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गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

प्रतिभाओं की कमी नहीं - अवलोकन २०११ (13) - ब्लॉग बुलेटिन



कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०११ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !

तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ का १३ वां भाग ...
 

प्रकृति एक अजूबा है ... टकटकी लगाए देखो तो हर तरफ एक जादू है , बरबस होंठों पर यह गीत मचलता है - ' ये कौन चित्रकार है !...' सच यह जादू कौन कर गया , कौन करता जाता है ... कुछ ज्ञात नहीं ... सूरज की किरणें , पंछियों का सुगबुगाना, मुर्गे की बांग .... चढ़ती दोपहरी , पश्चिम से ओझल होता सूरज , पानी की कलकल का साज बदलना , चाँद , चकोर , सितारे ... कितने नाम लिखूं , जादूगर ने तो सारी धरती , आकाश को भर दिया . उपमाएं भी इस जादू का ही ...प्रकृति ने तो बस दिया - पर ,

"पुष्प
जीते हैं उल्लास से
अपनी क्षणभंगुरता को
नहीं जानते जीना है कितना
फिर भी बांटते हैं
गंध के गौरव को रंग की उमंग को
क्यूँ नहीं जी पाते
हम भी
यूँ ही
क्षणजीवी होने का बोध " प्रकृति की सीख से परे हम - स्वार्थी होते जाते हैं !

फूलों का रथ ,प्रतिभा सक्सेना http://lambikavitayen5.blogspot.com/2011/10/blog-post.html
" हे सर्व-कलामयी ,तुम्हारी अभ्यर्थना की तैयारियाँ हैं ये . शीत की रुक्ष विवर्णा धरती पर तुम कैसे चरण धरोगी ? पहले पुलकित धरा पर हरियाली के पाँवड़े बिछें , विविध रंगों के पुष्प वातावरण को सुरभि- सौंदर्य से आपूर्ण करें,दिग्वधुएँ मंगल-घट धरे आगमन -पथ में ओस-बिन्दु छींटती अर्घ्य समर्पित करती चलें, पक्षियों के स्वागत-गान से मुखरित परिवेश हो ,निर्मल नभ शुभ्र आलोक बिखेर तुम्हारे स्वागत को प्रस्तुत हो तब तो तुम्हारा पदार्पण हो !" ऐसा स्वागत , चहुँ दिशा उल्लसित और कलम के पोर पोर में बासंती छटा.

परिंदों को कभी सुना है ? सुना होगा ... उनका वियोग , उनका मिलन एक अनोखा रिश्ता बनाते हैं हमारे साथ !
"उनकी आँखों में एक विश्वास था
मिलन की चाह थी
अब कभी जुदा न होने का
एक मौन संकल्प था
हमेशा एक ही रहने का
जूनून था ....

दूर ~~~से आवाज आ रही थी --
''हमे मिलना ही था हमदम ,किसी राह भी निकलते " जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि.... यदि तुम्हारे पास मन है तो तुम उस भाषा को भी समझ लोगे जिसे तुम बोल नहीं सकते . इसे समझना आसान नहीं तो कठिन भी नहीं ...

इस कमाल को सोचिये , जानिए और कुछ कहिये ---- मैं कुछ और खजाने लाती हूँ ...


रश्मि प्रभा  

13 टिप्‍पणियां:

  1. तीनो ही रचनाकारों की रचनायें अनमोल हैं।

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  2. सभी रचनाएं बहुत सुंदर हैं,
    शुभकामनाएं

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  3. आप अनमोल खजाने से परिचय करा रही हैं .. साधुवाद

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  4. रश्मि दीदी ... शायद बहुत ही गिने चुने लोग जानते होंगे किस तरह आप इन पोस्टो को तैयार किया है ... सिर्फ़ इतना कह सकता हूँ ... आपकी इस लगन को मैं सलाम करता हूँ !

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  5. सभी को पढ्ना अच्छा लगा।


    सादर

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  6. सभी रचनाएं बहुत सुन्दर है..अच्छा लगा..आभार..

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  7. इस ब्लॉग के माध्यम से जाने अनजाने पहलुओं से रूबरू हो रहें हैं ....सादर.....आभार

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  8. धैर्य और लगन के साथ , एक - एक रचना को चुनना , जो उत्तम हो और दुसरे को पसंद भी आये ,आप ही के वश की बात हो सकती है.... ! धैर्य और लगन को नमन.... !!

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  9. सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं सभी रचनाकारों को बधाई ..आपका इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिए आभार ।

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  10. चुनी हुई रचनायें और इसके पहलेवाली भी बहुत सुन्दर हैं -आपको बधाई !
    मेरी रचना कोई शामिल करने हेतु आभार !

    'एक सूचना :- अवलोकन २०११' के संदर्भ में -
    यदि पुस्तक की एक प्रति भी न दे सकें तो कृपया मेरा आलेख सम्मिलित न करें .
    - प्रतिभा सक्सेना.

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  11. जी आपकी रचना नहीं ली जाएगी प्रतिभा जी ...

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