सभी ब्लॉगर मित्रों को सादर नमस्कार।।
आज मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब जी की 145वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर आपके समक्ष प्रस्तुत है उनके कुछ यादगार शेर -
आज मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब जी की 145वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर आपके समक्ष प्रस्तुत है उनके कुछ यादगार शेर -
"हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे,
कहते हैं ग़ालिब का है अंदाज़-ए-बयां और।"
कहते हैं ग़ालिब का है अंदाज़-ए-बयां और।"
"हमने माना के तगाफुल न करोगे लेकिन,
ख़ाक हो जायेंगे हम तुमको खबर होने तक।"
"कर्ज़ की पीते थे मय और समझते,
कि हां रंग लाएगी हमारी फाकामस्ती एक दिन।"
आज मिर्ज़ा ग़ालिब जी की 145वीं पुण्यतिथि पर पूरा हिन्दी ब्लॉगजगत और ब्लॉग बुलेटिन टीम उन्हें याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है।
अब चलते है आज कि बुलेटिन की ओर .............
6 टिप्पणियाँ:
हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे,
कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए-बयाँ और!
/
इस महान शायर को मेरा सलाम!!
चचा ग़ालिब तक हमारा भी सलाम पहुंचाने के लिए हर्ष आपका बहुत बहुत आभार |
आज के सुंदर रविवासरीय बुलेटिन में "इस देश में जो शरमाता है वही बेशरम कहलायेगा" को देख कर उल्लूक भी शरमा रहा है आभार जता रहा है ।
सुन्दर, रोचक व पठनीय सूत्र..
मुझे शामिल करने का शुक्रिया
बहुत बहुत आभार |
सादर
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!