ब्लॉग बुलेटिन का ख़ास संस्करण - अवलोकन २०११
कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०११ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ का दूसरा भाग ...
तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ का दूसरा भाग ...
गज़र ने किया है इशारा और रश्मि प्रभा साहित्य के हर लय में उपस्थित हैं आपको लेकर आपके पास -
कुछ तुम खुद से खुद को कहो
फिर हम सब तुम्हें जान लेंगे
शब्दों का अटूट रिश्ता बना ही लेंगे ...
शब्दों के रंगमंच पर कुशल कारीगरी दिखाते एक छोटे से कलाकार को लाती हूँ - जो देखन में छोटन लगे , पर सूरज के रथ को मोड़ने की क्षमता है , यशवंत माथुर http://jomeramankahe. blogspot.com/2011/05/blog- post_12.html
है बड़ा अनिश्चित जीवन पतंग का अस्तित्व का संघर्ष द्वन्द और अहम असीम ऊंचाइयों में भी नहीं छोड़ता साथ रहना एक को ही होता है या फिर से वहीं आना होता है वापस जहाँ से शुरू किया था आगे बढना ऊंचा उठना आना होता है फिर से उसी के पास थामी हुई है जिसने डोर पतंग की .... प्रभु की लीला डोर से बंधी होती है , कृपा हुई तो आकाश मुट्ठी में ... अहम् जागा तो कब मिट्टी में मिले , जाना ही नहीं !
कैसे कोई कहता है सब भावना शून्य हो गए हैं , उम्र से परे गहरी सोच लिए एक और युवा शेखर सुमन ने अपने आंसुओं के महासागर में सबकी सिसकियों को जब्त कर लिया है - http://nayabasera.blogspot. com/2011/06/blog-post_19.html
आज जब शायद तुम बड़े हो गए हो,
ज़िन्दगी कि दौड़ में कहीं खो गए हो,
आज जब मैं अकेला हूँ,
वृद्ध हूँ, लाचार हूँ,
मेरे हाथ तुम्हारी उँगलियों को ढूंढ़ते हैं,
लेकिन तुम नहीं हो शायद,
दिल आज भी घबराता है,
कहीं तुम किसी उलझन में तो नहीं ,
तुम ठीक तो हो न ....
जिनकी ऊँगली पकडकर हम बड़े हुए , वे थककर भी यही पूछते हैं - तुम तो ठीक हो न ! इन एहसासों को जीवन की आपाधापी में भी जो सोचता रहे , संस्कारों के बिरवे वही देता है !
कैसे मान लूँ कि नई पीढ़ी कुछ नहीं समझती ... प्रतीक माहेश्वरी ने कितनी सहजता से बताया है कि दुःख में जो साथ खड़ा है , वही अपना है - http://bitspratik.blogspot. com/2011/05/blog-post.html . "एक शहर में रहकर मिलना मुश्किल हो जाता है तो दूसरे-दूसरे शहरों में रहने वालों कि तो बात ही क्या..
राहुल और मोहित काफी अच्छे दोस्त थे पर दोनों कि नौकरी अलग-अलग शहरों में थी... उन्हें भी पता था कि अब किस्मत की बात है जब उनकी अगली मुलाक़ात हो.."
ख़ुशी के मौके पर वजहें जड़ पकडती हैं , पर दर्द में सबकुछ से परे साथ का एहसास बहुत मायने रखता है -
युवा , जो देवदार की तरह वटवृक्ष के आगे खड़े हैं , उनपर गौर कीजिये - शब्द शब्द उन्हें पहचानिए , मैं आती हूँ फिर 2011 से कुछ पसंद लिए ...
युवा चिरागों से रोशन आज का बुलेटिन ...बेहद संजीदा हैं हमारे युवा ...फक्र की बात है ...
जवाब देंहटाएंवाकई दूसरे भाग का इंतजार था, चूंकि 2011 की चुनिंदा रचनाएं हैं, लिहाजा सरसरी निगाह से पढने के बजाए आराम से पढना है। पहले भाग में मैने देखा कि कई रचनाएं तो संग्रहणीय भी हैं।
जवाब देंहटाएंअवलोकन में वर्ष भर का ब्लॉग सार प्राप्त हो रहा है.. बहुत बढ़िया कांसेप्ट है..
जवाब देंहटाएंरश्मि जी इसको पुस्तक का रूप भी दे सकती हैं... विचार कीजिये...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ...बेहतरीन अंक है यह भी
जवाब देंहटाएंआज का अवलोकन तो प्रतिभाओं का अनूठा संगम है दीदी ..युवाओं को भी उचित प्रतिनिधित्व मिला है , अनुभव और उत्साह का अनूठा संगम !
जवाब देंहटाएंइतनी सुंदर भावनात्म्क रचनाओ को दुबारा यहाँ पढ़वाने के लिए आभार...:)
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया विश्लेषण और फ़्लैश बैक चल रहा है । अविरल चलती रहे ये धारा ।
जवाब देंहटाएंप्रतिभाओं का अनूठा संगम है अवलोकन-2011, बहुत बढिया !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अनुपम विश्लेषण चल रहा है..प्रतिभाओ का सुन्दर संगम..चलती रहे यूँ ही..
जवाब देंहटाएंek aur behtareen aur bebak visleshan!!
जवाब देंहटाएंशेखर सुमन जी के ब्लाग के माध्यम ही से आपके ब्लाग का परिचय मिला था उनके साथ ही यशवन्त का भी जिक्र उस लिंक का प्रतीक है ;साथ ही साथ प्रतीक माहेश्वरी जी के ब्लग से भी परिचित हो गए।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास है।
ब्लॉग की बिनाका गीतमाला... पोस्टमाला प्रस्तुत की है रश्मिप्रभा जी ने!! एक अनोखा कॉन्सेप्ट!!
जवाब देंहटाएंआपसबों की शुभकामनायें मेरा मनोबल है ...
जवाब देंहटाएंyuva blogers ko jaankar achchha laga. shubhkaamnaayen.
जवाब देंहटाएंआदरणीया आंटी जी
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभारी हूँ।
शेखर भाई और प्रतीक जी की रचना भी जल्दी ही पढ़ूँगा।
सादर
अपने ब्लॉग की इस पोस्ट का जिक्र देख कर न जाने क्यूँ आँखें नम हो आई हैं... ये पोस्ट जो मेरे दिल के सबसे ज्यादा करीब है... आज भी सुबह से पापा की बहुत याद आ रही थी... बहुत बहुत शुक्रिया रश्मि मासी... :)
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक...आभार
जवाब देंहटाएंजय हो रश्मि दी आपकी ... कमाल है ... ऐसा लगता है जैसे कोई जादू हो ... जय हो !
जवाब देंहटाएंbehtareen shrinkhla.
जवाब देंहटाएंप्रतिभाओं को ढूँढ निकालना सराहनीय है ... आभार
जवाब देंहटाएंरश्मि जी एक नई शुरुआत की है ... कई प्रतिभाओं को जानने का मौका मिलेगा .....
जवाब देंहटाएंप्रतिभाओ को ढूंढना और उन्हें अपनी शैली में प्रस्तुत करना रश्मि जी आपके ही वश की बात हैं ...बहुत सुंदर प्रयास !
जवाब देंहटाएंमैंने कोई रचना पहले नहीं पढ़ी थी...आपका शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंbahut acche aunty...nae logo ko padhne ka awsar mil gaya...
जवाब देंहटाएंबेजोड रचनाओं को दोबारा पढवा कर एक बार फिर आनन्दित कर रही हैं आभारी हैं हम आपके।
जवाब देंहटाएंयह अवलोकन और आपका चयन नि:सन्देह बेमिसाल है ..आभार सहित शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद हमें भी याद करने के लिए! :)
जवाब देंहटाएंख़ुशी के मौके पर वजहें जड़ पकडती हैं , पर दर्द में सबकुछ से परे साथ का एहसास बहुत मायने रखता है -
जवाब देंहटाएं.सच्ची बात कही है आपने ..
प्रतिभाओं की पहचान कर उनका अपनी शैली में यथोचित वर्णन कर प्रस्तुत करना बहुत कठिन काम है और उसी कठिन काम को आप जितनी मेहनत से कर रही हैं यह साफ़ द्रष्टव्य है....सार्थक प्रस्तुति के लिए आपका आभार!
.बहुत सुंदर प्रयास !
जवाब देंहटाएंबहुतों से परिचय कराने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंये छुटके भी न बहुत खूब हैं यहां के ..आभार ...
जवाब देंहटाएंbahut accha... aabhar
जवाब देंहटाएंसिम्पली ग्रेट कलेक्शन ...
जवाब देंहटाएंnice
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