Pages

मंगलवार, 8 मई 2012

क्या भारत वाकई में आर्थिक महाशक्ति है? ब्लॉग बुलेटिन

भाई हमको हमेशा यह बात कही जाती है की हम दुनिया की बडी अर्थव्यवस्था हैं, और हमारी गिनती दुनिया के सबसे ताकतवर देशों के बीच होती है... क्या यह सही है....  शायद जीडीपी का राग अलापती हुई हिन्दुस्तानी सरकार अपनें आंकडों के हिसाब से यह बतानें में सफ़ल हो जाये की भारत की स्थिति अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में कहीं बेहतर है। लेकिन यथार्थ के धरातल पर देखा जाए तो भारत की स्थिति में बडी असमंजस की स्थिति है... मूडीज़ कहता है भारत की सरकार भारत के विकास की सबसे बडी बाधा है, एस एंड पी पहले ही भारत को आऊटलुक निगेटिव श्रेणी में डाल चुका है । विदेशी निवेश में थोडी मंदी आई है, लेकिन स्थिति उतनी खराब नहीं हुई है.... और सरकार के हिसाब से अभी कुछ गडबड नहीं हुई है और हम इस स्थिति से उबर जाएंगे.... शायद तब तक देर हो चुकी होगी और स्थिति भयावह हो चुकी होगी....  क्या कहेंगे....

प्रणव मुखर्जी बोलते हैं सब्सिडी हम दे नहीं सकते और डीज़ल और गैस के सिलिन्डर को बाज़ार के हवाले करना होगा... मतलब पहले से ही मंहगाई की मार से अधमरी जनता को पूरी तरह मारनें का पूरा इंतज़ाम है। सरकार वोडाफ़ोन डील से हुए नुकसान की भरपाई के लिए कानूनी फ़ेरबदल का पूरा मन बना चुकी है और आज सरकार नें "ईंडिया इज़ नाट ए टैक्स हैवेन" जैसे शब्दों का प्रयोग करके कार्पोरेट जगत को सीधी चेतावनी दे दी है। एक तरीके से सही भी है लेकिन कार्पोरेट डील और विदेशी कम्पनियों से होनें वाले सौदों पर आघात भी है।

भारत विकासशील देश है, और हर सेक्टर को पैसा चाहिए... यह पैसा आयेगा कैसे, इसकी जुगाड में सरकार रोती रहती है। टैक्स से होनें वाली कमाई बे-हिसाब है... और आंकडों पर नज़र डालिए तो जानियेगा की भारत की अर्थव्यवस्था लगभग ५६८ अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ विश्व अर्थव्यवस्था में १२ वां स्थान रखती है, लेकिन केवल १.२५ डालर की प्रति व्यक्ति रोजाना आय (भारत की ४२ फ़ीसदी आबादी) इन आंकडों पर पानी फ़ेरनें के लिए काफ़ी है।  (इस लेख को पूरा पढनें के लिए देव बाबा के ब्लाग "राम भरोसे हिन्दुस्तान" पर आपका स्वागत है).. 

---------------------------------------------------------------------------------
आईए अब एक नज़र आज के बुलेटिन की ओर डाली जाए.....
---------------------------------------------------------------------------------

औद्योगिक उत्पादन में कमी गंभीर आर्थिक बीमारी का संकेत   मनोज कुमार at राजभाषा हिंदी 

वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट के दौड़ से गुजर रही है. विकसित देशों में विकास का डर लगातार नकारात्मक हो रहा है. दुनिया भर की निगाहें उन विकासशील और गरीब देशों पर टिकी हैं जहाँ दोहन संभव हो सके. कुछ वर्ष पूर्व भारत भी उन्हीं देशों में से एक था. विकसित देशों की अर्थव्यवस्था के बिगड़ने का सबसे बड़ा कारण होता है खपत में कमी. मांग में संत्रिप्तता. ऐसे में उनकी कंपनियों को नए बाज़ार की तलाश होती है. कभी नई प्रोद्योगिकी के नाम पर, तो कभी विकास के नए सोपान को दिखा कर विकसित देश पहले उन देशों की अर्थव्यवस्था को बाज़ार ... more »

---------------------------------------------------------------------------------

बिहार बाल स्वास्थ्य मॉडल की प्रशंसा  Rajneesh K Jha at आर्यावर्त 

बिहार के बाल स्वास्थ्य मॉडल की प्रशंसा की गई है। गैर सरकारी संगठन 'सेव द चिल्ड्रेन' की रिपोर्ट में बाल स्वास्थ्य की दिशा में बिहार की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना की गई है। इसमें कहा गया है, "बिहार देश के गरीब राज्यों में से एक है। यहां बच्चे विटामिन ए की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं। देश के ग्रामीण इलाकों में विटामिन ए की कमी की समस्या से जूझ रहे बच्चों का 62 प्रतिशत बिहार में है।" विटामिन ए की कमी से जूझ रहे बच्चों को इससे निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2009 में एक योजना चलाई थी, जिससे एक करोड़ 34 लाख बच्चों को लाभ मिला। पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 95 प्रतिशत बच्चों को... more » 
--------------------------------------------------------------------------------- 
 

क्रम जारी है ... रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें...

'तब तो बना दे तू भोले को हाथी ....' खेल से परे एक काल्पनिक काबुलीवाला हींग टिंग झट बोल में बस गया ... जब कोई नहीं होता था पास अपनी नन्हीं सी पोटली खोलती काबुलीवाले को मंतर पढके बाहर निकालती और पिस्ता बादाम मेरी झोली में सच्ची मेरी चाल बदल जाती ! फिर मेरे खेल में मेरे सपनों का साथी बना अलीबाबा और शून्य में देखती मैं 40 चोर 'खुल जा सिम सिम ' का गुरुमंत्र लेते बन जाती अलीबाबा और ..... कासिम सी दुनिया रानी की तरह मुझे देख रश्क करती ! कभी कभी आत्मा कहती - यह चोरी का माल है पर चोरों से हासिल करना हिम्मत की बात है आत्मा को गवाही दे निश्चिन्त हो जाती ... पर कासिम पीछा करता चोर मुझे ढ... more »
 --------------------------------------------------------------------------------- 

लड़ाई जारी है  Randhir Singh Suman at लो क सं घ र्ष !

* * जारी है - जारी है अभी लड़ाई जारी है | यह जो छापा तिलक लगाए और जनेऊधारी है यह जो जात - पात पूजक है यह जो भ्रष्टाचारी है यह जो भूपति कहलाता है जिसकी साहूकारी है उसे मिटाने और बदलने की करनी तैयारी है | यह जो तिलक माँगता है , लड़के की धुस जमाता है कम दहेज पाकर लड़की का जीवन नर्क बनाता है पैसे के बल पर यह जो अनमेल व्याह रचाता है यह जो अन्यायी है सब कुछ ताकत से हथियाता है उसे मिटाने और बदलने की करनी तैयारी है | यह जो काला धन फैला है , यह जो चोरबाजारी है सत्ता पाँव चूमती जिसके , यह जो सरमायेदारी है यह जो यम - सा नेता है , मतदाता की लाचारी है उसे मिटाने और बदलने की करनी तैयारी है | जार... more » 
 
--------------------------------------------------------------------------------- 

वॉट्स विक्‍की डॉनर  Kulwant Happy "Unique Man" at युवा सोच युवा खयालात

*विक्‍की डॉनर *को लेकर तरह तरह की प्रक्रिया आई और आ भी रही हैं। फिल्‍म बॉक्‍स आफिस पर धमाल मचा रही है। फिल्‍म कमाल की है। फिल्‍म देखने लायक है। मैं फिल्‍म को लेकर उत्‍सुक था, लेकिन तब तक जब तक मुझे इसकी स्‍टोरी पता नहीं थी। मुझे पहले पोस्‍टर से लगा कि विक्‍की डॉनर, किसी दान पुण्‍य आधारित है। शायद एक रिस्‍की मामला लगा। जैसे सलमान की चिल्‍लर पार्टी। मगर धीरे धीरे रहस्‍य से पर्दा उठने लगा। हर तरफ आवाज आने लगी, विक्‍की डॉनर, सुपर्ब। बकमाल की मूवी। मैं पिछले दिनों सूरत गया। वहां मैंने पहली दफा इसका ट्रेलर देखा। ट्रेलर के अंदर गाली गालोच के अलावा कुछ नजर नहीं आया। दान पुण्‍य तो दूर की ... more » 
 
 ---------------------------------------------------------------------------------

किसी का जीवन भी व्यर्थ नहीं जाता  डा.राजेंद्र तेला"निरंतर "निरंतर" की कलम से.....

नन्हा चूजा एक दिन बोला अपनी माँ से चील हमारी जान की दुश्मन उसको क्यों बनाया भगवान् ने माँ को समझ नहीं आया कैसे शांत करे चूजे की जिज्ञासा माँ फुर्र से उड़ गयी पकड़ कर लायी एक नन्हे कीड़े को चोंच में चूजे से बोली लो अपना पेट भर लो चूजा बोला पेट बाद में भरूंगा पहले मेरी बात सुन लो मुझे समझ आ गया क्यों भगवान् ने चील को बनाया जिसे भी भगवान् ने बनाया किसी ने किसी के काम आता किसी का जीवन भी व्यर्थ नहीं जाता  
 ---------------------------------------------------------------------------------
 

कट रही है ये जिन्दगी जिन्दगी की तलाश मे  KK at " मेरे जज्बात "

कभी गम की तलाश में कभी ख़ुशी की तलाश में कट रही है ये जिन्दगी जिन्दगी की तलाश में मैंने पूछा, के "ऐ हवा तू भटकती है यूँ क्यूँ .." जवाब आया के "रहती हूँ मैं किसी की तलाश में " ना बहर सीखी कभी ना वज़न नापा लफ़्ज़ों का बस सफहे ही रंगे हमने शायरी की तलाश में हमने तो इश्क में उसको खुदा का दर्जा है दे दिया आप सर मारिये पत्थर पे हाँ, बंदगी की तलाश में 

---------------------------------------------------------------------------------
 

एक और अवतार तो बनता है Ghotoo at परिकल्पना 

*व्यंग्य * * * *जब धरा पर पाप का भार बढ़ता है ** बेईमानी और भ्रष्टाचार बढ़ता है राजा,सत्ता के मद में मस्त होता है आम आदमी परेशान और त्रस्त होता है ऋषियों के तप भंग किये जाते है दुखी हो सब त्राहि त्राहि चिल्लाते है भागवत और पुराण एसा कहते है ऐसे में भगवान अवतार लेते है चुभ रहे सबको मंहगाई के शूल है सारी परिस्तिथियाँ,आपके अवतार के अनुकूल है जनता दुखी है,मुसीबत ही मुसीबत है भगवान जी,अब तो बस आपके अवतार की जरूरत है कई बार आपके आने की आस जगी लेकिन हर बार ,निराशा ही हाथ लगी कंस की बहन देवकी ,कारावास गयी, मगर कृष्ण रूप धर तुम ना आये कई रानियाँ रोज सत्ता की खीर खा रही है, पर राम रूप धर तुम ना... more »
 
 ---------------------------------------------------------------------------------
 

आप ब्लॉगर हैं , लेखनी का इतना अपमान मत कीजिये. ZEAL at ZEAL 

बूढा शेर, शेरखोर लोमड़ी, असुर लोमड़ी, मृत शेरनी की खाल में लोमड़ी, जंगली कुत्ते, दीवाने लकड़बग्घे , बोटी पर लपकने वाला चम्चौड़ कुत्ता, बहादुर बाघ। खच्चर-प्रेस गर्दभ खिसियानी लोमड़ी। ऊदबिलाव आदि आदि... ------------------------------ जी हाँ ये है भाषा आजकल के प्रबुद्ध लेखकों की। जब कोई स्त्री अपने दम पर आगे बढती है, सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयों पर लिखती है और अनायास किसी की जी- हुजूरी नहीं करती तो कुछ लोगों की आँख की किरकिरी बन जाती है। वे उस स्त्री को शेरनी की खाल में लोमड़ी कहते हैं। और जो उस स्त्री का साथ देगा उसे "चम्चौड़ कुत्ता" कहा जाएगा। गालियाँ देने के लिए सदियों से मूक और निर्... more »
 
 ---------------------------------------------------------------------------------

सच्चे का मुंह काला ... झूठे का बोलबाला  आज़ाद पुलिस at आज़ाद पुलिस 

आज़ाद पुलिस की वर्षों संघर्ष का कोई निष्कर्ष नहीं निकला.... हज़ारों चिट्ठियाँ राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और तमाम प्रशासनिक अधिकारियों को लिखने के बावजूद भी किसी समस्या पर आज तक सुनवाई नहीं की गयी... तिरंगा नाम के गुटखे के पाउच पर "तिरंगा" झंडे का निशान तिरंगे का सरासर अपमान है... आज़ाद पुलिस की ओर से यह मुद्दा कई वर्षों से उठाया जा रहा है परन्तु आज तक इस कंपनी पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गयी...आज भी तिरंगे के नाम पर गुटखा सरे बाज़ार बिक रहा है और लोग गुटखा खा कर तिरंगे पर थूक रहे हैं... इस सम्बंध मे सैकड़ों पत्र हर बड़े अधिकारी यहाँ तक कि मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति तक लिखे जा चुके ह... more »
 
 ---------------------------------------------------------------------------------

मेरे गीत - सतीश सक्सेना सतीश सक्सेना at मेरे गीत ! 

*सबसे पहला गीत सुनाया * *मुझे सुलाते , अम्मा ने ! * *थपकी दे दे कर बहलाते * *आंसू पोंछे , अम्मा ने !* *सुनते सुनते निंदिया आई,आँचल से निकले थे गीत !* *उन्हें आज तक **भुला* *न पाया **,बड़े मधुर थे मेरे गीत !* * * *आज तलक वह मद्धम स्वर * *कुछ याद दिलाये कानों में ** * *मीठी मीठी लोरी की धुन * *आज भी **आये, कानों में ! * *आज जब कभी ** नींद ना आये,कौन सुनाये मुझको गीत ! * *काश कहीं से मना के लायें , मेरी **माँ को , मेरे गीत !* * * *मुझे याद है , **थपकी देकर * * माँ अहसास दिलाती थी **! * *मधुर गुनगुनाहट सुनकर * *ही,आँख बंद हो जाती थी !* *आज वह लोरी उनके स्वर में, कैसे गायें मेरे गीत !*... more »
 
---------------------------------------------------------------------------------
 आशा है आपको अर्थव्यवस्था से गीत तक का सफ़र पसन्द आया होगा.... तो आज का बुलेटिन यहीं तक और मिलते हैं एक ब्रेक के बाद..... तब तक के लिए देव बाबा की राम राम
---------------------------------------------------------------------------------

8 टिप्‍पणियां:

  1. आलेख विचारणीय है देव! कई कड़ियाँ भी अच्छी हैं फिर भी प्रतिनिधि आलेख चुनने में कुछ और श्रम अपेक्षित है। शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूबसूरत पोस्ट लिंक्स सहेजे हैं देव बाबा । बहुत बढिया

    जवाब देंहटाएं
  3. यह मामला तो चचा गालिब के शेर की तरह लगता है ... "दिल के खुश रखने को ..."

    बेहद उम्दा आलेख के साथ साथ उम्दा लिंक्स !

    जवाब देंहटाएं
  4. कमाल की बुलेटिन है जो सोचने पर भी विवश करती है और मनोरंजन भी.. मगर बुलेटिन इम से शिकायत है कि आज की बुलेटिन में स्थायी सदस्यों के जन्म दिन पर बधाई देना तो बनता है..
    हैप्पी जन्मदिन, अजय बाबू!!

    जवाब देंहटाएं
  5. @सलिल दादा केवल यह सोच कर यहाँ कुछ भी नहीं किया कि फिर यह आरोप लगते है कि आप केवल अपने लोगो पर ही ध्यान देते है ! इस लिए मैंने अपने ब्लॉग पर पोस्ट लगाई है !

    जवाब देंहटाएं
  6. शिवम जी,..आपका ब्लॉग "भला बुरा" नही खुल पा रहा इसलिए अजय जी को जन्म दिन की बधाई यहीं दे रहा हूँ....

    अजय जी,...जन्म दिन की बहुत२ बधाई शुभकामनाए,...


    my recent post....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!