अभी अभी खबर मिली है की दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर देर रात आग लग गई जिसमें कम से कम 100 करोड़ रुपये की संपत्ति जलकर खाक हो गई हालांकि आग में कोई हताहत नहीं हुआ है। ये आग एयरपोर्ट के कार्गो टर्मिनल पर लगी। वहां कार्गो से भेजे जाने वाले सामान के अलावा कई एयरलाइंस के दफ्तर भी थे। इस आग में कई यात्रियों के लगेज भी खाक होने की आशंका है.... मतलब? क्या इस टर्मिनल पर आग से बचाव के लिए ज़रूरी बंदोबस्त नहीं था? अगर ऐसा है तो फिर इसे फायर एन ओ सी कैसे मिली? 
कल ही एक समाचार चैनल नें जब मुम्बई के चर्च गेट स्टेशन पर मुयायना किया तो पाया की वहां आग से बचाव के नाम पर कुछ नहीं है, बिखरे पड़े बिजली के तार और उनमे उलझी वायरिंग एक बड़ी विपत्ति को निमंत्रण दे रहे हैं.... आखिर होगा क्या? चाहते क्या हैं सभी.... यह सरकारी इमारतें, यह सरकारी बंदोबस्त से चलने वाले अस्पताल, और घूस खिलाके कैसे भी फायर एन ओ सी पाने वाले प्रायवेट और कार्पोरेट्स... हर जगह किसी न किसी तरह से खतरे में ही है... जिस तरह से हमारे सुविधा के साधन बढे हैं, खतरा भी बढ़ा है...   कल सुना की एक घर में ब्लैक में मिलने वाले सिलिंडर से आग लगी और पूरा घर स्वाहा हो गया... कलकत्ते के फाइव स्टार अस्पताल ए एम् आर आई की कहानी कोई नहीं भुला होगा.... आये दिन कुछ न कुछ हो रहा है..... तो ऐसे में हमारी और आपकी ज़िम्मेदारी थोड़ी सी बढ़ जाती है.... खुद भी जागरूक रहिये... और औरो को भी जागरूक करिए..... 
आग लगने से बचाव: 
- यदि आप अपने घर में हैं, तो ध्यान दीजिये की आपके गैस के सिलिंडर और रेगुलेटर से कोई गैस लीकेज नहीं है, और गैस पाइप की दशा ठीक है
- किसी भी प्रकार की रूकावट तो नहीं है, पाइप से कोई लीकेज तो नहीं है
- ब्लैक में मिलने वाले सिलिंडर मत लीजिये, एल पी जी कनेक्शन उचित डीलर के माध्यम से ही लीजिये
- यदि आप घर में आये और गैस की गंध हो तो कोई बिजली के उपकरण को न छुए, कोई स्विच छूने का प्रयास न करें, खिड़की दरवाजे खोल दे ताकि गैस बाहर निकल सके
- घर में बिजली के तार बिखरने न दे, वायरिंग के समय अच्छे से अर्थिंग कराये, ध्यान दे की बिजली के तार आई एस आई मार्क और अच्छे ब्रांड के हैं
- यदि आप किसी को-आपरेटिव सोसाइटी में रहते हैं तो फायर ड्रिल कराएं, लोगो को बताएं की जागरूकता ही बचाव है
- इमरजेंसी कान्टेक्ट और बैक-अप प्लान के लिए एम्बुलेंस, पुलिस और टाप्सलाईन जैसे नंबर याद रखे, याद रखिए १०० और १०२ नंबर बिना किसी बैलेंस के भी लग सकते हैं
यदि आप बाहर और सार्वजनिक जगह पर हैं, ऐसे में किसी दुर्घटना की स्थिति में वहां से भागे नहीं... अपना बचाव करें और मदद की हर संभव कोशिश करें.... याद रखिए देश अपना है और इसे हमी को बचाना है... काल कीजिये, आपात कालीन सुविधाओ की व्यवस्था कराएं... और कैसे भी करके लोगों को बचाने का प्रयास करें... 
चलिए खुद बचिए और दूसरों को बचाइए का फार्मूला अपनाइए और देश को बचाइए.... 
अब थोडा ब्लॉग जगत की बात की जाये....
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माटरा की चटनी और तीरथगढ जलप्रपात ------------- ललित शर्मा
ब्लॉ.ललित शर्मा at ललितडॉटकॉम  
तीरथगढ जल प्रपात मुंगाबहार नदी से बनता है, यहाँ शिवरात्रि का मेला भी लगता  है। यहाँ पहुंचने पर प्रकृति के मनोरम स्वरुप के दर्शन हुए। काफ़ी उंचाई से  गिरने के कारण झरने की कल कल की आवाज दहाड़ में बदल गयी। जहाँ मैं खड़ा था वहाँ  से झरने की गहराई लगभग 300 फ़िट है। उपर से झरना देखना खतरनाक भी कई लोग यहां  अपने प्राण गंवा चुके हैं। हल्की हल्की बरसात हो रही थी। बूंदा-बांदी के बीच  सैलानीयों की भीड़ खूब थी। लोग वहीं पर नव वर्ष मना रहे थे। टूरिस्ट बसों की  लाईन लगी हुई थी। हमें रास्ते में हाट बाजार में बेचने के लिए बकरे और मुर्गे  ले जाते लोग मिले। कर्ण ने कहा कि अंकल जैसे ही कोई त्यौहार आता होगा तो बकर...... 
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मनोज कुमार at राजभाषा हिंदी - 
आदरणीय  सुधी जनों को  अनामिका का नमन ! पिछले चार अंकों में आपने कथासरित्सागर से शिव-पार्वती  जी की कथा, वररुचि की कथा पाटलिपुत्र (पटना)नगर की कथा, और *उपकोषा की  बुद्धिमत्ता* **पढ़ी.*   कथासरित्सागर को गुणाढय की बृहत्कथा भी कहा जाता है.  कथासरित्सागर की  कहानियों में अनेक अद्भुत नारी चारित्र भी हैं और इतिहास प्रसिद्द नायकों की  कथाएं भी हैं. कथासरित्सागर कथाओं की मंजूषा प्रस्तुत करता है. इसी श्रृंखला  को क्रमबद्ध करते हुए पिछले अंक में वररुचि के मुंह से बृहत्कथा सुन कर पिशाच  योनी में विंध्य के बीहड़ में रहने वाला यक्ष काणभूति ... 
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 द ब्लू बोगनविलिया सेड फोरगेट मी नॉट!
Puja Upadhyay at लहरें  
मैं मर चुकी हूँ। बलूत कीसीली लकड़ी के ताबूत में मेरी लाश रखी है। दफनाने के  पहले का दिन है। मेरी जानपहचान के सारे लोग अंतिम दर्शन कर चुके हैं। आखिर में  तुम्हारी बारी है और सबतुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। तुम सपनों के देश गए हुये  हो।  वहाँ हमने साथ मिल कर बनायाथा...एक घर...समंदर किनारे के रेत पर...समंदर के  रंग में डूब कर उगी थीवहाँ...नीली बोगनविलिया। जिस दिन हमारा घर पूरा हुआ था  तुम अपनी बाँहों में उठा करमुझे देहरी के अंदर लाये थे। उस घर की पश्चिमी रंग  की खिड़की से चाँद रोज अंदर आताथा और हमारे कमरे में नाइटलैंप की तरह रोशन  रहता था जब कि तुम मुझे बताते थे कितुम मुझसे कितना प्यार करते हो... 
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 सदा at SADA  
मैं गिला तुमसे करूं भी तो भला किस बात का,  तोड़कर वादों को मनाना तुम्हें किस बात का ।  दुनिया की भीड़ में अकेला हो तो कोई क्या कहे,  ये दौर ही है ऐसा जहां मोल नहीं जज्बात का ।   सर्द बातें सर्द है दिन क्यूं दिल दुखाना फिर यूं, गर्म आंसुओं को गिराना रूख्सार पे बेबात का ।   आईने के टुकड़ों सा इस दिल का हाल हुआ है,  हर टुकड़े पे अक्स तेरी हर इक मुलाकात का ।   मैने रोका तो बहुत था जबां को कुछ भी कहने से,  उसे यकीं ही नहीं हुआ था मेरी कहीं हर बात का ।   दिल दुखे तेरा या मेरा बात एक ही होती है पर,  दोष होता है इसमें सदा मेरे हर इक ख्यालात का । 
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ज़रुरत
RITU at कलमदान  
 *गुजरी अकेले ही जब बर्फीली रातें * * न दे पाएंगी गर्माइश ,अब तुम्हारी ये बातें * *प्यार से फेरते सर पर  अब हाथ ....तो * *रहने दो, मुझको ज़रुरत नहीं है ..* * * *थकी दोपहरी प्यास से तड़फते * *आस थी मेघ तुम आते और बरसते * *अब बना रहे सरोवर बेहिसाब ...तो * *रहने दो, मुझको ज़रुरत नहीं है ..* * * *मौसम बसंती ,फूल थे सब बसंत * *एक गेंदे का गजरा तुम्हारे हाथों से बंध* *अब राहे फूलों की बिछाई हैं ..तो * *रहने दो , मुझको ज़रुरत नहीं है ..* * * *उम्र गुजरी तुम्हे मूर्तियों में ही तकते * *चाहा था तुम आते पलक झपकते * *अब आये जब हमीं में नहीं सांस ..तो * *रहने दो, मुझको ज़रुरत नहीं है..* ----------------------------------------
कृष्ण की व्यथा
संगीता  स्वरुप ( गीत ) at गीत.......मेरी अनुभूतियाँ  
    नहीं कहा था मैंने  कि  गढ़ दो तुम  मुझे मूर्तियों में  नहीं चाहता था मैं  पत्थर होना  अलौकिक रहूँ  यह भी नहीं रही  चाहना मेरी ,   पर मानव  तुम कितने  छद्मवेशी हो  एक ओर तो  कर देते हो  मंदिर में स्थापित  और फिर  लगाते हो आरोप  और उठाते हो प्रश्न  कि  क्या सच ही  "कृष्ण" भगवान था ?   तुम राधा संग  मेरे प्रेम को  तोलते हो तराजू पर  भूल जाते हो कि मैं  स्थापित कर रहा था  उस अलौकिक प्रेम को  जो तन से नहीं  मन से किया जाता है ,  महारास भी रचाया था  यह जताने के लिए  कि मन की आज़ादी ही  कर सकती है  आत्मविभोर  पर तुमने तो  कर दिया खड़ा मुझे  कटघरे में  रसिया कह .  पांचाली मेरी सखा  जिससे मैं  म... 
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प्रवीण पाण्डेय at न दैन्यं न पलायनम्  
 दस वर्ष का बच्चा अपनी माँ से कहे कि उसे तो बस चित्रकार ही बनना है, तो माँ  को कुछ अटपटा सा लगेगा, सोचेगी कि डॉक्टर, इन्जीनियर, आईएएस बनने की चाह रखने  वालों की दुनिया में उसका बच्चा अलबेला है, पर कोई बात नहीं, बड़े होते होते  उसकी समझ विकसित हो जायेगी और वह भी कल्पना की दुनिया से मोहच्युत हो विकास के  मानकों की अग्रिम पंक्ति में सम्मिलित हो जायेगा। इसी बात पर पिता के क्रोध  करने पर यदि वह बच्चा सब सर झुकाये सुनता रहे और जाते जाते पिता की तनी  भृकुटियों का चित्र बना माँ को पहचानने के लिये पकड़ा दे, तो माँ को बच्चे की  इच्छा शक्ति बालहठ से कहीं अधिक लगेगी। वह तब अपने बच्चे का संभावित भविष्य ... ----------------------------------------
वृजेश सिंह at बसंत के बिखरे पत्ते  
घुल रही खामोशियाँ हैं  भीड़ के इस शोर में  मौन कविता हो चली  जुल्म-ओ-सितम के दौर में  कौन जाने कब तलक  संघर्ष ये जारी रहे  उलझनों का दौर  और लम्बी सी बेकरारी रहे  हर कोई है खोजता  इस दौर में अपना चमन  हो जहाँ खुद की धरा और एक अपना गगन  ----------------------------------------
 
 रश्मि प्रभा... at वटवृक्ष  
जब तक सच नवाबों की तरह नफासत में  अपने पैरों में जूते डालता है झूठ दुनिया की सैर कर आ जाता है ... * * *रश्मि प्रभा* * * *
मैंने झूठ के पैर देखे है...*   मैंने झूठ के पैर देखे है सत्य के नकाब में  चलते देखा है झूठ को दौड़ते देखा है। खुदा की बेकुसूरी पर  मस्जिदों की दीवारों को  फकीरों ने सिसकते देखा है। मैंने साँझ के वक़्त  कसमों की फटी चादर में  बुढ़िया को ठण्ड से ठिठुरते देखा है। ... 
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 तुरन्त फुरन्त में रची वे फुटकर तुकबन्दियाँ ...जो विभिन्न ब्लोग्स पर की गईं आज उनकी ही पोस्ट लगा देता हूँ ताकि ब्लॉग अपडेट रहे हा हा हा
AlbelaKhatri.com at Albelakhatri.com  
तुम गुल बनके आओगे तो गुलाब दूंगा   गिन गिन के नहीं दूंगा,  बेहिसाब दूंगा   तुम ताल में आओ तो मैं सुर बन जाऊं   पर सवाल करते रहोगे तो  जवाब दूंगा       मैं तो चाहता  हूँ कि कोई  मुझ पर भारी पड़े   पर जब भी पड़े भारी  तो  नर नहीं नारी पड़े     बेताबी इधर भी है मगर फरियाद  नहीं करेंगे   मुन्तज़िर  तो हम भी हैं  पर  याद नहीं करेंगे   _अरे भई क्यों करें ?   भुलाया ही कब था ?     जो बात छुपा कर रखी है,  वो बात न मुझसे पूछो तुम.........   कितनी आहें कितने आंसू,  हालात न मुझसे पूछो तुम..........    नाम काटना क्या ज़रूरी है ?   आखिर... क्या मज़बूरी है ?  दिल तो दिल से जुड़ा हुआ है   बस कहने की दूरी ...  
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पुलिस की मदद से किराए पर दिया कमरा खाली नहीं करवाया जा सकता
दिनेशराय द्विवेदी at तीसरा खंबा  
समस्या- हमने एक कमरा किराये पर दिया हुआ है ( ५-६ साल से ) ! शुरू के तीन चार  वर्ष तो वो किराया समय पर देता रहा किन्तु अब न तो वो किराया ही समय पर देता  है और न ही जगह खाली कर रहा है ! अब तो पिछले पांच महीनों से उसने किराया... ----------------------------------------
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posted by  dheerendra  at  काव्यान्जलि ... 
जिंदगी   जिंदगी बस हुक्म सूना देती है, जो भी जी चाहे,सजा देती है   जिससे उम्मीद नही होती बिलकुल  बस वही चीज दगा देती है,..  आँख के आँसू भी न घुलने पाए उससे पहले कुछ और रुला देती है,  जब ...
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posted by  शिवम् मिश्रा  at  बुरा भला 
मैं भारत माँ का प्रहरी हूँ , घायल हूँ पर तुम मत रोना, साथी घर जाकर कहना , संकेतों में बतला देना,  यदि हाल मेरे पिताजी पूछे तो,  खाली पिंजरा दिखा देना,  इतने पर भी वह न समझे तो  ... तो होनी का मर्म समझा देना...
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posted by  सतीश सक्सेना  at  मेरे गीत !  
** *निम्न रचना में व्यथा वर्णन है उन बड़ों का जो अक्सर अपने आपको ठगा सा महसूस  करने लगते हैं ! कृपया किसी व्यक्तिविशेष से न जोड़ें ...* *महसूस करें बुजुर्गों की व्यथा को, जो कभी कही नहीं जाती ...* * * 
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posted by  देव कुमार झा  at  मेरी दुनिया मेरा जहाँ....  
आज सुबह सुबह बिना मतलब के अम्मा से झगडा कर लिया और बिना नाश्ता किये हुए मैं  बस पकडनें चौराहे पर चला गया । अम्मा चिल्लाती रही कि बेटा नाश्ता कर ले...  मगर मैं मुडा नहीं । अरे भाई कल रात देर से घर आने के लिय...
चलिए तो फिर आज का बुलेटिन यही तक.... कल फिर मुलाकात होगी...
जय हिंद
-देव कुमार झा  




waah kya baat hai
जवाब देंहटाएंjai hind !
सुन्दर जानकारी ..लिंक्स भी अच्छे एकत्र किये हैं। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंतीसरा खंबा को ब्लाग बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंइस देश का क्या होगा ! सही सलाह और लिंक्स .... चक्कर लगाती हूँ
जवाब देंहटाएंमेरी रचना जिंदगी को शामिल करने बहुत२ आभार,....
जवाब देंहटाएंउफ्फ्फ!!!!!! ये क्या हो रहा है!!
जवाब देंहटाएंak naye srijan ki suruat hai achhe rachanakaron ke links mile bahut bahut abhar..... mere blog ka amantran sweekare.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सामयिक और सार्थक प्रस्तावना के पुन: बधाई मिसर जी । लिंक्स सहेजने और उसके प्रस्तुतिकरण में आपके नित नए प्रयोग उत्साहित करते हैं । आपके श्रम और प्रतिबद्धता के हम कायल हैं पहले से ही । बहुत बढियां , ज़ारी रहिए ।
जवाब देंहटाएंओह मिसर जी ,ध्यान दिलाए कि आज देव बाबा का पारी था । का बात है बबा ..ई गडिया एक सौ साठ का इस्पीड से ही बुलेटिन को बुलेट टरेन बना दिए हो मर्दे । चलिए ई तो और बढियां है , रिपोटर सब मोस्तैज़ हो रहे हैं , जय हो ब्लॉग नगरिया , बुलेटिन बांचे खबरिया । जय हो देव बबा की जय ।
जवाब देंहटाएंकाम की बात सम्पादकीय की तरह है, और साथ में चटपट बुलेटिन ... मज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएंअजय भाई ... छोटे भाइयो पर अपना प्यार बरसाइये पर इतना नहीं कि किसी की महेनत का फल किसी और को मिलने लगे ... ;-)
जवाब देंहटाएंदेव बाबु आज २०१२ का यह आपका पहला बुलेटिन है ... देख कर कहा जा सकता है ... आगाज ऐसा है तो अंजाम कैसा होगा ... बेहद सामयिक और सार्थक बुलेटिन लगाया है आपने ... बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
मिसर जी ,
जवाब देंहटाएंहम चाहे आपके लिए कुछ कहें चाहे देव बबा के लिए असलियत तो यही है कि आप दुन्नो हमारे दहिन बाम हैं .सो कोई टेंसन नय है । एक दिन आपका पोस्ट पे देव बब्बा को कस के चब्बासी देंगे ,बस
मेरी कविता को अपने ब्लॉग में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ..आभार ..आपके ब्लॉग की सभी प्रस्तुतियां बहुत ही सुन्दर हैं..
जवाब देंहटाएंऋतू बंसल
kalamdaan.blogspot.com
ब्लॉग बुलेटिन ज़ोरदार रहा ... अच्छे लिंक्स मिले ...मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंशानदार बुलेटिन।
जवाब देंहटाएंआप सभी का आभार.....
जवाब देंहटाएंacche links mile raajbhasha se meri abhivyakti ko sthan dene k liye aabhar.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र सजाये हैं इसमें..
जवाब देंहटाएंpahli baar aana hua...behad sundar madhyam tamam blogs padhane ke liye....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या लिंक्स ..जिनके बीच मेरी रचना ...आपका बहुत-बहुत आभार ..बुलेटिन के लिए शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएं