प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज कोई बात नहीं ... सिर्फ़ एक चित्र ...
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
प्रणाम |
आज कोई बात नहीं ... सिर्फ़ एक चित्र ...
"यह जो 'छोटू' होते हैं न, दुकानों, होटलों और वर्कशॉपों में; दरअसल अपने घर के 'बड़े' होते हैं !!" |
जब भी इन से मिलें ... कृपया इन के प्रति उचित सम्मान का प्रदर्शन करें ... बस इतना सा अनुरोध है !!
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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"भैंसीयास्टिक technology"...व्यंग्य बाण
जिसको जैसी आंच मिली...
कुछ रोज नहीं जलता है चूल्हा जिसके घर ...
मिलन
‘हम-परवाज़’
खिलेंगे फूल
उफा के बाद उफ!!
पाओलो कोएलो को पढ़ते हुए
सेल्फ़ी लेते समय शिष्टाचार एवं सभ्यता का रखे ध्यान !
बेटी छूट जाती तो ---
सावन का कजरी गीत --आज मेरा भैया आएगा
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
12 टिप्पणियाँ:
चित्र अपने आप में ही बहुत कुछ बोल रहा है । सुंदर सूत्रों के साथ सुंदर रविवारीय बुलेटिन ।
चित्र के माध्यम से बहुत गहरी बात कह दी है आपने.सुंदर सूत्रों से सजी बुलेटिन.
मुझे स्थान देने के लिए आभार.
शिवम् जी आपकी बात ,तस्वीर और उसके नीचे उसका संक्षिप्त परिचय दिल को छू गया। बहु बड़ी और बेहद मूलभूत बात लिखी है आपने। आपको बधाई।
शिवम् जी आपकी बात ,तस्वीर और उसके नीचे उसका संक्षिप्त परिचय दिल को छू गया। बहु बड़ी और बेहद मूलभूत बात लिखी है आपने। आपको बधाई।
कह जाते है चित्र के भाव
जो शब्द नहीं कह पाते है
रह जाती है स्मृतियाँ चित्त में
जब अपने सामने नहीं रह जाते है
शिवम जी, बिल्कुल सही कहा आपने... जब बचपन में सर पर परिवार का बोझ आ जाता है, तब बचपन में ही बच्चे बडे हो जाते है. और बचपन कहीं खो जाता है.
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद.
बाल मजदूरी को दर्शाता मार्मिक चित्रण।
चित्र के माध्यम से बहुत गहरी बात कह दी है
Ebook Publisher
ये जो छोटू होते हैं ना घर के बडे होते हैं...................सत्य और बहुत गंभीर बात कही आपने....... प्रणाम स्वीकार कीजियेगा
बहुत सही बात सबकी अपनी-अपनी इज़्ज़त होती हैं हमें सबका सम्मान करना चाहिए
बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
आप सब का बहुत बहुत आभार |
बहुत सार्थक गहन भाव से समृद्ध चित्र हेतु आप बधाई के पात्र हैं |मेरी रचना को स्थान देने का दिल से शुक्रिया .पोस्ट पर देर से पँहुचने का खेद है
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