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रविवार, 15 जनवरी 2012

तेरी कुड़माई हो गई है ?- गुम्बद बताता है कि नींव कितनी मजबूत है - ब्लॉग बुलेटिन

जैसा कि आप सब से हमारा वादा है ... हम आप के लिए कुछ न कुछ नया लाते रहेंगे ... उसी वादे को निभाते हुए हम एक नयी श्रृंखला शुरू कर रहे है जिस के अंतर्गत हर बार किसी एक ब्लॉग के बारे में आपको बताया जायेगा ... जिसे हम कहते है ... एकल ब्लॉग चर्चा ... उस ब्लॉग की शुरुआत से ले कर अब तक की पोस्टो के आधार पर आपसे उस ब्लॉग और उस ब्लॉगर का परिचय हम अपने ही अंदाज़ में करवाएँगे !

आशा है आपको यह प्रयास पसंद आएगा ! 

आज मिलिए ...  माधवी शर्मा गुलेरी जी से ...

 
 

'तेरी कुड़माई हो गई है ? हाँ, हो गई।.... देखते नहीं, यह रेशम से कढा हुआ सालू।'' जेहन में ये पंक्तियाँ और पूरी कहानी आज भी है .चंद्रधर शर्मा गुलेरी ' जी की ' उसने कहा था ' प्रायः हर साहित्यिक प्रेमियों की पसंद में अमर है . अब आप सोच रहे होंगे किसी के ब्लॉग की चर्चा में यह प्रसंग क्यूँ , स्वाभाविक है सोचना और ज़रूरी है मेरा बताना . तो आज मैं जिस शक्स के ब्लॉग के साथ आई हूँ , उनके ब्लॉग का नाम ही आगे बढ़ते क़दमों को अपनी दहलीज़ पर रोकता है - " उसने कहा था " ब्लॉग के आगे मैं भी रुकी और नाम पढ़ा और मन ने फिर माना - गुम्बद बताता है कि नींव कितनी मजबूत है ! जी हाँ , 'उसने कहा था ' के कहानीकार चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी की परपोती माधवी शर्मा गुलेरी का ब्लॉग है - 'उसने कहा था ' - http://guleri.blogspot.com/
माधवी ने २०१० के मई महीने से लिखना शुरू किया ... 'खबर' ब्लॉग की पहली रचना है , पर 'तुम्हारे पंख' में एक चिड़िया सी चाह और चंचलता है , जिसे जीने के लिए उसने कहा था की नायिका की तरह माधवी का मन एक डील करता है रेस्टलेस कबूतरों से -
"क्यों न तुम घोंसला बनाने को
ले लो मेरे मकान का इक कोना
और बदले में दे दो
मुझे अपने पंख!" .... ज़िन्दगी की उड़ान जो भरनी है !
माधवी की मनमोहक मासूम सी मुस्कान में कहानियों वाला एक घर दिखता है ... जिस घर से उन्हें एक कलम मिली , मिले अनगिनत ख्याल ... हमें लगता है कविता जन्म ले रही है , पर नहीं कविता तो मुंदी पलकों में भी होती है , दाल की छौंक में भी होती है , होती है खामोशी में - ... कभी भी, कहीं भी , ............ बस वह आकार लेती है कुछ इस तरह -
"रोटी और कविता

मुझे नहीं पता
क्या है आटे-दाल का भाव
इन दिनों

नहीं जानती
ख़त्म हो चुका है घर में
नमक, मिर्च, तेल और
दूसरा ज़रूरी सामान

रसोईघर में क़दम रख
राशन नहीं
सोचती हूं सिर्फ़
कविता

आटा गूंधते-गूंधते
गुंधने लगता है कुछ भीतर
गीला, सूखा, लसलसा-सा

चूल्हे पर रखते ही तवा
ऊष्मा से भर उठता है मस्तिष्क

बेलती हूं रोटियां
नाप-तोल, गोलाई के साथ
विचार भी लेने लगते हैं आकार

होता है शुरू रोटियों के
सिकने का सिलसिला
शब्द भी सिकते हैं धीरे-धीरे

देखती हूं यंत्रवत्
रोटियों की उलट-पलट
उनका उफान

आख़िरी रोटी के फूलने तक
कविता भी हो जाती है
पककर तैयार।" ......... गर्म आँच पर तपता तवा और गोल गोल बेलती रोटियों के मध्य मन लिख रहा है अनकहा , कहाँ कोई जान पाता है . पर शब्दों के परथन लगते जाते हैं , टेढ़ी मेढ़ी होती रोटी गोल हो जाती है और चिमटे से छूकर पक जाती है - तभी तो कौर कौर शब्द गले से नीचे उतरते हैं - मानना पड़ता है - खाना एक पर स्वाद अलग अलग होता है - कोई कविता पढ़ लेता है , कोई पूरी कहानी जान लेता है , कोई बस पेट भरकर चल देता है ....
यदि माधवी के ब्लॉग से मैं उनकी माँ कीर्ति निधि शर्मा गुलेरी जी के एहसास अपनी कलम में न लूँ तो कलम की गति कम हो जाएगी .
http://guleri.blogspot.com/2011/09/blog-post_12.html इस रचना में पाठकों को एक और नया आयाम मिलेगा द्रौपदी को लेकर !
माधवी की कलम में गजब की ऊर्जा है .... समर्थ , सार्थक पड़ाव हैं इनकी लेखनी के . -
अहा ज़िंदगी' में पंकज कपूर से बातचीत
* 'अहा ज़िंदगी' में तेज़ रफ़्तार सड़कें और यादों की टमटम
* यात्रा (दैनिक जागरण) में सापूतारा संस्मरण
* वागर्थ में कविताएं
* यात्रा (दैनिक जागरण) में तारकरली संस्मरण
* 'अहा ज़िंदगी' में ख़ूबसूरती पर लेख
* 'कविता कोश' में
* 'आपका साथ, साथ फूलों का'
* यात्रा (दैनिक जागरण) में 'बायलाकूपे संस्मरण'
* 'हिमाचल मित्र' में हाइकु
* 'अहा ज़िंदगी' के यात्रा विशेषांक में लेख
* 'लमही' में कविताएं
* 'अहा ज़िंदगी' के प्रेम विशेषांक में लेख
* यात्रा (दैनिक जागरण) में 'माथेरान संस्मरण'
* 'जनपक्ष' में मेरा पक्ष
* 'अनुनाद' में अनूदित कविताएं
* inext में 'उसने कहा था' की चर्चा
* रूपायन (अमर उजाला) में 'तुम्हारे पंख'
* यात्रा (दैनिक जागरण) में 'मॉरिशस संस्मरण'
* यात्रा (दैनिक जागरण) में 'कूर्ग संस्मरण'
* यात्रा (दैनिक जागरण) में 'केरल संस्मरण'

सबकुछ बखूबी समेटने का अदभुत प्रयास ... निःसंदेह सफल प्रयास . ... अब है नया साल , अपना 2012 , और उनकी रचना - जहाँ से मैं साथ चल पड़ी हूँ . साथ के लिए लगभग सारे पन्ने पलट डाले , उम्र से परे दोस्त बन गई - अपनी यात्रा के लिए लॉक हटवाया , बस सिर्फ एक बार कारण जानना चाहा और बिना देर किये सारे दरवाज़े खोल दिए . इसे कहते हैं विरासत - जिसमें से हम जितना देते हैं , घटता नहीं . तो चलने से पहले हम इस वर्ष की रचना से रूबरू हों - http://guleri.blogspot.com/2012/01/blog-post.html
धौलाधार की पहाड़ियों पर
बर्फ़ झरी है बरसों बाद
और कई सौ मील दूर
स्मृतियों में
पहाड़ जीवंत हो उठे हैं ...जिसे पढ़ते हुए मैंने कहा है - अरसे बाद मिली हूँ उन निशानों से , और मिलते ही जीवंत हो उठी हूँ और ले आई हूँ एक और संजीवनी आपके लिए !!!

रश्मि प्रभा 

28 टिप्‍पणियां:

  1. हिन्दी का भविष्य सुरक्षित हाथों में है।

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  2. पाण्डेय जी से पूरी तरह सहमत हूँ ... रश्मि दीदी आपका बहुत बहुत आभार ... इस पोस्ट के माध्यम से आपने माधवी जी से परिचय करवा दिया ... और स्कूल की यादें भी ताज़ा करवा दी जब "उसने कहा था ... " पढ़ी थी ... जय हो आपकी और माधवी जी की !

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  3. रश्मि जी आज आप ने माधवी जी से परिचय करवा दिया आप का बहुत बहुत आभार..स्कूल के जमाने में मैंने भी '"उसने कहा था' पढी़ थी ।'तेरी कुड़माई हो गई है ?' कह कर हम एक दूसरे को चिढाया करते थे... .

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  4. माधवी जी के बारे में जानकर अच्छा लगा। आपके प्रयास की जितनी भी सराहना की जाए वो कम है।

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  5. अभी १-२ रोज पहले ही देखा था माधवी जी का ब्लॉग...मगर नाम से जाने क्यूँ क्लिक नहीं किया..."उसने कहा था" हमने भी पढ़ी है..स्कूल में..
    शुक्रिया रश्मि जी..

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  6. "उसने कहा था" को कौन भूल सकता है...माधवी जी का परिचय और ब्लॉग बहुत अच्छा लगा...आभार

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  7. वाह फ़िर मास्टर स्ट्रोक ...एक और नायाब मोती खोज निकालकर इस मंच से उन्हें रूबरू कराने के लिए बहुत बहुत आभार रश्मि जी । हमें बहुत खुशी है कि आपका स्नेह मिल रहा है । माधवी जी को असीम शुभकामनाएं

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  8. रश्मि जी माधवी जी से मिलवाने के लिये हार्दिक आभार्…………आप बहुत बढिया कार्य कर रही हैं ………प्रशंसनीय्।

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  9. कुछ यादे ताज़ा हो गयी . दीदी आपका शुक्रिया

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  10. तेरी कुडमाई हो गई पढ़ते ही चौंकी थी ...जाने कितनी बार पढ़ी है यह कहानी ...
    माधवी ने अपनी साहित्यिक परम्परा को जीवित रखा है ...
    आभार!

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  11. स्कूल के दिनों की यादें ताजा हो गई. एक सराहनीय कार्य के शुभारम्भ पर शुभकामनायें.विस्तृत परिचय प्राप्त हुआ.आभार...

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  12. awesome n so much inspiring...
    thank u so much for sharing... :)

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  13. रश्मी जी,....माधवी जी से परिचय एवं विस्तार से जानकारी देने के लिए बहुत२ आभार,

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  14. ब्लॉग सागर की अतल गहराइयों से इतने नायाब मोती ढूँढ निकालने की आपकी सामर्थ्य अपरम्पार है ! माधवी जी से आपने जो परिचय करवाया वह बहुत अच्छा लगा ! अब तो इस परिचय श्रंखला की अगली कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार है ! आभार एवं धन्यवाद आपका !

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  15. bahut badhiya..inse parichay nahi tha .ek achhee pahchan karane ka shukriya.

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  16. माधवी जी का ब्लॉग परिचित ब्लॉग है ...नियमित पढ़ती हूँ .... इनका लिंक हलचल पर भी लिया है ...उनके बारे में और जानकार अच्छा लगा ....!!बढ़िया प्रयास आपका ...!!

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  17. ब्लाग पर हो आया एक दम काबिल-ए-तारीफ़ ब्लाग
    बधाई

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  18. great effort by a great person .......wid great interaction .....congrats! rashmi ji ...thx

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  19. माधवी जी का ब्लॉग हमेशा पढ़ती हूँ .. उनका लिखा रुचता है .. आपके द्वारा दिया परिचय बहुत अच्छा लगा ..आभार

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  20. रश्मि दी,
    एक बहुत ही प्यारी सी बच्ची से मिलवाने का शुक्रिया.. और जो बच्ची उस परम्परा का प्रितिनिधित्व करती हो, जिनकी एक ही कहानी ने हिन्दी साहित्य में मील का पत्थर स्थापित किया... बहुत ही प्यारी एकल चर्चा!!

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  21. आपके इस प्रयास का प्रतिफल यही है कि माधवी जी के बारे में जानने का अवसर मिला ..बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति जिसके लिए आपका आभार ..माधवी जी को बधाई के साथ शुभकामनाएं ।

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  22. रश्मि जी... आपने जी भर के प्यार उड़ेला है. शुक्रिया रस्मी शब्द है, यही कहूंगी कि स्नेह बना रहे.
    'ब्लॉग बुलेटिन' के पाठक शुभकामनाएं स्वीकारें. आप सबका दिल से आभार...
    माधवी

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  23. माधवी जी के बारे में जानकर अच्छा लगा। परिचय कराने के लिए आपका आभार |

    Gyan Darpan
    ..
    Shri Yantra Mandir

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!