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गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

गिरिधर मुरलीधर - 2200 वीं ब्लॉग-बुलेटिन

कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है...  
आप जो समझ रहे हैं ऊ बात नहीं आता है... असल में बात ओही है, लेकिन कोनो बात को सीधा-सीधी कह दिये त आपको कइसे लगेगा कि ई हम कह रहे हैं. काहे कि हमरा सुरुए से ई आदत रहा है कि कान कहियो सीधा तरफ से नहीं धरते हैं. बिना घुमाकर कान धरे हमको संतोस नहीं होता है.

त हम का कह रहे थे... हाँ इयाद आया... कह रहे थे कि कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कि ई अदमी का सोभाव होता है कि चकाचौंध का मोह आसानी से नहीं छोड़ पाता है. कभी कभी ई चकाचौंध बनाया हुआ भी होता है अऊर कभी-कभी सच्चो का भी होता है. अब देखिये अभी ई महीना के सुरुआत में गाँधी जी अऊर सास्त्री जी का जनमदिन बीता है. हर साल बीतता है... लेकिन गाँधी जी का चकाचौंध के आगे सास्त्री जी जइसा साधारन अदमी का जनमदिन किसको इयाद रहता है. मगर इससे सास्त्री जी का बड़प्पन तनिको कम नहीं होता है. ऊ रहीम कबि कहिये गये हैं कि गिरिधर को मुरलीधर कहने से कब ऊ बुरा मानते हैं. सास्त्री जी सुरुए से जमीन से जुड़ा अदमी थे जादा चकाचौंध से एम्बैरेस हो जाते.

ओइसहिं एगो अऊर अदमी थे. तब हम इस्कूल में पढ़ते थे. हमरे इस्कूल के सामने उनका घर था. उनके एक बार पुकारने पर देस भर से छात्र लोग कांग्रेस सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया. हमको इयाद आता है कि हम भी हाथ में काला पट्टी बाँधकर मीटिंग में जाते थे. उनके घर में बहुत गहमा गहमी रहता था. ऊ साधारन देखाई देने वाला अदमी देस को एगो नारा दिया – सम्पूर्ण क्रांति! अऊर जइसा कि अंग्रेजी का कहावत है – इसके बाद जो हुआ ऊ अपने आप में इतिहास है. पहिला बार कोनो एक अदमी के प्रयास से देस भर का पूरा कांग्रेस बिरोधी पार्टी एकजुट हो गया अऊर जो बात कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था, ऊ सच होकर सामने आया. कांग्रेस सरकार का जड़ से सफाया.

ऊ साधारन अदमी का नाम था – जय प्रकास नारायन. प्यार से हमलोग जे.पी. कहते थे अऊर कोई भी सरकारी पद नहीं लेने वाला देस का मामूली नागरिक भारत रत्न जय प्रकास नारायन!

एगो दोसरा अदमी का खिस्सा भी सुनिये लीजिए. बहुत पढ़ा-लिखा परिवार से आने वाला अदमी. लम्बाई जरूरत से जादा, आवाज जरूरत से जादा सख्त, दुबला पतला एतना कि फूँक दे त, हवा में उड़ जाए. उसपर सौख ऐक्टिंग का सिनेमा में. सबलोग मजाक उड़ाकर भगा दिया. जो लोग रोल दिया ऊ लोग भी सोचा कि कोनो गलतिये किये हैं. फिर जिंदगी का इण्टर्भल के बाद भाग पलटा खाया अऊर एक के बाद एक सिनेमा हिट. देखते देखते ऊ सिनेमा-जगत का पहिला ऐंग्री यंग मैन बन गया अऊर सुपर स्टार भी. फिर ऐक्सिडेण्ट, इलेक्सन, आरोप, त्याग-पत्र, भयंकर कर्ज अऊर सब तरह का दुर्भाग्य. मगर ऊ अदमी के पिता जी कह गये थे कि बेटा मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती – अऊर मेहनत का चमत्कार कि ऊ फिर से सिखर तक पहुँच गया. जनमानस के दिल में जगह बनाया, बड़ा परदा से छोटा तक – जहाँ जहाँ उनका चरन पड़ा, बस सफलता उनके चरन में बिछता चला गया. अऊर जइसा कि अंग्रेजी का कहावत है – इसके बाद जो हुआ ऊ अपने आप में इतिहास है.

ऊ असाधारन अदमी का नाम है अमिताभ बच्चन... प्यार से हमलोग बिग बी कहते हैं अऊर सदी का महानाय्क कहलाने वाला पद्म विभूषण अमिताभ बच्चन!

दिल जीतने अऊर खासकर युवा वर्ग का दिल जीतने का करिस्मा करने वाला ई दुनो महान व्यक्ति का जनमदिन आज है. लेकिन ई अदमी चकाचौंध का मोह नहीं छोड़ पाता है. अमित जी के जनमदिन से त सबका फेसबुक, व्हाट्स ऐप्प भरा होगा, लेकिन जयप्रकास बाबू को केतना लोग इयाद करता है. मगर का फरक पड़ता है – गिरिधर को मुरलीधर कह देने से उनका महातम कम त नहींये होता है.

अब हम कभी-कभी प्रकट होते हैं आजकल. मगर साधारन बिहारी होते हुये भी (दू साल पहिले गुजरात से खदेड़े गये थे) जब आते हैं त कोनो चकाचौंध होता है ब्लॉग-बुलेटिन पर, जइसे आज ई दुनो महान हस्ती का जनमदिन के साथ हमरे ब्लॉग-बुलेटिन का ई  2200 वाँ पोस्ट है. आपलोग एंजॉय कीजिये अऊर कोनो बात का बुरा लगा होगा त नवरात्रि अऊर शरद ऋतु के त्यौहार के बीच हमरा सुभकामना पाकर हमको माफ कीजियेगा. बस जो मन में आया सो कह दिये, काहे कि खाली उन्हीं के नहीं – कभी-कभी मेरे दिल में भी ख्याल आता है!!


                                                                                         - सलिल वर्मा 

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10 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

आप आते हैं बहार आती है। आते जाते रहिये बहारों को साथ लेकर ।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

अगला पिछला सभे कसर निकाल लेते हैं...
रोमांचक लेखन

अर्चना तिवारी ने कहा…

बाबूमोशाय! आप त गजब लिखबे करते हैं, एगो दुसरा बात ई कि का कहने जा रहे थे हम त भूलिए गए। चलिए चिंता का कौनो बात नहीं है अगली पोस्ट जब डालिएगा त आते हैं हम..

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

गज़ब लिखा आपने! ब्लॉग लिंक छुट्टी में पढ़ेंगे।

SKT ने कहा…

क्या धोबीपाट मारा है....सामने वाला या तो आसमान देखता नजर आता है या धूल चाटता हुआ....आपका अंदाज ए बयां है ही निराला!

Anuradha chauhan ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति आपको भी नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं बहुत सुंदर लेख लिखा आपने

Anita ने कहा…

वाह ! कभी कभी आने वाले ख्याल बड़े प्रभावशाली होते हैं...जयप्रकाश नारायण और शास्त्री जी को याद करने वाले आप जैसे कद्रदान सदा रहेंगे, उन दिव्य आत्माओं को विनम्र श्रद्धांजलि ! पठनीय सूत्रों से सजा बुलेटिन..मुझे भी इसका हिस्सा बनाने के लिए आभार !

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

आभार आप सभी सुधि पाठकों का!!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सभी पाठकों और पूरी बुलेटिन टीम को 2200 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाइयाँ |

ऐसे ही स्नेह बनाए रखिए |



सलिल दादा को सादर प्रणाम |

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