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विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस (अंग्रेज़ी: World Autism Awareness Day) दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष 2 अप्रॅल को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2007 में 2 अप्रैल के दिन को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस घोषित किया था। इस दिन उन बच्चों और बड़ों के जीवन में सुधार के कदम उठाए जाते हैं, जो ऑटिज़्म ग्रस्त होते हैं और उन्हें सार्थक जीवन बिताने में सहायता दी जाती है। नीला रंग ऑटिज़्म का प्रतीक माना गया है। वर्ष 2013 में इस अवसर पर ऑटिज़्मग्रस्त एक व्यक्ति कृष्ण नारायणन द्वारा लिखित एक पुस्तक और 'अलग ही आशा' शीर्षक एक गीत जारी की गई। भारत के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अनुसार प्रति 110 में से एक बच्चा ऑटिज़्मग्रस्त होता है और हर 70 बालकों में से एक बालक इस बीमारी से प्रभावित होता है। इस बीमारी की चपेट में आने के बालिकाओं के मुकाबले बालकों की ज्यादा संभावना है। इस बीमारी को पहचानने का कोई निश्चित तरीका ज्ञात नहीं है, लेकिन जल्दी निदान हो जाने की स्थिति में सुधार लाने के लिए कुछ किया जा सकता है। दुनियाभर में यह बीमारी पाई जाती है और इसका असर बच्चों, परिवारों, समुदाय और समाज पर पड़ता है।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
6 टिप्पणियाँ:
सुंदर संकलन। बुलेटिन में दिए गए अग्रलेख/भूमिका सदैव ज्ञानवर्धक होते हैं ।
अच्छी प्रस्तुति
उम्दा प्रस्तुति|मेरी रचना की लिंक शामिल करने के लिए धन्यवाद |
बढ़िया प्रस्तुति।
अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
वर्ल्ड ऑटिज्म डे पर सार्थक जानकारी..सुंदर सूत्रों से सजा बुलेटिन, आभार मुझे भी इसमें शामिल करने के लिए.
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