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शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

प्रतिभाओं की कमी नहीं - अवलोकन २०११ (3) - ब्लॉग बुलेटिन

ब्लॉग बुलेटिन का ख़ास संस्करण  - अवलोकन २०११


कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०११ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !

तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ का तीसरा भाग ...
 

शब्द शब्द में हम बने
जीवन का एक सार हुए
ग्रन्थ हुए महाग्रंथ हुए
युग युगों की कथा हुए ....
हम तूफ़ान हम महाकाल
हम ही गीता का सार हुए ...
.......................................... हर रचनाकार सृष्टि की तुलिका है , खुद में एक ग्रन्थ है, महाग्रंथ है .... किस पन्ने पर वह क्या कहेगा , क्या रंग देगा , कब इतिहास को वर्तमान बनाएगा , अनुत्तरित प्रश्न करेगा ....कौन जाने ! मन तो मंथन करता है , करता जाता है ...
http://geet7553.blogspot.com/2011/05/blog-post_27.html प्रतिष्ठित कवयित्री संगीता स्वरुप का एक मंथन ही है -

याज्ञसेनी !
कैसे कर पायीं तुम
हर पति के साथ न्याय ?
क्या कभी
एक के साथ रहते हुए
ख्याल नहीं आया दूसरे का ?
यदि आया तो फिर कैसे
मन वचन से तुम रहीं पतिव्रता ?.... महाभारत के अंत के बाद अपने खुले केश को बांधते हुए नहीं सोचा था द्रौपदी ने कि वक़्त किसी के माध्यम से सवाल करेगा . युग गया , सब बीत गया - यही लगा था , पर कलयुग प्रश्नों से भरा है , बीते युगों के ऐतिहासिक गुम्बदों के आगे वर्तमान प्रश्न लिए खड़ा है ...

वर्तमान ही जवाब देता है सृष्टि रचित एक कलम से ,

संजय मिश्र ' हबीब ' http://smhabib1408.blogspot.com/2011/05/blog-post_28.html द्रौपदी को प्रश्नमुक्त, यूँ कहें अपराधमुक्त करते हैं ,
द्रौपदी....
तुम व्यर्थ का अपराधबोध
ना पालो अपने मन में...
कि कुरुक्षेत्र की धरा तुम्हारे कारण लाल हुई....
सच भी है , महाभारत के बीज तो गांधारी के आँख में पट्टी बंधते पड़े ... न देख पाना , और देखने से पलायन - दोनों में फर्क है . पर कोई मानने को तैयार नहीं था तो एक एक करके कृष्ण ने कई कारण रख दिए - और सबसे बड़ा कारण तो यह था कि हर दिग्गजों के आगे कृष्ण ने कुरुक्षेत्र का दृश्य , परिणाम उपस्थित कर दिया फिर भी सबने कदम उठाये !
प्रश्नों के चक्रव्यूह से कौन बचता है , सत्य हो, अच्छाई हो, विवशता हो , मौन अकुलाहट हो , कर्तव्य हो या..... कटघरे में आना होना है . तभी गुंजन अग्रवाल ने कृष्ण के आगे निडर होकर कहा है -
क्या हर बार तुम्हारा
देवता बनना ज़रूरी है !!!!!!!!!!!
बोलो कृष्णा .... ??
प्रवचन देना आसन होता है कृष्णा
पर उसे निभाना और समझ पाना - बेहद मुश्किल ..... " वाकई बेहद मुश्किल , यही सच है , बस इसी सच पर गौर करना और मुझसे आँखें मिलाना" कृष्ण ने यही कहना चाहा होगा ... और कुछ कहे भी क्या वह ! पर क्या लेखिका ने क्या सच में उत्तर ही जानना चाहा है ? यही बात महत्वपूर्ण है - यहाँ उत्तर की अभिलाषा नहीं , ना ही उलाहना है - बल्कि खुद में राधा को अंगीकार करती कृष्ण से कुछ सुनना चाहती है .

कितना आसान है जीवन , कितना मुश्किल है इसे समझना ..... तो मिलते हैं अगले पड़ाव पर , अभी तो कई ख़ास एहसास बाकी हैं !!!

रश्मि प्रभा 

30 टिप्पणियाँ:

Archana Chaoji ने कहा…

रश्मि जी-- कई महाग्रंथ मिल गये है एक जगह ..और बखूबी मिलवा रही है आप ..शुक्रिया..

सदा ने कहा…

अवलोकन के इस भाग में कितने ही रचनाकारों की श्रेष्‍ठता को सिद्ध किया है आपने अपनी कलम से ... आपकी इस प्रस्‍तुति के लिए आभार सहित शुभकामनाएं ।

Always Unlucky ने कहा…

I really enjoyed this site. It is always nice when you find something that is not only informative but entertaining. Greet!

From Great talent

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

एक ही विषय पर लिखी गयी संगीता आंटी और हबीब सर की कविताएं अलग ही दृष्टि को सामने रखती हैं और वृहद चिंतन को भी उपस्थित करती हैं।
गुंजन जी की कविता को पढ़ना भी सुखद रहा।

ब्लॉग अवलोकन का यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है।

सादर

vandana gupta ने कहा…

एक बार फिर इस दृष्टि से पढना सुखद लगा………हार्दिक आभार्।

रंजू भाटिया ने कहा…

baHUT BADHIYA

विभूति" ने कहा…

बहुत ही प्रभावशाली रहा अवलोकन......एक सफल प्रयास....

shikha varshney ने कहा…

बहुत ही अच्छी रचनाएँ एक साथ मिल गईं..बेहतरीन प्रस्तुति.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

रश्मिप्रभा जी!
यहाँ तो ऐसा लग रहा है कि कि संगम का तीर्थ हो... कई उत्तम रचनाओं को समेटकर हमारे समक्ष प्रस्तुत करना भागीरथ की तरह गंगा को धरती पर लाने जीसस है!!

Pallavi saxena ने कहा…

बहुत ही अच्छी रचनायें एक साथ एक ही जगह मिल गई...आपकी इस प्रस्तुति के लिए आभार....

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन के द्वारा संगम तीर्थ के सामान अनेक रचनाओं के दर्शन हो रहे है.... !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

हम रोज अनवरतरूप से लिखते हैं।
मगर नदारद हैं!
आपके न्याय पर कौन अँगुलि उठा सकता है।
आपका ब्लॉग है चाहे जो लगाइए!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

आदरणीय रूपचंद्र शास्त्री जी ,
कैसे आपने सोचा कि आप इसमें नहीं होंगे ... आपने लिंक नहीं भेजा , मैंने खुद चयन किया ... तो वक़्त तो लगेगा न ,
फिर भी - यदि आपको बुरा लगा तो क्षमा ही मांगूंगी ...

--
- सादर
रश्मि प्रभा

Maheshwari kaneri ने कहा…

सभी रचनाएँ एक से बढ़ कर एक हैं ।ब्लॉग बुलेटिन का यह तीसरा भाग भी लाजवाब रहा..आभार...

शिवम् मिश्रा ने कहा…

रश्मि दीदी ... एक बार फिर आपके प्रयास को नमन करता हूँ साथ साथ आपको इस के लिए भी साधुवाद देता हूँ कि बिना आपकी कोई गलती हुए भी आपने माफ़ी मांग ली तक जब कि यहाँ लोग गलती पर गलती करते जाते है और वो भी शान से ... मेरी समझ में यह नहीं आता जब बार बार जगह जगह यह सुचना दी गई है कि आप एक अनूठा प्रयास कर रही है अवलोकन २०११ के रूप में और उसके लिए आपने सब से निवेदन भी किया है कि अपनी अपनी पोस्टें भेजें तो फिर इस में भेद भाव कहाँ से आ गया ???

खैर , कुछ तो लोग कहेंगे ... लोगो का काम का कहना .... ;-)

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

शास्त्री जी, इतने परिपक्व व्यक्तित्व के लिए इतना अधीर होना उचित नहीं... अभी तो महफ़िल शुरू हुयी है, गिनकर तीसरी कड़ी आपके सामने है.. कई ऐसे लोग भी अभी नदारद हैं जो एक साथ चार ब्लॉग के नियंत्रक हैं और चारों पर रोज लिखते हैं... यदि आप सचमुच लिखने के साथ-साथ पढ़ने के भी शौक़ीन हैं तो ज़रा शुरू से सारी पोस्टे पढ़ लीजिये ... खुद पता चल जायेगा आप कहाँ कहाँ है ... और जैसा कि हमने कहा, ये अवलोकन २०११ का केवल तीसरा ही भाग है ... आपने यह कैसे अनुमान लगा लिया कि आगे कि पोस्टो में आप है या नहीं ... इतना बड़ा “चर्चा मंच” संचालक हैं आप.. आप को यह शोभा नहीं देता... अंत में आपकी बात में ज़रा सुधार कर दूं कि यह “आपका” ब्लॉग है ... हम तो यह मानते हैं कि “हमारा” है.. और जब हम ' हम ' कहते है तो उस में हर एक ब्लॉगर शामिल है जो हिंदी ब्लोगिंग से जुडा हुआ है ... प्रणाम !

मनोज कुमार ने कहा…

आज जिन प्रतिभाओं का (ब्लॉग और पोस्ट का) अवलोकन किया गया है, उनकी प्रायः सभी रचनाएं पढ़ता आया हूं। निश्चय ही वे प्रशंसा के पात्र हैं।

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

मान्यवर शास्त्री जी, ज़रा इस पोस्ट को देख कर बताएँगे ...
http://bulletinofblog.blogspot.com/2011/12/blog-post_03.html

... ऊपर से ७ वी लिंक किस की है ... साथ साथ यह भी गौर किया जाएँ कि पोस्ट के लेखक श्री शिवम् मिश्रा जी ने आपकी इस पोस्ट पर जा कर लिंक छोड़ा था या नहीं ... और हाँ ज़रा यह भी देखिएगा कि इस पोस्ट पर सब से पहले टिप्पणी किस ने दी है ??

मिश्रा जी से संपर्क करने पर उन्होंने इस की पुष्टि की है कि उन्होंने आपको सूचित किया था आपकी पोस्ट पर लिंक छोड़ कर ... साथ साथ क्यों कि सब से पहली ही टिप्पणी आपकी है तो यह भी साबित होता है कि पोस्ट आपने पढ़ी थी ... फिर बेवजह इल्जाम क्यों ???

अगर बेवजह आपको विवाद खड़ा करना है ... तो आपका स्वागत है ... वैसे
अब जब हम ने यह साबित कर दिया है कि ब्लॉग बुलेटिन टीम किसी भी भेद भाव में यकीन नहीं रखती तो आप क्या कहना चाहेंगे !?

बेवजह ब्लॉग जगत में नए नए विवाद ना हो यही हमारी कामना है !

Anupama Tripathi ने कहा…

रश्मि दी आप बहुत सराहनीय कार्य कर रही हैं ...!!
आज की तीनो रचाओं के लिए ..संगीता जी ,संजय जी और गुंजन जी बधाई के पात्र हैं ...!!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत बढिया चल रहा है अवलोकन 2011 का सफ़र, ब्लॉग बुलेटिन को साधुवाद, शिवम जी का प्रयास सार्थक है। रश्मि जी को शुभकामनाएं।

Dev K Jha ने कहा…

रश्मि दीदी के प्रयास की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम.... अवलोकन २०११ के लिये ढेरों साधुवाद और शुभकामनाएं.....

अब हम ब्लाग बुलेटिन की तरफ़ से सबसे पहले तो एक बात स्पष्ट कर दें की हमारा प्रयास ब्लाग जगत की हलचलों से आप सभी को अवगत कराना हैं.... हम खुद को ब्लाग जगत का खबरची कहते हैं..... हम इस प्रयास में सभी को साथ ले चलनें की कोशिश करते रहेंगे..... हमें उम्मीद है की आप सभी अवलोकन-२०११ के लिए रश्मि दीदी और हमारा सहयोग करेंगे तो अच्छा रहेगा....

ब्लाग बुलेटिन चलता रहेगा..... आप सभी का सहयोग अपेक्षित है...

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

आज भी बहुत नए लिंक्स मिले...चूंकि मुझे ब्लाग परिवार मे साल भर भी नहीं हुआ है, इसलिए मेरे लिए बहुत शानदार चल रहा है ये सफर

Satish Saxena ने कहा…

यह अंदाज़ और नया प्रयोग अच्छा लगा ....
शुभकामनायें आपको !

Maheshwari kaneri ने कहा…

अवलोकन का ये सफर बढ़िया चल रहा है .चलते चलिए विना रुके विना झूके....आज की तीनो रचाओं के लिए ..संगीता जी ,संजय जी और गुंजन जी को हार्दिक बधाई...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

रश्मि जी ,

अद्भुत प्रस्तुति ... याज्ञसेनी के साथ संजय जी की और गुंजन जी की रचनाएँ पढवाने के लिए आभार ... हर युग में घटनाएं होती हैं और उनको हम अपने नज़रिए से सोचते हैं ... अलग अलग नजरिया सोच को परिपक्कव करता है ... अत्यंत सराहनीय प्रयास

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

रश्मि जी ,

अद्भुत प्रस्तुति ... याज्ञसेनी के साथ संजय जी की और गुंजन जी की रचनाएँ पढवाने के लिए आभार ... हर युग में घटनाएं होती हैं और उनको हम अपने नज़रिए से सोचते हैं ... अलग अलग नजरिया सोच को परिपक्कव करता है ... अत्यंत सराहनीय प्रयास

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मैंने एक टिप्पणी यहाँ दी थी ..अभी नहीं दिख रही ... ज़रा स्पैम में देखिएगा :)

POOJA... ने कहा…

fir kuch naya jaha bahut kuch purana samet liya aapne... :)
abhi iska pahla aur doosra ank padhna baaki hai, jaakar padhkar aati hu...
fir links bhi check karti hu...

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

लाजबाब प्रस्तुति:))

रश्मि प्रभा... ने कहा…

Gunjan Agrawal to me
show details 11:57 AM (7 minutes ago)
क्या कहूँ .. कई अखबारों को जांचा है मैंने .. कई पर घूम कर भी आई.. पर निश्चय ही आपका अखबार सबसे अलग है ..
इक ही विषय पर सबका अपना अलग नज़रिया .. वह्ह्ह ..
"याज्ञसेनी की व्यथा" मैं कभी ना जान पाती .. अगर आपके बुलिटन में ना आती ... संगीता दी का शुक्रिया .. और उनको बधाई ...
ना ही समाज के ऐसे ओछे व्यक्तित्व से दो-चार हो पाती .. जो हबीब जी की "द्रौपदी" को ना पढ़ती
सभी मित्र जनों और ब्लॉग बुलिटन का शुक्रिया .. जो मेरी रचना को पसंद किया .. और अपने बुलिटन में स्थान दिया
ये चक्र यूँ ही यथावत चलता रहेगा .. आशा है
शुभकामनाओं के साथ ..

रश्मि दी .. सादर प्रणाम
आपके बुलिटन में रोजाना आना होता है मेरा .. आप लिखती ही इतना खूब जो हैं .. बस जब कभी कमेंट्स देने से बचती हूँ मैं .. क्यूंकि वहां लोगों को हिंदी में लिखता देखती हूँ तो खुद में आलस कर जाती हूँ .... no doubt की मुझे अब तक के इन सारे web newspapers में सबसे अच्छा आपका ही अखबार लगा ...
हर खबर इक दुसरे से मिलती जुलती .. सो पढने का मज़ा दुगना हो जाता है
शुक्रिया दी

ऊपर जो कमेन्ट दिया है वो पहले भी दिया था .. पर किन्ही कारणों से वहां लिंक पर पोस्ट ही नहीं हो पा रहा था .. सो आज आपको पोस्ट कर रही हूँ

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