tag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post6155262873244460384..comments2024-03-18T12:47:03.171+05:30Comments on ब्लॉग बुलेटिन: ब्लॉग-बुलेटिन: एक रेट्रोस्पेक्टिव ब्लॉग बुलेटिनhttp://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-37520091806831185252014-02-27T22:28:25.267+05:302014-02-27T22:28:25.267+05:30आशा है मुझे फिर वक्त मिलेगा...आशा है मुझे फिर वक्त मिलेगा...Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-24108658703006010632014-02-25T21:09:35.335+05:302014-02-25T21:09:35.335+05:30सुन्दर, रोचक व पठनीय सूत्र। आभार।सुन्दर, रोचक व पठनीय सूत्र। आभार।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-234880569200021692014-02-23T18:38:54.243+05:302014-02-23T18:38:54.243+05:30बहुत बहुत शुक्रिया और आभार सलिल दादा । आपने बहुत स...बहुत बहुत शुक्रिया और आभार सलिल दादा । आपने बहुत सारी बातें कह दीं , आपको पढना हमेशा ही अच्छा लगता है ..स्नेह बनाए रखिएगा अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-21800125687512984592014-02-23T13:58:21.192+05:302014-02-23T13:58:21.192+05:30अनमोल रत्नों का चयन एवं प्रस्तुति बहुत अच्छी लग...अनमोल रत्नों का चयन एवं प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी .... सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-91383940597496874142014-02-23T13:40:29.769+05:302014-02-23T13:40:29.769+05:30आदरणीय सुशील जोशी जी की टिप्पणी के लिए:
वो मछेरा ज...आदरणीय सुशील जोशी जी की टिप्पणी के लिए:<br />वो मछेरा जो मुँह अन्धेरे समन्दर के किनारे एक गठरी से टकरा कर गिर पड़ा जो पत्थर के टुकड़ों से भरी थी. उसने उन पत्थरों को समन्दर में फेंकना शुरू किया और जब अंतिम पत्थर उसके हाथ आया तो सूरज निकल चुका था. उसने देखा वो थैली अनमोल रत्नों से भरी थी. <br />ब्लॉग बुलेटिन के सागर में जितने भी पत्थर मैंने फेंके हैं वे सब मेरे लिये रतन हैं, अनमोल रतन!! इंक्लूडिंग उल्लूक टाइम्स!! :) :) :) चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-13332439079435969742014-02-23T12:38:25.355+05:302014-02-23T12:38:25.355+05:30बिछड़े साथियों की यादों को सहेजते हुये इस कारवाँ को...बिछड़े साथियों की यादों को सहेजते हुये इस कारवाँ को आगे बढ़ाएँ रहेंगे ... :)शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-66034019320934151202014-02-23T12:17:34.539+05:302014-02-23T12:17:34.539+05:30शुक्रिया।शुक्रिया।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-85553871533183287262014-02-23T10:07:58.606+05:302014-02-23T10:07:58.606+05:30सलिल जी ने रत्न भी चुने हैं और कुछ कँकड़ भी ।
आभार...सलिल जी ने रत्न भी चुने हैं और कुछ कँकड़ भी । <br />आभार ! <br />उल्लूक के कंकड़ यानी कड़ कड़ <br />" चल देखते हैं किसकी सीटी कौन अब कितना बजा ले जायेगा" <br />को जगह देने के लिये <br />आज के रविवासरीय <br />ब्लाग बुलेटिन में ।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-953742790882007042014-02-23T09:02:28.079+05:302014-02-23T09:02:28.079+05:30बिछड़े कई बारी बारी
अकेले चलते रहे
हरीतिमा का अस्...बिछड़े कई बारी बारी <br />अकेले चलते रहे <br />हरीतिमा का अस्तित्व न खत्म हो <br />नए पौधों से जुड़ते रहे <br />खुद भी बिछड़ना है <br />पर उससे पहले कुछ विशेष निशाँ बनाने हैं <br />ताकि वक़्त निकाल कोई हमें भी सोचे … <br />रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-51879369860291630812014-02-22T23:58:38.037+05:302014-02-22T23:58:38.037+05:30आपके उकसाने पर ही मैने अपने दो ब्लॉग में कम से कम ...आपके उकसाने पर ही मैने अपने दो ब्लॉग में कम से कम 5 पोस्ट लिखी। कई ब्लॉग पढ़े भी हैं। कमेंट कम कर पाता हूँ क्योंकि मुझे कमेंट करने में बहुस समय लग जाता है। पहले बहुत समय हुआ करता था अब उतना ही कम मौका मिल पाता है।<br />...आभार।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-29575575995421025052014-02-22T23:38:36.900+05:302014-02-22T23:38:36.900+05:30कोई बिछड़ा नहीं है दादा....आपकी एक पुकार पर सब चले ...कोई बिछड़ा नहीं है दादा....आपकी एक पुकार पर सब चले आयेंगे :-)<br />ब्लॉग बुलेटिन पाठकों को अब भी प्रिय है !!<br />अब देखती हूँ आपके हाथों चुने रत्न !! <br />सादर<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com