प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
भारत और पाकिस्तान के बीच दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र में हुए कारगिल युद्ध के बारे में कई रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हमने इसके सबक को गंभीरता से लिया होता तो मुंबई पर 26 /11 को हुए हमले जैसे हादसे नहीं हुए होते। और रक्षा मामलों में हमारी सोच ज्यादा परिपक्व होती।
कारगिल युद्ध के महत्व का जिक्र करते हुए रक्षा विश्लेषक एवं नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन के निदेशक सी उदय भास्कर ने कहा कि यह युद्ध दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच हुआ। यह युद्ध चूंकि मई 1998 में पोखरण परमाणु विस्फोट के बाद हुआ था, लिहाजा पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी थी और भारत ने इसमें स्वयं को एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति साबित किया।
भास्कर ने एक बातचीत में कारगिल विजय को भारत की सामरिक जीत करार देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में इसके परिणामस्वरूप दो बातें सामने आईं। पहली तो पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख विशेषकर आतंकवाद को शह देने के कारण काफी खराब हुई। दूसरा कारगिल युद्ध के बाद भारत और अमेरिका के रिश्तों में मधुरता का एक नया दौर शुरू हुआ।
कारगिल युद्ध से सीखे सबक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस युद्ध को 13 साल बीतने के बाद भी हमने इससे कोई सबक नहीं लिया। इस तरह के युद्ध लड़ने के लिए सेना को जिस तरह के ढांचे की जरूरत है, वह आज तक मुहैया नहीं हो सकी है। इसका कारण बहुत हद तक लालफीताशाही है। भास्कर ने कहा कि कारगिल युद्ध की जांच के लिए समितियां बनीं, लेकिन उनकी सिफारिशों पर न तो पूर्व की राजग सरकार और न ही मौजूदा संप्रग सरकार ने कोई गंभीर काम किया। भास्कर ने भी इस बात को स्वीकार किया कि कारगिल युद्ध का एक बहुत बड़ा कारण हमारी खुफिया तंत्र की विफलता था। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध में हुई गलती से हमने कोई सबक नहीं लिया और इसी कारण मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले हुए। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि मुंबई हमला 'समुद्री कारगिल' था। रक्षा विशेषज्ञ और इंडियन डिफेंस रिव्यू पत्रिका के संपादक भरत वर्मा के अनुसार कारगिल युद्ध से मुख्य तीन बातें सामने आईं। राजनीतिक नेतृत्व द्वारा निर्णय लेने में विलंब, खुफिया तंत्र की नाकामी और रक्षा बलों में तालमेल का अभाव। उन्होंने कहा कि कारगिल के सबक को यदि हमनें गंभीरता से नहीं लिया तो मुंबई जैसे आतंकी हमले लगातार जारी रहेंगे।
उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन हमारी जमीन में अंदर तक घुस आया, लेकिन हमारे राजनीतिक नेतृत्व ने पाकिस्तान में स्कार्दू में प्रवेश कर घुसपैठियों की आपूर्ति को रोकने का निर्णय नहीं किया। यदि हमारा नेतृत्व यह फैसला करता तो इसके दूरगामी परिणाम होते, क्योंकि हम दुश्मन की जमीन में प्रवेश कर जाते और यह उसके लिए आगे तक एक सबक साबित होता, लेकिन हमारे नेतृत्व ने ऐसा नहीं किया और तर्क दिया कि पड़ोसी देश की सीमा में घुसने से युद्ध और लंबा खिंच जाएगा। वर्मा ने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान तीनों सेनाओं के बीच तालमेल का अभाव भी देखा गया, जिसके कारण वायुसेना का हस्तक्षेप थोड़ी देर से हुआ। अगर यह काम पहले हुआ होता तो मरने वाले सैनिकों की संख्या कम होती। कारगिल युद्ध के बारे में बनाई गई समिति की रिपोर्ट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी करीब 2,000 पृष्ठों की रिपोर्ट का भी हश्र लगभग वही हुआ जो अन्य जांच समितियों का होता है। इस पर कोई गंभीर बहस नहीं की गई। सेना में हथियारों की खरीद प्रक्रिया सहित स्थितियां आज भी जस की तस हैं।
वर्मा ने कहा कि आज इस बात की बेहद जरूरत है कि हम अपनी शिक्षा में भारत के आधुनिक युद्धों के इतिहास को पढ़ाएं, ताकि आने वाली पीढ़ी सैन्य रणनीतियों के बारे में बुनियादी बातें समझ सके। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों के विपरीत आज हमारे राजनीतिक नेतृत्व में ऐसे लोगों का बेहद अभाव है जो सैन्य रणनीतियों के बुनियादी तथ्यों से अवगत हों। उन्होंने कहा कि जब हमारे बच्चे पानीपत की लड़ाई के बारे में पढ़ सकते हैं तो भारत-पाक या भारत-चीन युद्ध के बारे में उन्हें जानकारी क्यों नहीं दी जानी चाहिए।
रक्षा विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी के अनुसार कारगिल युद्ध का सबसे बड़ा सबक यह है कि पाकिस्तान हर उस स्थिति का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटेगा, जहां सुरक्षा या सैन्य तैयारियों में कमी है। उन्होंने कहा कि कारगिल के बाद पाक समर्थित आतंकवादियों के आत्मघाती हमलों में काफी वृद्धि हो गई है। चेलानी ने कहा कि यह युद्ध हमारी धरती पर लड़ा गया और हमने युद्ध जीतकर अपने सैन्य सामर्थ्य का पूरी दुनिया को परिचय दिया। उन्होंने कहा कि यह कहना चीजों का बहुत सरलीकरण होगा कि कारगिल युद्ध राजनीतिक नेतृत्व द्वारा फैसले लेने में देरी और खुफिया तंत्र की विफलता के कारण हुआ।
उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मई से 26 जुलाई 1999 के बीच जम्मू-कश्मीर के बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्र कारगिल में युद्ध हुआ था। इस युद्ध के शुरू होने का कारण पाक सेना द्वारा समर्थित घुसपैठियों का कारगिल में नियंत्रण रेखा के आसपास के क्षेत्रों पर कब्जा करना था।
शुरू में भारतीय सेना ने जब घुसपैठियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई शुरू की तो उसे थोड़ी कठिनाई हुई, क्योंकि दुश्मन उससे ऊँची चोटियों पर बैठे थे, लेकिन बाद में वायुसेना की मदद से भारतीय सेनाओं ने पाक सेना को मुहंतोड़ जवाब दिया और यह पूरा क्षेत्र घुसपैठियों से खाली करवा लिया। पाकिस्तान भारतीय सेना की कार्रवाई से इतना घबरा गया कि उसे अमेरिका जाकर अपने आका से गुहार करनी पड़ी कि युद्ध रोकने के लिए भारत से कहा जाए। कारगिल युद्ध में भारतीय पक्ष की ओर से मारे गए लोगों की आधिकारिक संख्या 5,33 थी, जबकि पाकिस्तानी पक्ष की ओर से करीब 4,000 लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया गया।
शहीदों की सूची मे से कुछ नाम नीचे दे रहा हूँ :-
शहीदों की सूची मे से कुछ नाम नीचे दे रहा हूँ :-
Lieutanant Col R.Vishwanathan
Major Ajay Singh Jasrotia
Major Kamlesh Prasad
Major Padmapani Acharya
Major Parmanand
Major Rajesh S. Adhikari
Major Vivek Gupta
Major Mariappan Saravanan
Captain Amit Bhardwaj
Captain Aditya Mishra
Captain Haneefuddin
Captain Jerry Premraj
Captain Jintu Gogoi
Captain Keishing Clifford Nongrum
Captain P.V.Vikram
Captain Vikram Batra
Captain Anuj Nayyar
Captain Amol Kalia
Lieutanant Amit Kaul
Lieutanant Neikezhakou Kengurusie
Lieutanant Sourav Kalia
Lieutanant Vijayant Thapar
Lieutenant Manoj Kumar Pandey
Deputy Commander Sukhbir SinghYadav
Driver-Soldier Gopinath Moharana
Flight Engineer Raj Kishore Sahoo
Flight Lieutanant S Muhilan
Grenadier Amardeep
Grenadier Bajinder Singh
Grenadier Mohan Katha
Grenadier Munish Kumar
Grenadier Raj Kumar
Grenaidier Yogendera Singh Yadav
Havaldar Abdul Karim
Havaldar Beejay Singh
Havaldar Daler Singh Bahu
Havaldar Jai Prakash Singh
Havaldar Khazan Singh
Havaldar Padam Singh Dhama
Havaldar Ram Kumar
Havaldar Sarwan Singh Se
ngar Havaldar Surendra Singh
Havaldar Sultan Singh Narwari
s Havaldar Tan Bahadur Chhetri
Havaldar Tsweang Rigzin
Havaldar Yashvir Singh
Jawan Arvind Kumar Pandey
Lance Havaldar Ramkumar
Lance Havaldar Samandar Singh Hooda
Lance Naik Ahmed Ali
Lance Naik Balwan Singh
Lance Naik Bijender Singh
Lance Naik Eknath Khairnar
Lance Naik Gurmail Singh
Lance Naik Hera Singh
Lance Naik Keshan Singh
Lance Naik Madan Singh
Lance Naik Manas Ranjan Sahu
Lance Naik Om Prakash
Lance Naik Rakesh Chand
Lance Naik Ram Kumar Pradhan
Lance Naik Surianam Singh
Lance Naik Shankar Shinde
Lance Naik T.S.Jaswant Singh
Naik Anand singh
Naik Bharat Singh
Naik Birender Singh Lamba
Naik Buta Singh
Naik Chaman Singh
Naik Dharam Singh
Naik Ganesh Prasad Yadav
Naik Guardian Mekh Bahadur Gurung
Naik Jagat Singh
Naik Kasmir Singh
Naik Krishan Pal
Naik Mangat Singh
Naik Narayana Rao Desai
Naik Nirmal Singh
Naik R. Kamaraj
Naik Raj Kumar Punia
Naik Rakesh Chand
Naik Ram Swarup
Naik Sachidananda Malik
Naik Samunder Singh
Naik Shatrughan Singh
Naik Shiv Vasayya
Naik Surendra Singh
Naik Surendra Pal
Naik Surjeet Singh
Naik Subedar Lal Chand
Naik Vikram Singh
Naik Yoginder Singh
Rifleman Ansuya Prasad Dhayani
Rifleman Bachan Singh
Rifleman Dabal Singh
Rifleman Dilwar Singh
Rifleman Jaideep Singh
Rifleman Kuldeep Singh
Rifleman Linkon Pradhan
Rifleman Mohammed Aslam
Rifleman Mohammed Farid
Rifleman Rattan Chand
Rifleman Shaukat Hussain Kalgam
Rifleman Sunil Jungt Mahat
Rifleman Varinder Lal
Rifleman Vikram Singh
Rifleman Guardian Johar Singh
Rifleman Guardian Sarvan Kumar
Sergeant PVNR Prasad
Sergeant Raj Kishore Sahu
Sepoy Ajmer Singh
Sepoy Amardeep Singh
Sepoy Anil Kumar
Sepoy Arjun Ram
Sepoy Arvind Kumar Pandey
Sepoy Bajinder Singh
Sepoy Bhanwar Lal Bagaria
Sepoy Bhikaram
Sepoy Chara Nicholas
Sepoy Dharambir Singh
Sepoy Dineshkumar Vaghela
Sepoy Gangching Konyak
Sepoy Gazpal Singh
Sepoy Gopinath Mohrana
Sepoy Harendragiri Goswami
Sepoy Jugal Kishore
Sepoy Har Prasad
Sepoy Karan Singh
Sepoy Keolanand Dwivedi
Sepoy Kewal Anand
Sepoy Khem Raj
Sepoy Krishan Kumar
Sepoy Moola Ram
Sepoy Naresh Singh
Sepoy Pramod Kumar
Sepoy Rajinder
Sepoy Rajvir Singh
Sepoy Raswinder Singh
Sepoy Satvir Singh
Sepoy Satnam Singh
Sepoy Senthil
Sepoy Shaikh Mastan Wali
Sepoy Sheesh Ram
Sepoy Shiv Shankar Prasad Gupta
Sepoy Sukhwinder Singh
Sepoy Suresh Chhetri
Sepoy Suresh Kumar
Sepoy Varinder Kumar
Sepoy Vijaypal Singh
Signalman Rajan Sahu
Signalman Vinod Kumar
Subedar Bhanwar Lal
Subedar Harpaul Singh
Subedar Lal Singh
Subedar K. Medappa
Subedar Randhir Singh
Subedar Sumer Singh Rathore
Squadron Leader Ajay Ahuja
Squadron Leader Rajiv Pundir
Squadron Leader Lal Singh
Squadron Leader Ojha
Zrfn Man Singh
Kaushal Yadav
Basavaraj Chougala
न जाने क्यूँ जब जब कारगिल युद्ध का जिक्र आता है ... दिल ओ दिमाग मे जावेद साहब के यह शेर आ ही जाते है ...
"कल पर्वतो पे कही बरसी थी जब गोलियां ,
हम लोग थे साथ में और हौसले थे जवां |
अब तक चट्टानों पे है अपने लहू के निशां ,
साथी मुबारक तुम्हे यह जश्न हो जीत का ,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||"
हम लोग थे साथ में और हौसले थे जवां |
अब तक चट्टानों पे है अपने लहू के निशां ,
साथी मुबारक तुम्हे यह जश्न हो जीत का ,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||"
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
सादर आपका
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बिलकुल होती है
जो आज्ञा
साथी हाथ बढ़ाना
किसने सुनी
आखिर टीआरपी भी कोई चीज़ होती है
जय हो महाराज क्यूबा याद रहा ... कारगिल भूल गए ??
जिसे भी हो ... खतरनाक है
बम बम भोला
कभी बंद न हो
इस मे कोई शक नहीं
खुद बदल कर दिखाइए
तो फिर
और गाड़ी का क्या हुआ
आप से ज्यादा कौन जानता होगा
आजकल बाल तो वापस आ जाते है ... नकली ही सही
तो काँग्रेस कौन सा मुंह बंद किए बैठी है
मेरी भी
गोलमाल है सब गोलमाल है
किस के
पैरहन और जाली नज़्में भूल गई आप
बड़ा जटिल काम बताया आपने
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posted by शिवम् मिश्रा at बुरा भला
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पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से कारगिल युद्ध के सभी अमर शहीदों को ब्लॉग बुलेटिन टीम का शत शत नमन !
जय हिन्द !!
20 टिप्पणियाँ:
दुख इस बात का अधिक है की देश की जनता को याद भी नहीं की शहीदों के परिवारों का आखिर हुआ क्या... वह किस हाल में हैं... ढोल बजानें वाला मीडिया भी खोज खबर लेता नहीं...
शर्म आनी चाहिए हम सभी को.... एक देश.. एक घर.. लेकिन बिखरे हुए हम सब लोग... आखिर हमें कैसा कल चाहिए, सोचना होगा....
बहुत अच्छा और सटीक बुलेटिन...
ओह .....पता होता तो 'कारगिल' पर लिखी अपनी कविता डालती ...
शहीदों को शत-शत नमन ....
@ पैरहन और जाली नज़्में भूल गई आप ...
नहीं भूली नहीं थी सोचा शीर्षक लम्बा हो जायेगा ...:))
शहीदों को शत-शत नमन!
बढ़िया कारगिल चर्चा और काम के लिंक ...
आभार !
इन शहीदों को नमन ...
आभार..
shaheedon ke nam prastut kar aapne ham sabhi ko kritarth kiya hai.meri post ko sthan dene hetu aabhar.
शहीदों को नमन! जय हो!
हमारी जान और देश की अस्मिता की रक्षा हेतु निस्वार्थ भाव से हँसते हँसते अपने प्राणो की आहूति देने वाले उन तमाम वीरों का कारगिल दिवस पर वंदन एवं शत शत नमन ...
un shahido ko naman....apni jameen kabja karne ke hamne na jane kitne veer shahido ko kurbaan kar diya
शहीदों के नाम पढ़ते कितना कुछ अटकता है ...जयपुर के " अमर जवान ज्योति " पर नाम पढ़ते थक गये ,मगर नाम समाप्त नहीं हुए ...इनमे से ज्यादा संख्या बीस- बाईस वर्ष के नवजवानों की ही रही होगी ...इन्हें पढ़ते देश के हालातों पर नजर जाती है तो लगता है क्यों दी इन्होने क़ुरबानी !!!!
नमन !
शहीदों को नमन...
एक सैनिक का पत्र पढ़ा था पिता के नाम ... हिचकियाँ बंध गई थीं . नमन है शहीदों को ...
naman meraa
हम अक्सर उन सैनिको को भूल जाते जिनकी वजह से हम खुली हवा में जी रहे है . हमारे नेता उनकी विधवाओ को बनायीं "आदर्श बिल्डिंग " हड़प जाते है , और अफजल -कसब की खातिरदारी करते है .
भारत माँ के हर सच्चे सपूत को नमन .
सुन्दर लिंक्स का संयोजन !
और मेरी रचना को शामिल करने सादर आभार मिसिर जी
saheedon ke cheetao par
har baras lagenge mele
watan pe marne walo ka
yahi baki nishaa hoga...
naman!
अरे बहुत ही भाव भरी और प्यारी पोस्ट है आपकी ..कुछ नयी जानकारी भी मिली शुक्रिया मिश्रा जी ! अमर शहीदों को शत् शत् नमन !!
कारगिल के शहीदों को नमन .
बढ़िया चर्चा .
हाँ, एक साथी और भी था...याद रहे यही..
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