सभी ब्लॉगर मित्रों को राम राम....
आज के दिन का आगाज़ करती हूँ मैं अमित आनंद की एक शानदार अभिव्यक्ति
के साथ.........
बाजीगर
बुनो कोई शब्द जाल
महीन
कसा हुआ/मजबूत
महीन
कसा हुआ/मजबूत
कोई
ऐसा जाल
जिसके सिर्फ दो संकरे किनारे हों
ऐसा जाल
जिसके सिर्फ दो संकरे किनारे हों
जिसकी झोल मे समां सके समूचा आसमान,
बाजीगर
तुम्हे बुनना होगा
हर हाल मे
मेरी खातिर
श्वेताम्बरा की / बसंतरूपा / दाड़िम और उरमा की खातिर
तुम्हे बुनना होगा
हर हाल मे
मेरी खातिर
श्वेताम्बरा की / बसंतरूपा / दाड़िम और उरमा की खातिर
नुक्कड़ के लल्लू पनवाड़ी की खातिर
उस भिखारिन के नन्हे बच्चे की खातिर
उस भिखारिन के नन्हे बच्चे की खातिर
बुनना पड़ेगा
तुम्हे
तुम्हारी खुद की खातिर,
तुम्हे
तुम्हारी खुद की खातिर,
बाजीगर
बुनो एक जाल,
बुनो एक जाल,
इस से पहले कि
कोई और हाथ मार जाए
कोई और हाथ मार जाए
हमें चाँद का शिकार कर लेना चाहिए अब!
*******अमित आनंद *************
एक नज़र आज के बुलेटिन पर
आज की बुलेटिन में बस इतना ही मिलते है फिर इत्तू
से ब्रेक के बाद । तब तक के लिए शुभं।
6 टिप्पणियाँ:
अमित जी की सुंदर रचना ... आभार मैं और मेरी कविता को शामिल करने हेतू
बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति
आभार!
बढ़िया रचना से सजी हुई उम्दा बुलेटिन के लिए आपका आभार किरण जी |
सुन्दर प्रस्तुति ।
बहुत ही ख़ूबसूरत और प्यारी अभिव्यक्ति!!
bahut hi badiya bhai
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