tag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post4200557671444831188..comments2024-03-18T12:47:03.171+05:30Comments on ब्लॉग बुलेटिन: 2019 का वार्षिक अवलोकन (ग्यारहवां)ब्लॉग बुलेटिनhttp://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-67973229011784924222021-04-23T14:42:41.672+05:302021-04-23T14:42:41.672+05:30Five Star Cake Online
5 Star Cakes Online<a href="https://www.indiagift.in/cakes-delivery-online/5-star-cakes" rel="nofollow">Five Star Cake Online</a><br /><a href="https://www.indiagift.in/cakes-delivery-online/5-star-cakes" rel="nofollow">5 Star Cakes Online</a>Emily Katiehttps://www.blogger.com/profile/03853671063932101879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-64984135700598041742019-12-30T21:21:18.919+05:302019-12-30T21:21:18.919+05:30आपका सशक्त लेखन सदैव जागरूक करने वाला होता है । ब्...आपका सशक्त लेखन सदैव जागरूक करने वाला होता है । ब्लॉग बुलेटिन के पटल पर आपका चिन्तनपरक लेख पुनः पढ़ कर बहुत अच्छा लगा ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-47372813491331494772019-12-12T22:39:02.679+05:302019-12-12T22:39:02.679+05:30बेहतरीन रचना सखी, समसामयिक समस्याओं
का यथार्थ परक ...बेहतरीन रचना सखी, समसामयिक समस्याओं<br />का यथार्थ परक चिंतन।अपनी गलती को सहज स्वीकार्य करना मनुष्य ने सीखा ही नहीं<br />बस दोषारोपण करके काम चला लिया।फिर चाहे वह परमात्मा हो या माता-पिता या शिक्षक।अपने कर्म का आकलन उसने किया ही नहीं।Abhilashahttps://www.blogger.com/profile/06192407072045235698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-50776155582200112632019-12-12T15:17:39.752+05:302019-12-12T15:17:39.752+05:30बहुत सुंदर आलेख सखी। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं �...बहुत सुंदर आलेख सखी। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐Anuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-6138077357994826152019-12-12T13:59:16.559+05:302019-12-12T13:59:16.559+05:30आदरणीय रश्मि जी ,क्षमा चाहती हूँ आपने ब्लॉग का जो...आदरणीय रश्मि जी ,क्षमा चाहती हूँ आपने ब्लॉग का जो लिंक दिया था वो खुल ही नहीं रहा हैं ,अतः मैं ब्लॉग पर उपस्थित नहीं हो पाई और हमें पता ही नहीं चला कि -आपने मेरे ब्लॉग की रचना को " ब्लॉग बुलेटिन "जैसे सम्मानित मंच पर स्थान दिया हैं। इसलिए आपका धन्यवाद भी नहीं कर पाई। वो तो आभार सखी रेणु का जिन्होंने ने मुझे सूचित किया वरना मुझे तो पता ही नहीं चलता। मैं दिल से आपकी आभारी हूँ जो आपने अपने मंच पर मुझे स्थान दिया ,सहृदय धन्यवाद एवं सादर नमस्कार <br /><br />सभी सहयोगी मित्रो का भी तहे दिल से शुक्रिया ,मुझे इस मुकाम तक पहुँचने आप सभी का बहुत बड़ा योग्यदान हैं ,सादर नमस्कार आप सभी को। Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-7120565366147014542019-12-12T12:47:47.025+05:302019-12-12T12:47:47.025+05:30कामिनी जी को बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।
कामिनी की सक...कामिनी जी को बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।<br />कामिनी की सक्षम लेखनी समाजिक समस्याओं और मनुष्य के मन की सहज प्रश्नों का सरल निचोड़ लिखती है।<br />इनका विस्तृत लोककल्याणकारी दृष्टिकोण पाठकों को सार्थक विमर्श प्रदान करता है। जीवन के प्रति सकारात्मकता खासकर बेहद प्रभावित करता है।<br /><br />बेहतरीन चयन रश्मि जी।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-68427499972453007872019-12-12T10:29:46.939+05:302019-12-12T10:29:46.939+05:30प्रिय कामिनी, तुम्हारे इसी लेख पर मेरे विचार, ...प्रिय कामिनी, तुम्हारे इसी लेख पर मेरे विचार, यहाँ डाल रही हूँ <br /><br />प्रिय कामिनी --तुम्हारा लेख और तुम्हारे तर्क पढ़कर मुझे बहुत ही गर्व हुआ कि तुमने बहुत ही सशक्त ढंग से अपनी बात लिखी है | तुम जो कहना चाहती हो वो बहुत महत्वपूर्ण है | सचमुच अपनी आत्ममुग्धता में खोये हम कितने स्वार्थी और नितांत एकाकी हो गये हैं | हमें ये भी नहीं पता एक चीज खरीदे दस फेंकें,के चक्कर में दुनिया कितनी मलिन हो चली है ।सच है ये तो ईश्वर ने नहीं कहा था कि हम अपनी जरूरते इतनी बढ़ा लें कि कचरे का ढेर नहीं, पर्वत ही खड़े हो जाएँ | उसने नहीं कहा था कि गांवों की शांत जिन्दगी को छोड़ हम कंक्रीट के जगंलों का हिस्सा हो जाएँ |उसने नहीं कहा था कि रोजगार और अपने बीवी बच्चों के मोह में खोकर अपने बिलखते माँ बाप को छोड़ जाएँ | फिर उसी मुंह से रोते फिरें बच्चे हमें छोड़ गए या हमारे साथ रहना नहीं चाहते |और खुदाई के दुसरे खुदा कहे जाने वाले डॉक्टरों के अनुभव बहुत मायूसी भरे हैं | इसका कारण भी ये कि सीधे मानवीयता से भरा ये पेशा और इसकी पढाई बहुत ही मंहगी है | जरूरत लाखों की है पर डॉक्टर कहीं कम हैं ,उनमें से आधे लाखों का डोनेशन देकर डॉक्टर बने हैं उनसे निस्वार्थ भावना की उमीद कैसे की जा सकती है ? और अपनी जीवन में उलटे पुल्टे एब अपनाकर खुद को और अपने अपनों को मुसीबत में धकेलकर उसके लिए भगवान् को दोष दे सचमुच बहुत अतार्किक बात है | बहुत कुछ सीखा गया तुम्हारा लेख | बहुत आभार और यूँ शुभकामनायें |<br />🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹रेणुhttps://www.blogger.com/profile/06997620258324629635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-83251946110502370362019-12-12T10:28:51.329+05:302019-12-12T10:28:51.329+05:30प्रिय कामिनी, ब्लॉग बुलेटिंन की इस विशेष प्रस्त...प्रिय कामिनी, ब्लॉग बुलेटिंन की इस विशेष प्रस्तुति में तुम्हारी रचना पाकर मन आहलादित् है सखी। अपने मौलिक विचारों के साथ तुमने जो अपनी पहचान बनाई है, उसे धीरे धीरे विस्तार मिल रहा है और तुम्हारी इन उपलब्धियों को देखकर मुझे कितनी खुशी है , मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती । तुम यूँ ही नित सफलता के नये शिखर छूती हुई आगे बढती रहो मेरी यही दुआ है। <br />ब्लॉग बुलेटिंन को हार्दिक आभार और शुक्रिया इस सार्थक प्रस्तुती के लिए 🙏🙏🙏<br />रेणुhttps://www.blogger.com/profile/06997620258324629635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-31756509868467056402019-12-11T18:06:46.477+05:302019-12-11T18:06:46.477+05:30ब्लॉग बुलेटिन की बात ही कुछ अलग है ब्लॉग बुलेटिन की बात ही कुछ अलग है गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-40449761252484379412019-12-11T16:46:41.118+05:302019-12-11T16:46:41.118+05:30तभी तो कर्मफल जैसी बातें थी ताकि लोग इस विश्वास के...तभी तो कर्मफल जैसी बातें थी ताकि लोग इस विश्वास के भय से बुरे कर्मों से बचें कि जैसा कर्म करेंगे वैसा फल पायेंगे परन्तु आज तो मनुष्य स्वयं भगवान बन पड़ा है....बहुत ही चिन्तनपरक लेख लिखा है आपने कामिनी जी !<br />अनन्त शुभकामनाएं आपको।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-40252379253065769902019-12-11T12:06:45.664+05:302019-12-11T12:06:45.664+05:30बहुत सुंदर लेख। बधाई कामिनी जी।बहुत सुंदर लेख। बधाई कामिनी जी।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.com