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गुरुवार, 11 अक्टूबर 2012

300 वीं बुलेटिन - बारी हमारी - ब्लॉग बुलेटिन


सभी साथियों को हमरा प्रणाम और जै श्री कृस्न!

अपना इस्कुलिया टाइम में हम जोन इस्कूल में पढते थे उसका नाम था सर गनेस दत्त पाटलिपुत्रा हाई स्कूल. अपने टाइम का फुटबॉल चैम्पियन (सुब्रोतो मुखर्जी कप जीतने वाला) अऊर क्रिकेट में चैम्पियन, घबराइए मत पढ़ाइयो में चैम्पियन था हमरा इस्कूल. अरे भाई जहाँ हमरे जइसा इस्टूडेंट पढ़ता हो, ऊ पढाई में त चैम्पियन होब्बे न करेगा. मगर आज हम इस्कूल का चर्चा इसलिए किये हैं कि उसी के ठीक सामने एगो बिसाल मकान था. जानते हैं किसका?  

श्री जयप्रकास नारायण का... ओही जिनको हमलोग जे.पी. के नाम से जानते हैं. जो  गांधी मैदान से एलान किये सम्पूर्ण क्रान्ति का अऊर ऊ एलान पर महान लेखक फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ अपना पद्मश्री लौटा दिए. एही आंदोलन देस में पहिला बार कांग्रेस पार्टी के लिए ग्रहण बनकर आया. आज उनका जन्मदिन है.

एगो टाइम था जब कोई डरे कोई नहीं पूछता था कि आप कौन? जहाँ ई पूछा नहीं कि जवाब होता था, “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं. नाम है... !” टाइम बदला मगर बच्चन जी का जादू नहीं बदला. कल्हे हम एही चक्कर में सस्पेंड होते होते बचे. बाहर से फोन था. अऊर ऊ आदमी भी हेलो ना बोलकर सीधा पूछने लगा – आप कौन बोल रहे हैं? बस हमरे मुँह से अपने आप निकल गया, “जी मैं अमिताभ बच्चन बोल रहा हूँ कौन बनेगा करोड़पति से! आपकी पत्नी हमारे सामने बैठी हुई हैं और आपसे मदद मांग रही हैं!” बाद में हम सोचे कि कहीं हमरे ए.जी.एम्./डी.जी.एम्. का फोन होता तो हमारा सत्यानास हो गया होता, बच्चन जी के चक्कर में. ऊ हमरा दोस्त था इसलिए बच गए. अब का करें, बच्चन जी के जादू से बचना मोसकिल ही नहीं नामुमकिन है. चाहे सिनेमा का पर्दा हो या के.बी.सी. का मंच, इनका विस्तार टीवी के छोटा पर्दा से लेकर सिनेमा का सत्तर एम्.एम्. तक फैला है. आइये हम सब मिलकर आज उनको हैप्पी बर्थ डे बोलें और उनका जादू बना रहने के लिए दुआ करें. 

अंत में, एगो जरूरी बात और. आज ‘विश्व दृष्टि दिवस’ है. जब भी हम अपना बेटा और बेटी को छोटा उम्र से चश्मा लगाए देखते हैं तो सोचते हैं कि अइसहीं हमारा केतना बच्चा लोग आँख का बीमारी से पीड़ित है. दुनिया भर में आँख का बीमारी जिससे लोग नेत्रहीन हो जाता है, मामूली सा सावधानी से इससे बचाव किया जा सकता है. आँख का ८०% बीमारी त खाली सावधानी से काबू में किया जा सकता है. “विश्व स्वास्थ्य संगठन” इसको दृष्टि का अधिकार कहता है. आइये आज के दिन को कुछ ऐसा रूप में मनाएं कि कम से कम लोग को उजाला का मतलब समझ में आये.

देखिये आज का दिन केतना ख़ास हो गया. होगा कैसे नहीं, आज हम जो लिख रहे हैं बुलेटिन अऊर जब हम लिखते हैं त ख़ास बात होना लाजमी है. हम लेकर आये हैं आज ब्लॉग बुलेटिन का ३००वाँ पोस्ट. इसी को कहते हैं बुलेटिन के जगत का सम्पूर्ण क्रान्ति या बुलेटिन का अमिताभ बच्चन या बुलेटिन का जगत को नया दृष्टि देने वाला पोस्ट!!
                                          त हम चलें जय राम जी की 
                                                 - सलिल वर्मा         
                                         
आइये अब बाँच लें कुछ पोस्ट:

१.   किसानों का दर्द और राजनेताओं का मज़ा – पार्टी कोई भी हो सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं.

         एक विश्लेषण पुण्य प्रसून वाजपेयी की कलम से. 

२.   आजकल अपने यहां घपलों-घोटालों की बाढ़ सी आयी हुई है। नित नूतन घोटाला। एक को जी भर के कोस न पाओ तब तक अगला नमूदार हो जाता है। लो भाई हम भी हैं कतार में। हमारी भी चर्चा करो। इसी बहाने कुछ सीख जाओगे।
    
     तो लीजिए चर्चा कर रहे हैं फ़ुरसतिया अनूप शुक्ल जी की 

३.     मीडियाक्रुक्स की गूँज सोसाइटी तक पहुँची. एक बेहतरीन ब्लॉग (अंग्रेज़ी में) जो मीडिया की सिर्फ खबर ही नहीं लेता बल्कि उनकी बखिया उधेड़ कर रख देता है और बोलती बंद कर देता है.

     रविनारकी मीडियाक्रुक्स 

४.   मै भी हूं मैंगो पीपल लेकिन मै बनाना रिपब्लिक में नहीं रहती हूं , या मै अपने देश को बनाना रिपब्लिक नहीं मानती हूं , या मै अपने देश को बनाना रिपब्लिक नहीं बनाना चाहती हूं , या मैंने देश को बनाना रिपब्लिक नहीं बनाया है.

     स्पष्टीकरण दे रही हैं अंशुमाला जी मैंगोपीपुल पर.

५.        छोटे से एक प्रदेश में एक महीने में ग्यारह बलात्कार के ज्ञात केस, परफ़ार्मेंस  देखकर समझ नहीं आता कि गर्दन नीची होनी चाहिये या छाती चौड़ी?

                  ये सोच रहे हैं संजय अनेजा 'मो सम कौन' पर.

६.              शिकायतें करना और सुनना कौन पसंद करता है. लेकिन शिकायतें मिट जाएँ अचानक तो?? खुशी नहीं होती, दुःख होता है.
         
                   यकीन न हो तो गौर से पढ़िए एक कविता “अपनों के लिए” गिरिजाकुलश्रेष्ठ जी की कलम से.            

७. उन दिनों दर्द में डूबे रहने का मन करता था। और मुकेश के दर्द भरे नग़मों को दिन-रात सुनता रहता था। जब उसी मूड में था, तो यह ग़ज़ल तैयार हो गई।

                अब जब तैयार हो ही गयी है तो आप भी मुलाहिजा फरमाइए जनाब मनोज ‘मसरूफ’साहब 

८. अंतत: कांग्रेस पार्टी और सरकार ने फैसला कर लिया कि उन्हें बजट सत्र के दौरान या बजट सत्र समाप्त होते ही चुनाव में चले जाना है. देश की आर्थिक स्थिति तेज़ी से बिगड़ रही है. इसलिए यह फैसला लिया गया. यह भी फैसला लिया गया कि क़डा बजट लाया जाए. जितने भी उपाय आम जनता को परेशानी में डालने वाले हो सकते हैं, उन उपायों को लागू कर दिया जाए. आने वाला बजट भारत के संविधान में दिए गए सारे आश्वासनों और विश्वासों के खिला़फ होने वाला है.

       पूरी रिपोर्ट चौथी दुनिया में 

९.      फिल्म हो, बंद हो या धुँआ हो, देश की अर्थव्यवस्था हर पर सीधा प्रभाव डालती है। एक सप्ताहान्त के दो दिनों में जब इतना मिल गया तो पूरे सप्ताह में क्या हाल होगा, राम जाने। अब तो हर शाम धुँआ धुँआ हो, तो कोई आश्चर्य नहीं, इसकी आदत डालनी होगी। संभवतः कुछ दिनों में धुँये के सौन्दर्यपक्ष को कविता में सहेजने की दृष्टि विकसित हो जाये।

     तो जब तक कविता जन्म ले आप उसके पहले की अवस्था का अवलोकनकर लें प्रवीण पाण्डेय जी की ‘शाम है धुआँ धुआँ’ पर

१०.      और अंत में एक ऐसा ब्लॉग जो संजोता है आपके अपनों को तस्वीरों में.. जो कुछ  बोलता नहीं, मगर रिश्तों की ऐसी ज़ुबान में बात करता है जो न किसी कविता में संभव है, न किसी ज्ञान की बातों में.
-    आपके अपनों की यादों का अल्बम अर्चना चावजी जी के सौजन्यसे “अपना घर”


पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से सभी पाठकों का बहुत बहुत आभार ... ऐसे ही स्नेह बनाए रखिएगा !

13 टिप्पणियाँ:

vandana gupta ने कहा…

300 वें बुलेटिन की हार्दिक बधाई।

shikha varshney ने कहा…

बधाई बधाई बधाई सबको.

बेनामी ने कहा…

बधाई!
इंडियन टॉप ब्लॉग्स ने एक नया बीड़ा उठाया है हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगों को संकलित करने का। हमें खुशी है की हिन्दी में कई अच्छे ब्लॉग अनवरत लिखे जा रहे हैं। लेखनी चलाते रहिए, चलते रहिए।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

ख़ास है न .... लिक्खा कौन - बिहारी ब्लॉगर :)

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति.....
रोचक भाषा (काश कि उम्र के किसी दौर में हम भी ऐसी बोली सीख सकते सलिल भाई ,आपकी तरह कोई वजह मिल जाते हमें भी.)

३०० सौवीं पोस्ट की बधाई..

सादर
अनु

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन।
स्व0 जय प्रकाश नारायण और अमिताभ जी का जन्म दिन रोचक ढंग से याद दिलाया आपने। लिंक कुछ देखे हुए हैं कुछ देखने शेष हैं। अब आपने दिये हैं तो अच्छे ही होंगे। पढ़ना पड़ेगा।

Unknown ने कहा…

300वें बुलेटिन के लिए हार्दिक बधाइयाँ | जननायक जय प्रकाश नारायण को टहे दिल से श्रद्धांजलि और अमिताभ जी को जन्म दिवस की शुभकामनायें |
नई पोस्ट:-
ओ कलम !!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

नायकों को नमन। बहुत ही सुन्दर सूत्र सजाये हैं ।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जय हो सलिल दादा ... खूब सजाई है आपने ३०० वीं बुलेटिन ... सारे दिन का खाका खींच कर रख दिया है एक ही पोस्ट मे ... हर जरूरी बात का समावेश है इस बुलेटिन मे ... जय हो !
मेरी ओर से भी पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और सभी पाठको को इस पड़ाव की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

मनोज कुमार ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन टीम को तिहरा सतक पर बधाई।
सदा की तरह लाजवाब बुलेटिन ... बड़े भाई की कलम से।

मनोज भारती ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन का यह अंक बहुत खास रहा...३००वीं पोस्ट के लिए बधाई ...और सलिल जी के लेखन को प्रणाम....

Archana Chaoji ने कहा…

इस खास बुलेटिन में मेरे खास ब्लॉग को शामिल करके खास लोगों तक पहुँचेने का खास तौर से शुक्रिया...

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान ने कहा…

श्री जय प्रकाश नारायण जी को शत शत नमन ,उन्होने सम्पूर्ण क्रान्ति का आव्हान कर युवाओ को
लोकतंत्र मे एक नवीन दिशा दी थी ,श्री शरद यादव जी ने नवजवानो का प्रतिनिधित्व किया ,संसद मे
पहुंचे नई आशाओ से सभी एक हुये .जबलपुर की जनता ने लोकतंत्र कि अस्मिताओ को रेखाँकित किया था ।
आज हम उन सभी को नमन करते है जो सहभागी बने और अब हमारे बीच नही है ।

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