tag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post3275326720301226269..comments2024-03-18T12:47:03.171+05:30Comments on ब्लॉग बुलेटिन: ब्लॉग बुलिटेन-ब्लॉग रत्न सम्मान प्रतियोगिता 2019 (नौवां दिन) कहानी ब्लॉग बुलेटिनhttp://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-43620341580621234352019-07-23T17:10:29.203+05:302019-07-23T17:10:29.203+05:30सुंदर सुंदर Mukeshhttps://www.blogger.com/profile/03544162821415295719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-23245331153562120772019-07-04T15:43:07.220+05:302019-07-04T15:43:07.220+05:30इस कहानी को लिखे शायद 9 साल हो गए सुदेशना के बड़े ब...इस कहानी को लिखे शायद 9 साल हो गए सुदेशना के बड़े बेटे की शादी हो गई ।मैंने नई पीढ़ी की सोच के साथ सकारात्मक समाधान लिखा था कल्पना से और उसकी बहू ने कदम उठाया और एक संस्था में रखकर उनका इलाज करवा रही है जिससे अब जाकर उसकी तबियत में सुधार आया है।shobhanahttps://www.blogger.com/profile/11004251729395220506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-61261976819584523702019-07-04T15:37:32.809+05:302019-07-04T15:37:32.809+05:30आभार ।बहुत दिनों पहले लिखी थी ।
ब्लॉग का डेशबोर्ड ...आभार ।बहुत दिनों पहले लिखी थी ।<br />ब्लॉग का डेशबोर्ड खुलता ही नही तो त्रुटियां ठीक न हो पा रही।☺️shobhanahttps://www.blogger.com/profile/11004251729395220506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-45246626752752737112019-07-03T12:24:00.525+05:302019-07-03T12:24:00.525+05:30कभी कभी लगता हैं लोग लावा बनने तक चुप ही क्यों रहत...कभी कभी लगता हैं लोग लावा बनने तक चुप ही क्यों रहते हैं | सब कुछ ख़त्म होने के बाद बोले भी तो क्या फायदा |दूसरों को फर्क नहीं पड़ता लेकिन अपना सबकुछ जा चूका होता हैं | | anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-45845344733977930532019-07-03T00:02:07.199+05:302019-07-03T00:02:07.199+05:30सशक्त और प्रभावशाली लेखन... शुभकामनाएं दीसशक्त और प्रभावशाली लेखन... शुभकामनाएं दीसंध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-35370941156217670272019-07-02T23:27:04.552+05:302019-07-02T23:27:04.552+05:30बहुत अच्छी और हृदयस्पर्शी कहानी जो इस बात का संकेत...बहुत अच्छी और हृदयस्पर्शी कहानी जो इस बात का संकेत देती है कि सहनशीलता की भी एक हद होती है। आभार।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-64093052349831756442019-07-02T23:15:59.108+05:302019-07-02T23:15:59.108+05:30शोभना दी के साथ भी बड़ा पुराना रिश्ता है। उनकी रचना...शोभना दी के साथ भी बड़ा पुराना रिश्ता है। उनकी रचनाएँ आस पास की घटनाओं को समेटे रहती हैं!प्रस्तुत कहानी एक बड़ा ही मार्मिक दृश्य उपस्थित करती है और वर्णन इतना जीवन्त है कि बरबस रोना आ जाता है!लेकिन उससे अधिक प्रभावशाली कथा का अन्त है। जिस प्रकार कहानी ने मोड़ लिया है, उसे शुरुआती वर्णन के कॉन्ट्रास्ट में देखा जा सकता है!<br />लिखने के लिए गूगल का लिप्यान्तरण टूल प्रयोग करने के कारण टाइपिंग की त्रुटियां दिख रही हैं! यहाँ में व्यक्तिगत रूप से यह अनुरोध करूँगा कि इस प्रकार की प्रतियोगिता के लिए रचनाएँ अवश्य दुहराई जानी चाहिए!<br />एक बार फिर इस कहानी के लिए धन्यवाद!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-42130853699578348902019-07-02T22:53:18.422+05:302019-07-02T22:53:18.422+05:30अत्यंत मर्मस्पर्शी कहानी ! घर परिवार से मिली उपेक्...अत्यंत मर्मस्पर्शी कहानी ! घर परिवार से मिली उपेक्षा और अवहेलना किसीको भी तोड़ कर विक्षिप्त बना सकती है ! विडम्बना यही है कि जो इस शोषण के आरोपी हैं वे ही न्याय करने का दायित्व उठा कर स्वयं को दंड देने के स्थान पर उस मासूम को आरोपों प्रत्यारोपों के जाल में उलझा कर रख देते हैं जो उनके ज़ुल्म का शिकार हुआ है ! बहुत सुन्दर कहानी शोभना जी ! हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएं ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-64882930055135278622019-07-02T17:39:24.810+05:302019-07-02T17:39:24.810+05:30जब कोई मजबूत कंधा नहीं मिलता है तब आत्मबल के अभाव ...जब कोई मजबूत कंधा नहीं मिलता है तब आत्मबल के अभाव में कई महिलाएं टूट जाती हैं ऐसे दुःख को झेलना कहाँ उनके वश में होता है ....😢Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-34773104929738580252019-07-02T17:16:07.313+05:302019-07-02T17:16:07.313+05:30आप सभी का ह्रदय से आभारआप सभी का ह्रदय से आभारshobhanahttps://www.blogger.com/profile/11004251729395220506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-77071340888267416802019-07-02T15:30:44.521+05:302019-07-02T15:30:44.521+05:30मार्मिक कहानी..इंसान का मन फूल से भी कोमल होता है,...मार्मिक कहानी..इंसान का मन फूल से भी कोमल होता है, फिर इतने सारे घाव सहते सहते एक दिन तो वह बिखर ही जायेगा, समय रहते यदि किसी ने उनके मन को समझा होता तो शायद यह हालात पैदा नहीं होते,एक स्नेह भरा हाथ रखने वाला जब जीवन में नहीं होता तब इंसान टूट जाता है..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-1038225178506731002019-07-02T15:16:14.522+05:302019-07-02T15:16:14.522+05:30व्यवहारिकता भी आवश्यक। अच्छी कहानी।
व्यवहारिकता भी आवश्यक। अच्छी कहानी।<br />shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-73714744428778315232019-07-02T15:03:09.758+05:302019-07-02T15:03:09.758+05:30व्यावहारिकता जीवन में जितनी जल्दी आ जाए उतना ही अच...व्यावहारिकता जीवन में जितनी जल्दी आ जाए उतना ही अच्छा होता है ... सकारात्मक भाव लिए अच्छी कहानी ... संवेदना लिए ... शोभना जी को स्वागत है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-65218592198602108492019-07-02T14:59:57.949+05:302019-07-02T14:59:57.949+05:30उफ्फफ..
घर के लोगों का साथ नहीं मिला..
बेहद मार्मि...उफ्फफ..<br />घर के लोगों का साथ नहीं मिला..<br />बेहद मार्मिक..<br />सादर..yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-86713337419184491972019-07-02T13:05:21.604+05:302019-07-02T13:05:21.604+05:30समाज में कब किस के साथ दुर्घटना घट जाए कहना मुश्कि...समाज में कब किस के साथ दुर्घटना घट जाए कहना मुश्किल है ।लेकिन बीमारी का व्यवहारिक समाधान होना ही चाहिए । संवेदनशील कहानी । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com