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शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

फेसबुकिया माँ की ममता - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

अभी होश में आई है ज़च्चा...

प्रसव कक्ष से निकलने के एक घंटे के बाद होश आया है !

बच्चे को जन्म दिए अभी एक घंटे से ज्यादा वक़्त नहीं हुआ... शरीर में शक्ति नहीं है...

करवट लेना तो दूर की बात, हिलना भी मुश्किल हो रहा है... बिस्तर पर पड़े पड़े दाहिने हाथ से बगल में टटोला हाथ में कुछ नहीं लगा... बाएं हाथ से भी कोशिश किया, फिर भी हाथ में कुछ नहीं लगा... विचार आया कि कहीं नीचे लुढ़क के गिर तो नहीं गया?

हिम्मत जुटाते हुए पलंग के नीचे देखा... नीचे कुछ नहीं था तो मन में घबराहट होने लगी!

थोड़ी और हिम्मत कर के दूर दिख रही नर्स को इशारे से बुलाया!

नर्स ने जच्चा की घबराहट देख कर इनक्यूबेटर रूम से दौड़ कर बच्चा ला कर माँ के हाथ में थमाते हुए कहा, "मैं समझ सकती हूँ बहन, लो जी भर कर देख लो!"

जच्चा माथा पीटते हुए बोली, "मैं मोबाइल फ़ोन कहाँ हैं पूछ रही थी ... फेसबुक स्टेटस डालना था |"

सादर आपका 

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हां,मैंने कभी एक झूठ बोला था ... डॉ. शरद सिंह

खामियाजा

जिनके बिगड़े रहते हैं बोल

तुम्हारी जलन मरणांतक है।

संवेदनाएं

माँ होना...

कोई कह दे ये वाक़या क्या है...

खाते-पीते लोग एक साथ और कहां मिलेंगे!

संस्मरण

तुम नही समझोगे...!!!

मेरठ की एक शाम, संगीत,नृत्य और साहित्य की जुगलबंदी के नाम

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!! 

8 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

अभी मोबाइल हाथ में लिये नहीं आया बच्चा गनीमत है :P

सुन्दर प्रस्तुति ।

जयन्ती प्रसाद शर्मा ने कहा…

मोबाइल फ़ोन आज रिश्तों पर भारी पड़ रहा है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत बहुत धन्यवाद।।

Meena Bhardwaj ने कहा…

फेसबुक का बुखार है तो ऐसा ही , वाकई में कमाल का विश्लेषण किया है आपने । बहुत सुन्दर लिंक्स का संयोजन ।

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ने कहा…

शुक्रिया ...सादर आभार।

जच्चा माथा पीटते हुए बोली, "मैं मोबाइल फ़ोन कहाँ हैं पूछ रही थी ... फेसबुक स्टेटस डालना था |"

आज के परिवेश पर सुंदर कटाक्ष।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बहुत दिनों बाद एक पोस्ट अपने ब्लाग अनवरत पर लिखी थी। आप ने उसे ब्लाग बुलेटिन में सम्मिलित किया, उसके लिए आभार। फेसबुक और ट्विटर की चकाचौंध में ब्लाग कहीं खो गए लगते हैं। लेकिन ब्लगा का महत्व स्थायी है। जब कि ट्विटर और फेसबुक पर लिखा कुछ ही दिनों में फीका होते होते गायब हो जाता है।

Roli Abhilasha ने कहा…

मेरी पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए आभार।
बेहतरीन प्रस्तुतिकरण।

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

बेहतरीन किस्सा। शुरआत में मार्मिक लगा और अंत तक आते आते बरबस ही हँसी छूट गयी। हमेशा की तरह सुन्दर लिंक्स को संकलित किया है। मेरे पोस्ट के लिंक को जगह देने के लिए आभार।

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार शिवम् मिश्रा जी !

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