जीवन के अंश अंश को लिखनेवाला कोई वाल्मीकि हो
हर दृश्य को शब्दों में उपस्थित करने को वेद व्यास हो
तो - व्यक्तित्व के कई पहलू स्थापित होते हैं !
सोचिये
यदि वाल्मीकि राम से प्रतिस्पर्धा रखते
तो रामायण' की रचना नहीं होती
राम का हर पहलु उजागर नहीं होता
....
तो रामायण' की रचना नहीं होती
राम का हर पहलु उजागर नहीं होता
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तो अपनी कलम को निःस्वार्थ रखिये
6 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉगपोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
सुंदर सन्देश निस्वार्थ कलम ही ,,,,,
सुंदर सन्देश निस्वार्थ कलम ही ,,,,,
आज कलम को निःस्वार्थ रखने की आवश्यकता है!!
बढ़िया बुलेटिन हमेशा की तरह ।
कोशिश तो यही रहती है !!
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