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सोमवार, 23 मई 2016

भारत का पहला स्वदेशी स्पेस शटल RLV-TD सफलतापूर्वक लॉन्च

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

भारत ने आज स्वदेशी आरएलवी यानी पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान के पहले प्रौद्योगिकी प्रदर्शन का आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण कर लिया। आरएलवी पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने और फिर वापस वायुमंडल में प्रवेश करने में सक्षम है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रवक्ता ने आरएलवी-टीडी एचईएक्स-1 के सुबह सात बजे उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद बताया, अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
यह पहली बार है, जब इसरो ने पंखों से युक्त किसी यान का प्रक्षेपण किया है। यह यान बंगाल की खाड़ी में तट से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर उतरा। हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग कहलाने वाले इस प्रयोग में उड़ान से लेकर वापस पानी में उतरने तक में लगभग 10 मिनट का समय लगा।
आरएलवी-टीडी पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान का छोटा प्रारूप है।
आरएलवी को भारत का अपना अंतरिक्ष यान कहा जा रहा है। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह लागत कम करने, विश्वसनीयता कायम रखने और मांग के अनुरूप अंतरिक्षीय पहुंच बनाने के लिए एक साझा हल है।
इसरो ने कहा कि आरएलवी-टीडी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन अभियानों की एक श्रृंखला है, जिन्हें एक समग्र पुन: प्रयोग योग्य यान टू स्टेज टू ऑर्बिट (टीएसटीओ) को जारी करने की दिशा में पहला कदम माना जाता रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, इसे एक ऐसा उड़ान परीक्षण मंच माना जा रहा है, जिस पर हाइपरसोनिक उड़ान, स्वत: उतरने और पावर्ड क्रूज फ्लाइट जैसी विभिन्न अहम प्रौद्योगिकियों का आकलन किया जा सकता है। 
विमान जैसा दिखने वाला 6.5 मीटर लंबा यह यान एक विशेष रॉकेट बूस्टर की मदद से वायुमंडल में भेजा गया। इस यान का वजन 1.75 टन था।
इसरो ने सोमवार सुबह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पहली बार स्वदेशी दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाला प्रक्षेपण यान (आरएलवी-टीडी) प्रक्षेपित किया। इसे भारत का अपना अंतरिक्ष यान बताया जा रहा है।
यान के बारे में 10 खास बातें: 
1- आरएलवी-टीडी का मुख्य लक्ष्य पृथ्वी की कक्षा में उपग्रह पहुंचाना और फिर वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करना है, यान को एक ठोस रॉकेट मोटर से ले जाया जाता है।
2- इस स्पेस शटल की लंबाई 6.5 मीटर और वजन 1.75 टन है। 
3- अमेरिकी अंतरिक्ष यान की तरह दिखने वाले डबल डेल्टा पंखों वाले यान को एक स्केल मॉडल के रूप में प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जो अपने अंतिम संस्करण से करीब छह गुना छोटा है।
4- हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग के तौर पर जाने जाने वाले अभियान के प्रक्षेपण से लेकर उतरने तक में करीब दस मिनट लगने की संभावना है।
5- आरएलवी-टीडी को दोबारा प्रयोग में लाए जा सकने वाले रॉकेट के विकास की दिशा में एक बहुत प्रारंभिक कदम बताया जा रहा है। इसके अंतिम संस्करण के निर्माण में दस से 15 साल लगने की संभावना है।
6- अमेरिकी अंतरिक्ष यानों के रनवे की तरह श्रीहरिकोटा में एक रनवे बनाया जाएगा। जब यह यान अपने अंतिम चरण में पहुंच जाएगा, तब यह श्रीहरिकोटा में जमीन पर वापस आएगा।
7- परीक्षण के पहले चरण में यह समुद्र की सतह से टकराने के बाद टूट जाएगा। अभी इसे तैरने लायक नहीं बनाया गया है।
8- इस यान के सफल होने पर इसे ‘कलामयान’ नाम दिया जाएगा।
9- इसरो ने पहली बार पंखों वाले उड़ान यान का प्रक्षेपण किया है। सरकार ने आरएलवी-टीडी परियोजना में 95 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
10- अगर दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले रॉकेट वास्तविकता का रूप ले लें तो अंतरिक्ष तक पहुंच का खर्च दस गुना कम हो सकता है।

ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से सभी भारतवासियों ख़ास तौर पर भारतीय वैज्ञानिकों को इस सफलता पर हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!!

सादर आपका

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गौरव के पल  

भारत के खाते में एक और सफलता

तुम आ ही गए

मछली तूने जान गँवाई

किसे अब चाहिये दौलत जहाँ में

एक ग़ज़ल --

सौहार्द्र - लघुकथा

एक चमत्कारिक उपचार फल - नोनी.

हलक जड़ी है फाँस

रेडियो, हम और हमारी गानों की कॉपी

वो गर्मियों के दिन..मेरा बचपन और गुलज़ार - २

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

5 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर जानकारी बढ़िया प्रस्तुति शिवम जी ।

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत ही दिलकश लिंक्स से सजा आज का बुलेटिन ! मेरी प्रस्तुति को शामिल करने के लिये आपका दिल से शुक्रिया शिवम जी ! आभारी हूँ !

girish pankaj ने कहा…

धन्यवाद

Sushil Bakliwal ने कहा…

Thank's A Lot...

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

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