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बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

आंखों पर हावी न होने पाए ब्लोगिंग - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

कंप्यूटर या लैपटॉप हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। इनसे हमारा काम तो आसान होता है, लेकिन सेहत भी प्रभावित होती है, विशेषकर आंखें। आंखों में होने वाली समस्या को 'कंप्यूटर विजन सिंड्रोम' कहते हैं।
लक्षण : आंखों और सिर में भारीपन, धुंधला दिखना, जलन होना, पानी आना, खुजली होना, सूखापन, पास की चीजें देखने में दिक्कत होना, रंगों का साफ न दिखना एव रंगों को पहचानने में परेशानी होना, एक वस्तु का दो दिखाई देना, अत्यधिक थकान, गर्दन, कंधों एव कमर में दर्द होना।

बचाव :

* कंप्यूटर पर काम करते वक्त पलकों को झपकाते रहना चाहिए। इससे आँख की पुतली के ऊपर नमी बनी रहती है।
* एंटीरिफ्लेक्टिव कोटिंग वाले चश्मे का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
* कंप्यूटर वाले स्थान पर पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए।
* स्क्रीन आंख से 15 डिग्री नीचे की तरफ होनी चाहिए। दोनों के बीच लगभग 25 इंच की दूरी हो। बच्चों के लिए यह दूरी 28 इंच होनी चाहिए।
* हर 15 से 20 सेकेंड में स्क्रीन से नजर हटा कर कहीं और देखना चाहिए। हर एक घटे बाद 5 से 10 मिनट का ब्रेक लें।
* कुर्सी से थोड़ा उठ कर इधर-उधर चलना चाहिए।
* आंखों की समस्या से जूझ रहे लोग पीसी के सीधे सपर्क से बचें, इससे आखों में सूखापन और बढ़ जाता है। 

तो अब आप इन बातो का ख्याल रखते हुए ही ब्लोगिंग करें ... फिलहाल चलते है आज की ब्लॉग बुलेटिन की ओर ... 

सादर आपका 


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posted by RITU at कलमदान
*बैठती नहीं हर डालपर बुलबुल हर वृक्ष खुशनसीब नहीं होता करती नहीं कोलाहल हर बगीचे में बुलबुल हर बाग़ खुशनसीब नहीं होता खिलते नहीं हर गुंचे में गुल * * हर हार खुशनसीब नहीं होता मिलते नहीं नदिया के दो ...

posted by विवेक मिश्र at अनंत अपार असीम आकाश
तू चैन है मेरे दिल की और , हमराज है मेरे राजो की । फिर भी तू मुझे सताती है , क्यों दूर यूँ मुझसे जाती है । तू पल दो पल को आती है , पल भर में गायब हो जाती है । मुझे तडफता देख के शायद... जाने कितने बादल आये...

posted by डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) at उच्चारण
*इक पुराना पेड़ है अब भी है हमारे गाँव में।*** *चाक-ए-दामन सी रहा अब भी हमारे गाँव में।।*** *सभ्यता के ज़लज़लों से लड़ रहा है दिन-रात**,*** *रंज-ओ-ग़म को पी रहा अब भी हमारे गाँव में।*** *मिल रही उसको तस...

posted by dheerendra at काव्यान्जलि ... 
आज के नेता... आज के नेता एक अरब लोगों को पागल बना रहे है अलग अलग पार्टी बनाकर हमे आपस में लडवाकर अपना मतलब निकाल रहे है, कर रहे है बड़े बड़े घोटाले रिश्तेदारों को टिकट दिला रहे है साले भ्रष्टाचार कर भर ...

posted by अनुपमा पाठक at अनुशील
दिखता भले नहीं, पर ईश्वर यहीं कहीं है! ये दृश्य का दोष नहीं... अगर हमारे पास दृष्टि ही नहीं है! एक भोली सी मुस्कान में वह है... कभी महसूस हुई थी जिसमें, उस ध्यान में वह है... ज़िन्दा है वह टूटती हुई सांसों...

posted by Smart Indian - स्मार्ट इंडियन at खस्ता शेर - खुदा खैर
(अनुराग शर्मा) जौहरी जौहर न करे चाची पिये न चाय दुनिया उल्टी चल पड़ी आय जेब से जाय एडवांस में फीस ली, डेट करी एडवांस पैसा लेके भग लिये, काम का नक्को चांस वोट मांगने आ गये, जोड़ रहे अब हात पाँच बरस तक पेट ...

posted by Lalit Kumar at दशमलव
आपको याद होगा कि कुछ समय पहले मैंने “अच्छे ब्लॉग्स की ज़रूरतें” नामक एक लेखमाला तैयार कर आपके सामने पेश की थी। इस लेखमाला को हिन्दी ब्लॉगर्स ने खूब सराहा और इसमें कही बातों पर अमल करके कई नए पुराने हिन्दी ब...

posted by कुमार राधारमण at स्वास्थ्य-सबके लिए
वमनकर्म आयुर्वेदीय पंचकर्म में पहला क्रिया विधान है। वमन का शाब्दिक अर्थ होता है उल्टी करना। उल्टी रोग लक्षण भी है लेकिन शरीर के शोधन में जब वमनकर्म की बात करते हैं तो अभिप्राय उल्टी करवाकर रोगों का निवार...

posted by आवेश तिवारी at नेटवर्क6 
दरअसल ये देश चलाने के नियम -कायदों को परिवारवाद और व्यक्तिवादी तरीके से ढालने की कोशिशों का एक फ्रेम है |केंद्र की यूपीए सरकार ने पहले २जी घोटालों और फिर लोकपाल के मुद्दे पर चारों खाने चित्त होने के बाद एक...

posted by उदय - uday at कडुवा सच ...
उसे तुम किसके गुनाहों की सजा दे रहे हो ? उस गुनाह की जो उसने किया नहीं ! या फिर उस गुनाह की जो खुद उसके सांथ हुआ है !! वह पीड़ित है !!! बलात्कार हुआ है ... उसके सांथ उसकी आबरू लूटी गई है सच ! गुनहगार त...

posted by noreply@blogger.com (प्रवीण पाण्डेय) at न दैन्यं न पलायनम् 
नकारात्मकता से सदा ही बचना चाहता हूँ, बहुत प्रयास करता हूँ कि किसे ऐसे विषय पर न लिखूँ जिसमें पक्ष और विपक्ष के कई पाले बना कर विवाद हो, विवाद में ऊर्जा व्यर्थ हो, ऊर्जा जो कहीं और लगायी जा सकती थी, सकारा...

posted by अमित श्रीवास्तव at "बस यूँ ही " .......अमित 
बर्फ से गाल पे, लुढकी दो बूंदे, आंसुओं की, गुनगुनी सी | बन गई लकीर, नमक की | लोग कह उठे, चेहरे पे उसके, तो नमक है | मन की भाप, कितनी उठी होगी, कितनी सूखी होगी, तब शायद, बना होगा, नमक चेहरे पे | *गुनगुने आंस...

posted by सुमित प्रताप सिंह at सुमित प्रताप सिंह 
प्रिय मित्रो सादर ब्लॉगस्ते! दोस्तो लंदन शहर कितना खूबसूरत है. यहाँ की हर इमारत,हर गली,हर दुकान अद्भुत छटा लिए हुए है. टावर ब्रिज, वेस्टमिंस्टर महल, ब्रिटिश संग्रहालय व रोयल अलबर्ट हॉल इत्यादि द...

मर्लिन मनरो के नाम की बिल्डिंग कोई आलेख या पुस्तक पढ़कर उसके अंश अपने ब्लॉग पर शेयर करने पर सिर्फ दूसरों से ये जानकारी बांटने का संतोष ही नहीं मिलता...बल्कि उनमे कुछ और नई जानकारियाँ भी जुड़ जाती हैं. अव...

posted by Udan Tashtari at उड़न तश्तरी .... 
मेरे मनोभावों का अनवरत अथक प्रवाह बना रहता है. और फ़िर शुरू हो जाती है एक खोज - एक प्रयास - उन्हें बेहतरीन शब्दों का जामा पहनाने की. उन्हें कुछ इस तरह कागज पर उतार देने की चाहत कि पढ़ने वाला हर पाठक खो जाय...
posted by Er. Shilpa Mehta at निरामिष
सामिष / निरामिष भोजन और स्वास्थ्य [ *नोट:* इस लेख की इन सब बातों में जानते बूझते ही क्रूरता आदि की बात नहीं की जा रही है। यह पोस्ट सिर्फ और सिर्फ स्वास्थ्य के विभिन्न पक्षों का तुलनात्मक अध्ययन है |] स्व...


posted by मनोज पटेल at पढ़ते-पढ़ते 
*प्रिय कवि-कथाकार उदय प्रकाश जी ने आज अपने इस फेसबुक नोट में मुझे टैग किया. मुझे लगा कि इसे हिन्दी में भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए. * * * * * * कला को 'सचमुच' सराहने वाले कितने लोग हैं * (अनुवाद : मनोज पट...
यूँ तो वो सबके हैं मगर केवल मेरे हैं तभी कहता है इंसान जब पूरा उसमे डूब जाता है जैसे गोपियाँ … तुम केवल मेरे हो , आँखों के कोटर मे बंद कर लूंगी श्याम पलकों के किवाड लगा दूंगी ना खुद कुछ देखूंगी ना तोहे ...

१३ फ़रवरी २०१२ को जानेमाने शायर शहरयार का इन्तकाल हो गया। कुछ फ़िल्मों के लिए उन्होंने गीत व ग़ज़लें भी लिखे जिनका स्तर आम फ़िल्मी रचनाओं से बहुत उपर है। 'उमरावजान', 'गमन', 'फ़ासले', 'अंजुमन' जैसी फ़िल्मों...
posted by जयदीप शेखर at नाज़-ए-हिन्द सुभाष 

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अब एक पोस्ट ख़ास हमारे मैनपुरी के लोगो के नाम 

posted by शिवम् मिश्रा at मेरा मैनपुरी
*आज कल मैनपुरी जनपद में भी उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सों की तरह चुनावी माहौल चल रहा है ... आप में से भी बहुतो ने पहले भी अपने अपने मतदाता होने के अधिकारों का उपयोग किया होगा और बहुत से शायद पहली बार ऐसा करन...

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फिर मुलाकात होगी ... अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिंद !!!

25 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन लिंक्स का संयोजन है
    बढ़िया प्रस्तुति:-)

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  2. सच कहा ..नेट अधिकता से कंधे का दर्द हम भी झेल चुके हैं.
    बढ़िया बुलेटिन.

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  3. बहुत परिश्रम किया है आपने ब्लॉगबुलेटिन सजाने में!
    आभार!

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  4. बहुत बढ़िया,बेहतरीन मनोहारी ब्लॉग बुलेटिन,
    सुंदर लिंक संयोजन,और मेरी रचना शामिल करने के लिए...शिवम जी, बहुत२ आभार,बधाई ...

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  5. आभार!
    श्रमसाध्य प्रशंसनीय कार्य!

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  6. सार्थक कार्य...
    आपका आभार शिवम् जी!!

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  7. shaandaar-jaandaar prastuti ... nirantartaa banaaye rakhen ... shubhakaamanaayen ...

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  8. सही सुझाव, एक से बढ़कर एक लिंक्स

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  9. एक और बीमारी जो इससे जुडी है,जिससे मैं पीड़ित रहा और अभी तक पूरी तरह निरोग नहीं हो पाया... टाइपिंग टेनिस एल्बो.. मेरे डॉक्टर ने बताया कि बिना कुहनियों को सपोर्ट दिए लगातार टाइप करने से मुझे यह परेशानी हुई है..
    अच्छा बुलेटिन.. ज्ञानवर्धक!!!!

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  10. बढिया जानकारी।
    बेहतरीन बुल‍ेटिन।

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  11. आपका बहुत बहुत आभार 'कलमदान ' को ब्लॉग बुलेटिन में स्थान देने के लिए..
    सभी लिनक्स पठनीय हैं..
    kalamdaan.blogspot.in

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  12. jahaan tak sambhav ho lap top kaa upyog kisi table par rakh kar desk top ki tarah hi karae

    aankho kae allawaa shoulder or back bone kaa khyaal rakhna behad jaruri haen

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  13. अच्छा बुलेटिन, उपयोगी जानकारी - आभार!

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  14. शिवम भैया गजब बुलेटिन बना डाला...

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  15. सुंदर लिंक संयोजन के साथ बढ़िया मनोहारी ब्लॉग बुलेटिन देखने को मिला जिसके लिये शिवम जी आपको बधाइया।
    साथ ही मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार ।

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  16. एक अच्छी जानकारी ,सीख के रूप मे.... !! बहुत अच्छे लिंक्स की जानकारी भी मिली..... !!

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  17. उपयोगी जानकारी...अच्छे लिंक्स मिले....शुक्रिया

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  18. अत्यंत अच्छी लगी सारी रचनाएं..
    आभार ,शिवम् जी |

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  19. बेहतरीन लिंक्स के साथ-साथ ब्लोग्गर्स की आँखों को होने वाले नुक्सान से बचाने की बढ़िया तरकीबें बताई आपने.. आभार!

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!