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मंगलवार, 2 अक्टूबर 2018

आदर्शों-शिक्षाओं को अपनाना सच्ची श्रद्धांजलि : ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार साथियो,
आज, दो अक्टूबर को मोहनदास करमचंद गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन. पूरा देश वैसे तो आज दोनों महापुरुषों को याद कर रहा है पर अगले वर्ष महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती होने के कारण उनको प्रमुखता से याद किया जा रहा है. सरकार, मीडिया, सोशल मीडिया सभी के सभी गाँधी-रंग में रँगे नजर आ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वच्छता अभियान को गाँधी जी से संदर्भित कर देने के चलते चारों तरफ झाडू लिए, फोटो खिंचाते जनप्रतिनिधि, अधिकारी नजर आ रहे हैं. रैलियाँ, गोष्ठियां, बैठकें, बैनर, पोस्टर आदि सिर्फ स्वच्छता अभियान की चर्चा करते दिख रहे हैं.  


देश के महामनाओं को श्रद्धांजलि देते हुए उनके आदर्शों पर चलने की बात की जाती है. उनकी शिक्षाओं को अपनाने पर जोर दिया जाता है. उनके विचारों को आज भी प्रासंगिक माना जाता है. असलियत यह है कि सार्वजानिक मंच से यह सब होने के बाद भी देश के नागरिकों में महापुरुषों के आदर्शों को अमल में लाना बंद कर दिया है. व्यावहारिक रूप से आदर्शों को मानना, शिक्षाप्रद स्थितियों के साथ सामंजस्य बैठाना दिखता नहीं है. यही कारण है कि जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले लाल बहादुर के देश में सैनिकों की शहादत पर कथित राजनीतिज्ञ अनर्गल बयानबाज़ी करते हैं. सेना के कदमों को भी राजनीति के घेरे में लाकर उसका विश्लेषण किया जाने लगता है. महात्मा गाँधी के स्वच्छता सम्बन्धी विचार को जब केंद्र सरकार ने अभियान बनाकर देश भर में शुरू किया तो इसमें भी राजनीति दिखाई दी. सोचने का विषय है कि क्या आज के जय जवान, जय किसान और शास्त्री जी के समय के जय जवान, जय किसान में अंतर है? इसे भी समझना होगा कि गाँधी जी का स्वच्छता सम्बन्धी विचार और नरेन्द्र मोदी का स्वच्छता सम्बन्धी विचार कैसे अलग है?

बहरहाल, सभी के अपने-अपने सच हैं, सभी के अपने-अपने तर्क हैं. इन्हीं सत्यों और तर्कों के बीच सभी को अपना-अपना रास्ता बनाना है, चुनना है, उस पर चलना है. आइये महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके बताये रास्ते पर चलने का प्रयास करें. उनकी शिक्षाओं से यदि मत-भिन्नता है भी तो उसके बीच समाजहित का, देशहित का अपना नया रास्ता बनाते हुए उस पर चलने का प्रयास करें. प्रयास करें कि मत-भिन्नता हो, मतभेद हों मगर मनभेद न हों. इसी आशा, विश्वास के साथ आज की बुलेटिन आपके समक्ष है, जय हिन्द.

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5 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति। नमन बापू और लालबहादुर जी को।

Anuradha chauhan ने कहा…

शत् शत् नमन सुंदर बुलेटिन प्रस्तुति

Satish Saxena ने कहा…

बढ़िया लिंक दिए हैं आपने ...पढ़ रहा हूँ ! आभार रचना को स्थान देने के लिए

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

शिवम् मिश्रा ने कहा…

दोनों महापुरुषों को नमन|

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