कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०११ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ का आठवां भाग ...
सुबह होती है , आँख खुलते कई सवाल भी आँखें मलते उठ खड़े होते हैं ...सच पूछो तो कई बार सो जाने के बाद साथ साथ करवटें लेते हैं ! व्यक्तिगत , प्राकृतिक, सामाजिक, राजनैतिक , आध्यात्मिक .... एक उत्तर ढूंढो तो उसे काटता दूसरा प्रश्न आँखें मारता है . ये कलम न होती साथ , लिखने का सलीका न होता तो क्या गर्मी, क्या सर्दी, क्या पतझड़, क्या बसंत - .... यूँ मौसम तो अन्दर उतरता है - झुलसती गर्मी, खड़खडाते गिरते पीले पत्तों सिहराती हवाओं में भी बसंत उतर आता है और .......... और कभी बसंत में भी बसंत की तलाश होती है !
" मन ही मन एक बात
तब से अब तक
दिल में गूंज गई थी
कि
काश इन हाथो में हाथ
तुम्हारा होता
तो शायद हर दुर्भाग्य
सौभाग्य बन जाता
और बुद्धा का हँसना
भी कहीं सच हो जाता!!!!!" एक प्रतीक चिन्ह के साथ मुस्कान बरक़रार नहीं रहती, पर यदि यही संभव है तो इस उत्तरदायित्व की भी क्या ज़रूरत . इतिहास गवाह है मेरी ख़ामोशी का , होगा गवाह मेरी ख़ामोशी का पर ....अब तुम नहीं कह सकोगे कि तुम्हारी ख़ामोशी के आगे मैं क्या कहता !!! मेरे ये शब्द तुम्हारी परिक्रमा करेंगे ....
एक खोज में व्यक्ति भटकता रहता है ... गंतव्य कुछ भी हो सकता है , कई बार खुद को ही ढूंढता है हर शक्स ! एम् वर्मा http://ghazal-geet.blogspot.com/2011/06/endless-search.html में वह किसी और की तलाश में है -
" वह गुम है,
मगर उसे
स्वयं की गुमशुदगी का
एहसास ही नहीं है.
वह अक्सर
घर से निकलता है
खुद की बजाय
किसी और की तलाश में..." अपनी पहचान से विलग किसी और में खुद को तलाशना - या खुद को खुद से अलग पाना ... अन्दर त्रिवेणी है, अलग अलग मन के सुर हैं - पर सबकुछ गडमड , तलाश जारी है !
वो गीत है न - ' लाख लुभाए महल पराये , अपना घर फिर अपना घर है ...' इसी अपने घर के एहसास में अपना स्वत्व है , - चिड़िया है, तितली है, बुलबुल है , अपनी मिट्टी है , अपना आँगन है , खिलखिलाती हँसी की सोंधी खुशबू है ....
पूनम श्रीवास्तव http://jharokha-jharokha.blogspot.com/2011/07/blog-post.html में घर से जुड़ी यादें लेकर आई हैं
" भोर की बेला
रुनझुन पायल
शंख नगाड़े
मंदिर पूजा
जुड़े हुये सब
इस घर से। " घर से तुलसी , माँ की पुकार , पिता की हिदायतें , भाई बहनों की गुटर गूं , पूजा घर से निकलते आशीष के स्पर्श ...... अपना घर , जहाँ मन सपनों के बीज बोता है , बिना किसी डर के ...
तो चलिए हम सब अपने अपने हिस्से में बचपन की मासूमियत के पैसे लगायें , सपनाएं- एक मुट्ठी लेमनचूस ... इस मिठास को महसूस कीजिये , मैं तब तक आती हूँ देखकर कि बीज अंकुरित हुए या नहीं !
अवलोकन के साथ मिठास लेमनचूस की महसूस होती रहेगी आपकी अगली प्रस्तुति तक ... सभी रचनाकारों को बधाई आपका आभार ।
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर गहन विश्लेषणात्मक बुलेटिन के बारे में जो कुछ भी कहा जाए वह कम ही होगा।
जवाब देंहटाएंअब रोज़ रोज़ वही एक बात आखिर कब तक कहे ... पर क्या करें कि यही सत्य है ...
जवाब देंहटाएंआपके इस श्रम को नमन है ... नमन है ...
बेहद श्रमसाध्य कार्य कर रही हैं जो अपनी पहचान बना रहा है।
जवाब देंहटाएंआपका प्रयास अतुल्य है, श्रमसाध्य भी। प्रतिभाओं के समग्र लेखन से उनके व्यक्तित्व को प्रकाशित करती चंद पंक्तियों में ही सम्पूर्णता का बोध हो जाता है।
जवाब देंहटाएंबधाई!! आपके श्रम को नमन!! शुभ कार्य जारी रहे, शुभकामनाएं!!
सभी रचनाकारों को बधाई ! सुन्दर प्रयास !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..सभी रचनाए लाजवाब..आप का प्रयास बेमिशाल..
जवाब देंहटाएंबहुत खास बुलेटिन ... सराहनीय प्रयास ..
जवाब देंहटाएंअद्भुत है यह ब्लॉग यात्रा!!
जवाब देंहटाएंbahut khub ....
जवाब देंहटाएंbhaut khoob.
जवाब देंहटाएंSada jee ki baato se sahmati:D... meetha lemanchus!! hahahhah!
जवाब देंहटाएंबहुत मिठास भरी बुलेटिन है दी...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुतियाँ मिली पढ़ने को....
सादर आभार...
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! ब्लॉग बुलेटिन का शुभारंभ हो भी गया और हम सांसारिक दायित्वों को निभाने में ही इतने उलझे रहे कि हमें पता ही नहीं चला ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रश्मि जी कि आज आपने इसकी लिंक भेज दी वरना हम तो इस अमृत पान से वंचित ही रह जाते ! अब तो इन सारी अनुपम कृतियों का रसास्वादन धीरे धीरे करूँगी ! बहुत ही खूबसूरत एवं सराहनीय कार्य कर रही हैं आप ! हम निश्चित रूप से आपके ऋणी रहेंगे !
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhumika ke saath hi sundar bulletin prastuti hetu aabhar!
जवाब देंहटाएंbahut achchhi prastuti.
जवाब देंहटाएंshukriya abhaar ....
जवाब देंहटाएंसुंदर ब्लॉग विश्लेषण !
जवाब देंहटाएंआभार !
चुनी हुई ख़ास रचनाओं को एक स्थान पर पढना अच्छा लग रहा है !
जवाब देंहटाएंलीजिए अपन को पता ही नहीं चला । बहरहाल देर आयद दुरस्त आयद। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंkhoobsurat links...dhanyvad...
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