कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०११ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ का १२ वां भाग ...
शब्द लहराकर हर तरफ जाते हैं
कोई रख देता है उसे रोटी में
कोई मटकी में
कोई बुहारकर निकाली गई धूल में
कोई टांग देता है कंदील संग
रात के अँधेरे में !
शब्द छुप जाते हैं
झांकते हैं दरवाज़े की ओट से
बिस्तर के नीचे से
खिड़कियों से
जागी आँखों सोयी आँखों से
उनींदे ख्यालों से ... और शब्द लेकर आते हैं स्वप्न, परी और प्रेम. शब्दों का करिश्मा कहो या भावों का , आँखें सपने देखने लगती है .
शिखा वार्ष्णेय http://shikhakriti.blogspot.com/2011/10/blog-post.html
"नानी कहा करती थी
सात समुंदर पार
दूर देश में परियाँ रहतीं हैं
जो पलक झपकते ही
कद्दू को गाड़ी और
चूहों को दरबान बना देतीं हैं
इसलिये अब
हर सुनहरे बालों वाली लड़की को
मुड़ कर देखती हूँ
शायद वही निकले मेरी सोन परी." नानी की कहानी और आँखों में एक ख्वाब और विश्वास - ऐसी परी मिलेगी ज़रूर .....
बांसुरी कृष्ण और बांसुरी - आज भी मन गोपिका हो जाता है ...
" हृदय की एक एक परत खोलने की कला तो बांसुरी ही जानती है और बांसुरी का मर्म और धर्म अपने अन्दर समेटे पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया, आँख बन्द कर उँगलियों की थिरकन जब बांसुरी पर लहराती है तब हवा को ध्वनि मिल जाती है।" और मन को कृष्ण , गोकुळ का आनंद , ऊधो का ज्ञान !
सपना , परी , बांसुरी ... और अब एक ग़ज़ल -
इन्द्रनील भट्टाचार्य http://www.indranil-sail.blogspot.com/2011/05/blog-post_29.html
"सज़ा तो मैंने काट ली ।
बता दे अब खता है क्या ॥"
ग़ज़ल की भी क्या बात ... शब्द शब्द में गहरा गहरा कुछ कहता जाता है , हवाओं से घुलता मन में चलता जाता है ...
परी के साथ बांसुरी की धुन और फिर ग़ज़ल... आप भरपूर आनंद लीजिये , मैं अभी आई......
15 टिप्पणियाँ:
बहुत शानदार चल रही है यह श्रृंखला
परी के साथ बांसुरी की धुन और फिर ग़ज़ल...सब एक से बढ़कर हैं जहां वहीं अवलोकन की यह कड़ी आपके परिश्रम का प्रतिफल है ... सभी रचनाकारों को बधाई एवं आपका आभार ।
सभी लिंक्स एक से बढकर एक हैं।
बहुत सुंदर
श्रृंखलाओ का जवाब नहीं ..चलते रहिए ,रश्मि जी..
शानदार चर्चा और ये सिलसिला अच्छा लग रहा है जहाँ एक साथ बहुत सारे लिंक न देकर रोज केवल कुछ ही लिंक दिए जाते हैं ...
पोस्ट शामिल करने के लिए अनेक धन्यवाद दीदी !
इस बार काफी लंबा अंतराल हो गया है .... ब्लॉग कि दुनिया में आ नहीं पा रहा हूँ ... साल कका अंत होने जा रहा है और काम कि वजह से व्यस्तता भयानक बढ़ गई है ... रिपोर्ट बनाना है ... सरकारी दफ्तरों के चक्कर हो रहे हैं ... इत्यादि इत्यादि ... पता नहीं फिर कब समय मिलेगा ...
ठण्ड में यह उष्णता ब्लॉग-परिचय के माध्यम से... सुखद है!!
लाजवाब श्रंखला ...बहुत बढ़िया लिंक्स का संकलन ...
वाह, यह भी वर्षान्त का रोचक अंग रहा।
bahut badiya links ke saath shandaar bulletin prastuti ....
रोचक श्रृंखला अपना मुकाम तय करती जा रही है।
जय हो दीदी आपकी ... जैसे जैसे २०११ का अंत नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे अवलोकन २०११ भी अपने पूरे रंग दिखता हुआ आगे बढता जा रहा है ... काफी बढ़िया तालमेल बैठाया है आपने समय से इस अवलोकन २०११ का ... जय हो !
"सज़ा तो मैंने काट ली ।
बता दे अब खता है क्या ॥"
शब्द शब्द में गहरा गहरा कुछ कहता जाता है , हवाओं से घुलता मन में चलता जाता है .... !
श्रृंखलाओ का जवाब नहीं.... !!
बढिया जा रहा है....
बहुत बढ़िया श्रृंखला चल रही है .
बहुत बढ़िया और रोचक बुलेटिन प्रस्तुती!
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