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सोमवार, 11 जून 2012

आज का दिन , 'बिस्मिल' और हम - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

आज जब यह देखा जाता है कि लोग अपना इतिहास भूलते जा रहे है ऐसे मे यह उम्मीद रखना कि उनको इतिहास के नायको की याद आएगी ... व्यर्थ है ... ऐसे मे मैनपुरी जनपद भी कोई अपवाद नहीं !
आज ११ जून है ... अमर शहीद पंडित राम प्रसाद 'बिस्मिल' जी की ११५ वी जयंती है आज ! 

राम प्रसाद 'बिस्मिल' भारत के महान क्रान्तिकारी व अग्रणी स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं, अपितु उच्च कोटि के कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। शुक्रवार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी विक्रमी संवत् १९५४ को उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक नगर शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद जी को ३० वर्ष की आयु में सोमवार पौष कृष्ण एकादशी विक्रमी संवत् १९८४ को बेरहम ब्रिटिश सरकार ने गोरखपुर जेल में फाँसी दे दी। 'बिस्मिल' उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रक्खा और ३० वर्ष की आयु में फाँसी चढ़ गये। ग्यारह वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं जिनमें से ग्यारह उनके जीवन काल में प्रकाशित भी हुईं। ब्रिटिश सरकार ने उन सभी पुस्तकों को जब्त कर लिया ।

आज के युवा जो बिस्मिल जी को ही शायद नहीं जानते होंगे उनको तो यह अंदाज़ भी नहीं होगा कि बिस्मिल जी का मैनपुरी से कितना गहरा नाता रहा है ! आप स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान हुये 'मैनपुरी षडयन्त्र' के नायको मे से एक थे और इस के साथ साथ मैनपुरी जिले के कोसमा मे भी कुछ दिन अपनी सगी बहन शास्त्री देवी के घर रहे थे ... यह बात और है कि उनके प्रवास के दौरान उनकी बहन भी उन्हें पहचान नहीं पायी थी ... तो फिर भला पुलिस कैसे पहचानती !?
 
मैनपुरी से 'बिस्मिल' जी के रिश्ते को विस्तार से जानने के लिए पढ़ें :- 
 
सादर आपका 
 
 
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posted by महेन्द्र श्रीवास्तव at आधा सच...
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posted by Suman at लो क सं घ र्ष ! 
पितृसत्तात्मक व्यवस्था की बेड़ियों को तोड़कर महिलाओं के स्वयंसिद्धा बनने की प्रक्रिया समाज के प्रजातंत्रीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण का अविभाज्य हिस्सा है। यद्यपि भारतीय संविधान ने आज से 62 साल पहले ही महिलाओं ...

दो चीज़ें सोचा था जिंदगी में कभी अकेले नहीं कर पाउंगी....अकेले किसी रेस्टोरेंट में जाना...या फिर अकेले कोई फिल्म देखना. लगता था दोनों ही चीज़ें कभी भी इतनी जरूरी नहीं होंगी कि उनके बिना काम ना चल सके. कभी...

posted by ताऊ रामपुरिया at ताऊ डाट इन 
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posted by Atul Shrivastava at अंदाज ए मेरा 
यह लोकतंत्र का कौन सा चेहरा है? लोकतंत्र में बहुदलीय प्रणाली की व्यवस्था है। अलग-अलग दलों के लोग चुनाव मैदान में होते हैं और उनमें से जनता को एक को चुनना होता है। बहस होती है, कि सब के सब भ्र्रष्ट हैं। स...
posted by नवीन प्रकाश at Hindi Tech - तकनीक हिंदी में 
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने नेट बैंकिंग सुविधा के उपयोग को और आसान बनाते हुए इसका मोबाइल संस्करण भी जारी आकर दिया है । वैसे मोबाइल पर पहले भी नेट बैंकिग की साईट पर पहुंचा जा सकता था पर चूँकि ये वेबसाइट कंप्य...
posted by सतीश सक्सेना at मेरे गीत ! 
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posted by मुकेश पाण्डेय चन्दन at मुकेश पाण्डेय "चन्दन" 
ताज महल नहीं तेजोमहल, मकबरा नहीं शिवमन्दिर ।। बी.बी.सी. कहता है........... ताजमहल........... एक छुपा हुआ सत्य.......... कभी मत कहो कि......... यह एक मकबरा है.......... प्रो.पी. एन. ओक. को छोड़ कर किसी ने ...
posted by Puja Upadhyay at लहरें 
जन्मदिन...यानि एक दिन की बादशाहत. उस दिन सब कुछ आपकी मर्जी का...जो भी मांगो सब पूरा हो जाए. अभी तक के सारे जन्मदिन ऐसे ही रहे हैं. राजकुमारी जैसे. इस बार वाला कुछ अलग था. रिअलिटी चेक. मेरी कुक को मैंने इस...

posted by Vibha Rani Shrivastava at " सोच का सृजन " 
* * * * *वसंत के मोहक वातावरण में , धरती हंसती , खेलती जवान हुई , ग्रीष्म की आहट के साथ-साथ धरा का यौवन तपना शुरू हुआ , जेठ का महीना जलाता-तड़पाता उर्वर एवं उपजाऊ बना जाता , बादल आषाढ़ का उमड़ता...

* * *विवाहित होते हुए भी अविवाहित दिखने की होड़*** पिछले पाँच सालों में मुझे यह विवाहित होते हुए भी खुद को अविवाहित दिखाने की होड़ यहाँ मतलब UK में कुछ ज्यादा ही देखने को मिली। यहाँ भारतीय हिन्दू महिलायें...

posted by महफूज़ अली (Mahfooz Ali) at लेखनी... 
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posted by सुमन कपूर 'मीत' at बावरा मन 
14 अप्रेल 1984 में वीर प्रताप अखबार में प्रकाशित मॉम की कविता * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *मुझे याद है* *जब भी वहाँ * *‘उस’ खिडकी से * *झाँका करती थी * *देखा करती थी मैं * *दूर गगन में* *ऊ...
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आखिर मे एक बार फिर...

posted by शिवम् मिश्रा at बुरा भला 
राम प्रसाद 'बिस्मिल' (जन्म: ११ जून १८९७ फाँसी: १९ दिसम्बर १९२७) *राम प्रसाद 'बिस्मिल' *भारत के महान क्रान्तिकारी व अग्रणी स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं, अपितु उच्च कोटि के कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इ...

अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की ११५ वी जयंती पर पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और आप सभी की ओर से उनको शत शत नमन ! 

वन्दे मातरम !!
 
इंकलाब ज़िंदाबाद !!

15 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया लिंक्स, अनुकरणीय संयोजन, शिवम् जी आभार.

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  2. बहुत सुंदर बढ़िया लिंक दिए है ...
    आभार शिवम !

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  3. अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की ११५ वी जयंती पर मेरी ओर से उनको शत शत नमन !
    आभार भाई .... आपके स्नेह की ऋणी हूँ .... !!

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  4. आभार..

    बढिया लिंक्‍स।
    बेहतरीन जानकारी।

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  5. अच्छा बुलेटिन
    मैं भी हूं यहां
    बहुत बहुत आभार

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  6. अच्छे लिंक्स का संयोजन है
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. इंकलाब ज़िंदाबाद !! तब का ज़ज्बा आज भी कहीं न कहीं है
    सारे लिंक्स जिंदाबाद !!!

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  8. अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की ११५ वी जयंती पर मेरा उनको शत शत नमन. अच्छा बुलेटिन.

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!