अकेलेपन का मित्र कोई व्यक्तिविशेष हो - ज़रूरी नहीं
प्रकृति,ख़ामोशी,घड़ी की टिक टिक … भी हो सकते हैं
रोने से पहले दिल की सुनो
भीड़ में वह कितना चुप सा था
पंछी कितने उदास थे - सोचो
सुनो - ....
और जानो - अकेलेपन को एकांत दो
एकांत में ही आध्यात्म की रौशनी प्रखर होती है
2 टिप्पणियाँ:
सुन्दर प्रस्तुति ।
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
आभार!
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