कहना न होगा कि ईमेल ने आज कई कामों को बेहद आसान कर दिया है। पलक झपकते मीलों का फासला तय करके इस सुविधा के जरिए संदेश अपने मंजिल तक पहुंच जाता है।
आज हालत यह है कि अनचाहे संदेशों ने इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की नाक में दम कर रखा है। आफत तो तब आ जाती है, जब इन अनचाहे संदेशों के जरिए वायरस का हमला होता है।
हालाकि, इसे रोकने के लिए मेल की सेवा उपलब्ध कराने वाली साइटों ने कुछ बंदोबस्त तो किए हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं। ऐसी हालत में इन अनचाहे संदेशों को झेलने के अलावा कोई विकल्प नजर नहीं आता है। हा, इन अनचाहे संदेशों की मार्फत होने वाले वायरस के हमले से बचने के लिए विशेष एहतियात बरतने की दरकार है। कंप्यूटर के बढ़ते इस्तेमाल से एक तरफ जहा काम की गति बढ़ी है, वहीं दूसरी तरफ इसने कई तरह के नए खतरों को भी जन्म दिया है।
कंप्यूटर का इस्तेमाल करने वाले मैकेफी के नाम से वाकिफ होंगे। एंटी वायरस बनाने वाली कंपनियों में मैकेफी का बड़ा नाम है। कंपनी की सालाना मैकेफी वर्चुअल क्रिमिनोलॉजी रिपोर्ट में यह बताया गया है कि दुनिया अब एक नए तरह के युद्ध की ओर बढ़ रही है। तकनीक के इस जमाने में अब लड़ाई गोली-बंदूक और मिसाइलों से नहीं, बल्कि साइबर व‌र्ल्ड में होगी।
कुछ दशक पहले तक संभवत: किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि दुनिया इस कदर इंटरनेट पर आधारित हो जाएगी। आज हालत यह है कि सूचनाओं के आदान-प्रदान का प्रमुख जरिया इंटरनेट बन गया है। गुप्त से गुप्त रणनीतिक सूचनाओं का आदान-प्रदान इस माध्यम के जरिए हो रहा है। इसके अलावा सूचनाओं के संग्रहण के लिए भी इंटरनेट का इस्तेमाल जमकर किया जा रहा है। यही वजह है कि अब दुश्मनी साधने के लिए सामने जाना जरूरी नहीं रह गया है। अब इस काम को माउस और कीबोर्ड के सहारे कंप्यूटर के जरिए कहीं भी बैठकर अंजाम दे पाना तकनीक के धुरंधरों के लिए संभव हो गया है।
दरअसल, इंसानी जीवन और पूरी व्यवस्था के संचालन में साइबर तकनीक का महत्व काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विकास जिस गति से हो रही है, उस गति से सुरक्षात्मक उपाय नहीं हो रहे हैं। जो भी सुरक्षात्मक उपाय किए जाते हैं, वे कुछ ही दिनों में नाकाफी साबित हो जा रहे हैं।
यही वजह है कि अब कुछ देशों में साइबर सैनिक की अवधारणा विकसित हो रही है। यही वजह रही होगी, जिसके आधार पर मैकेफी ने यह कहा है कि आने वाले बीस से तीस सालों में साइबर हमले युद्ध के एक अहम तत्व बन जाएंगे।
बहरहाल, साइबर सैनिक से तात्पर्य यह है कि अब सरकारें खुद तकनीक के धुरंधरों को नौकरी पर रख रही हैं। इनका काम है बनी वेबसाइट की रक्षा करना और प्रतिस्पर्धी देशों की वेबसाइट को हैक करके वहा से गुप्त सूचनाओं को हासिल करना। इस मामले में चीन को बहुत आगे बताया जा रहा है। कई देशों में हुए साइबर हमले के बारे में जब पड़ताल की गई तो पता चला कि जिस कंप्यूटर का इस्तेमाल संबंधित हमले को अंजाम देने के लिए किया गया, वह चीन में किसी स्थान पर है। आईपी पते के जरिए यह पता लगाना संभव हो पाता है। कहा तो यहा तक जा रहा है कि चीन ने हर देश के अलग-अलग विभाग की वेबसाइटों को बेधने के लिए अलग-अलग स्तर पर साइबर वार के धुरंधरों को तैनात कर रखा है।
पाकिस्तान में भी ऐसा प्रयोग चल रहा है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि पाकिस्तान में बैठे हुए हैकर औसतन हर रोज भारत के तकरीबन 50 वेबसाइटों को हैक करते हैं, जबकि भारत के हैकर पाकिस्तान के औसतन दस वेबसाइटों को रोज हैक करते हैं। मैकेफी का ही अनुमान है कि दुनिया के तकरबीन 120 देश साइबर जासूसी के खौफनाक खेल में शामिल हैं।
बताते चलें कि भारत में वेबसाइटों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है और उतनी ही तेजी से इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या बढ़ रही है। अमेरिकी एजेंसी कामस्कोर के मुताबिक भारत में इंटरनेट प्रयोक्ताओं के संख्या में 17 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है। सिर्फ पिछले साल सितंबर में ही भारत में 3.58 करोड़ लोगों ने पहली बार इंटरनेट का प्रयोग किया। भारत में जिस तेजी से इंटरनेट का प्रसार हो रहा है, उस तेजी से यहा सुरक्षात्मक तकनीक नहीं विकसित हो रही है। यही वजह है कि यहा की सरकारी वेबसाइटों को भी आसानी से हैक कर लिया जाता है। साइबर हमलों से बचने के लिए आवश्यक बंदोबस्त करना बेहद जरूरी है।

सवाल यह भी पैदा होता है कि इस से बचने के लिए क्या किया जाये ??? 

साफ है कि जब इतनी बड़ी बड़ी कंपनियाँ इस समस्या पर काबू नहीं कर पाई तो हम और आप भला किस खेत की मुली है ... पर ऐसा भी नहीं है कि हम कुछ भी नहीं कर सकते ... हमारे पास जितनी भी मेल आती है उसमे से जिस पर हमें शक हो कि यह स्पैम है उसको स्पैम के रूप मे जरूर टैग करें ताकि आपके ईमेल सेवादाता को भी इस की जानकारी हो सके और वो और भी बेहतर सेवा दे सके ! 

सादर आपका 


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posted by Anupama Tripathi at anupama's sukrity. 
आई ....सावन ऋतू आई ..भरमाई.. सुघड़ नार सी बलखाई ..बौराई ...इठलाई ... फिर ...शरमाई ...!! फिर घूम घूम ..झूम झूम ...घटा छाई ...!! काहे बुंदियन बरसान आई ...?? खिल-खिल लजाई ... रस फुहार लाई ...!! आई आ...
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अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिंद !!

12 टिप्‍पणियां:

  1. स्पैम की कहानी और उपयोगिता. बहुत ही अच्छा बुलेटिन बना है.

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  2. सामयिक विषय और बढ़िया लिंक्स का संगम

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  3. वाह मेहनत से तैयार किया गया बहुत बढ़िया बुलेटिन बढ़िया जानकारी के साथ ...!!बहुत आभार मेरी रचना को स्थान दिया ...!!

    शुभकामनायें शिवम ...!!

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  4. बढिया बुलेटिन....शामिल करने का आभार

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  5. बेहतरीन लिंक्स, सुंदर बुलेटिन।

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  6. बढ़िया जानकारी और बढ़िया लिंक्स. धन्यवाद शिवम् जी!!

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  7. स्पैम से सम्बंधित उपयोगी जानकारी ...
    अच्छे लिंक्स का संकलन !

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  8. बहुत ही बेहतरीन बुलेटिन प्रस्तावना शिवम भाई । हमको इसका तनिक भी ज्ञान नहीं था । लिंक्स हमेशा की तरह बढिया और शानदार हैं । बहुत बहुत शुक्रिया , जमाए रहिए

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