सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।
आज आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रथम रचनाकारों में से एक बालकृष्ण भट्ट जी की 171वीं जयंती है। बालकृष्ण भट्ट का जन्म प्रयाग (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश में 3 जून, सन् 1844 ई. को हुआ था। आज की आधुनिक हिन्दी साहित्य की गद्य प्रधान कविता का जनक इन्हें ही माना जाता है। बालकृष्ण भट्ट जी एक सफल नाटककार, निबंधकार, पत्रकार और उपन्यासकार थे। भट्ट जी ने कई शोधपरक निबन्ध, उपन्यास और नाटकों की रचना करके हिन्दी साहित्य में अपना अतुलनीय योगदान दिया। बालकृष्ण भट्ट जी को हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, बांग्ला और फारसी आदि भाषाओं का अच्छा खासा ज्ञान था। भट्ट जी ने आधुनिक हिन्दी साहित्य की प्रथम पत्रिकाओं में से एक "हिन्दी प्रदीप" का संपादन लगभग 32 वर्षों तक किया था। बालकृष्ण भट्ट जी की प्रमुख कृतियाँ हैं :-
निबन्ध संग्रह - साहित्य सुमन और भट्ट निबन्धावली
उपन्यास - नूतन ब्रह्मचारी और सौ अजान एक सुजान
नाटक - दमयंती स्वयंवर, बाल-विवाह, चंद्रसेन, रेल का विकट खेल
अनुवाद - वेणीसंहार और पद्मावती
बालकृष्ण भट्ट जी का लेखकों में सर्वोच्च स्थान है। भट्ट जी ने बतौर निबन्धकार, लेखक, उपन्यासकार और अनुवादक आदि के विभिन्न रूपों में हिन्दी साहित्य की सर्वथा सेवा की। बालकृष्ण भट्ट जी का निधन 20 जुलाई, सन् 1914 ई. में हो गया था।
सादर आपका
बालकृष्ण भट्ट |
निबन्ध संग्रह - साहित्य सुमन और भट्ट निबन्धावली
उपन्यास - नूतन ब्रह्मचारी और सौ अजान एक सुजान
नाटक - दमयंती स्वयंवर, बाल-विवाह, चंद्रसेन, रेल का विकट खेल
अनुवाद - वेणीसंहार और पद्मावती
बालकृष्ण भट्ट जी का लेखकों में सर्वोच्च स्थान है। भट्ट जी ने बतौर निबन्धकार, लेखक, उपन्यासकार और अनुवादक आदि के विभिन्न रूपों में हिन्दी साहित्य की सर्वथा सेवा की। बालकृष्ण भट्ट जी का निधन 20 जुलाई, सन् 1914 ई. में हो गया था।
आज हम सब हिन्दी साहित्य के इस महान निर्माता को याद करते हुए इन्हें श्रद्धापूर्वक विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
सादर आपका
हर्षवर्धन श्रीवास्तव
अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर ....
आज की बुलेटिन में बस इतना ही। कल फिर मिलेंगे। सादर ... अभिनन्दन।।
अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर ....
आज की बुलेटिन में बस इतना ही। कल फिर मिलेंगे। सादर ... अभिनन्दन।।
8 टिप्पणियाँ:
बुलेटिन ने रफ्तार पकड़ ली :)
बहुत सुंदर ।
सार्थक बुलेटिन हर्ष ... आभार आपका |
स्व॰ बालकृष्ण भट्ट जी को शत शत नमन |
बहुत सुंदर बुलेटिन .... सादर आभार लाला जी की लाल लंगोट को शामिल करने हेतू
achhi,pathniy buletin....
achhi,pathniy buletin....
सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
शुभकामनाएँ।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
सुन्दर सूत्र, शेष बचे सूत्र पढ़ते हैं जाकर।
बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
भट्ट जी को सादर श्रद्धा सुमन!
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