tag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post7476977953490352284..comments2024-03-18T12:47:03.171+05:30Comments on ब्लॉग बुलेटिन: तेजाब :- मनचलों का हथियार - ब्लॉग बुलेटिनब्लॉग बुलेटिनhttp://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-40264754980595902222012-07-18T09:01:46.069+05:302012-07-18T09:01:46.069+05:30सुन्दर सूत्र...सुन्दर सूत्र...प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-79627100918312610882012-07-17T23:09:22.247+05:302012-07-17T23:09:22.247+05:30बहुत ही दिल दहला देने वाले वाकये का जिक्र किया है...बहुत ही दिल दहला देने वाले वाकये का जिक्र किया है...<br />ये तो जीते जी किसी को तिल तिल कर मारने जैसा है...<br />पाकिस्तान में भी ऐसी घटनाएं बहुत आम हैं..भारत से कहीं ज्यादा..एक documentary देखी थी.जिसमे दिखाया गया था .. वहाँ की लडकियाँ कैसे अपने जीवन के बिखरे सूत्र फिर से संजो कर जीने की कोशिश कर रही हैं....तब से ही इस पर एक पोस्ट लिखने की सोच रही थी...जल्द ही लिखती हूँ..<br />सारे लिंक हमेशा की तरह बहुत ही अच्छे हैं...शुक्रियाrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-71965509303555578102012-07-17T20:44:28.743+05:302012-07-17T20:44:28.743+05:30बहुत ही चिंताजनक हालात हैं , अफ़सोस और क्रोध इसलिए ...बहुत ही चिंताजनक हालात हैं , अफ़सोस और क्रोध इसलिए भी है कि साठ सालों के बाद भी आज देश में ये स्थिति है । सच कहा आपने अब बहुत जरूरी हो गया है कि इस अपराध को जघन्य और क्रूर अपराध मानते हुए इसके लिए कठोरतम सज़ा का प्रावधान किया जाए । सार्थक प्रस्तावना है शिवम भाई । सार्थक बुलेटिन ।अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-75695956041893104632012-07-17T15:12:04.354+05:302012-07-17T15:12:04.354+05:30कहने को तो बहुत कुछ है मगर कहने से होगा क्या ? लेक...कहने को तो बहुत कुछ है मगर कहने से होगा क्या ? लेकिन फिर भी मैं इतना ज़रूर कहूँगी की ऐसा घिनौना अपराध करने वालों के लिए उम्र कैद जैसी सजा कुछ भी नहीं, मेरे हिसाब से तो उनके भी किसी न किस अंग पर तेज़ाब डाल कर उन्हे भी उस से होने वाली पीढ़ा और नुकसान का एहसास करवाया जाना ही सबसे अच्छी सजा होगी। एक आद अपराधी के साथ भी यदि ऐसा होगया, तो मुझे पूरी उम्मीद हैं कि आगे से लोग ऐसा कुछ करने से पहले सौ(100)बार सोचने पर ज़रूर मजबूर हो जाएँगे।Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-54476025186556709032012-07-17T12:18:16.302+05:302012-07-17T12:18:16.302+05:30ufff!! jindagi me khud hi bahut dukh-dard hai. par...ufff!! jindagi me khud hi bahut dukh-dard hai. par fir bhi log iss dard ko dene me kotahi nahi karte... isss!!<br /><br />beharteen linksमुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-71607597941646269932012-07-17T08:32:12.239+05:302012-07-17T08:32:12.239+05:30बडा गम्भीर मुद्दा है यह...बडा गम्भीर मुद्दा है यह...Dev K Jhahttps://www.blogger.com/profile/06471032900319205793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-18712102722251902612012-07-17T08:25:38.537+05:302012-07-17T08:25:38.537+05:30निश्चित रूप से बहुत सख्त क़ानून होना चाहिए इस अपरा...निश्चित रूप से बहुत सख्त क़ानून होना चाहिए इस अपराध के खिलाफ. जरूरी हस्तक्षेप... <br />आभार आपका !!मनोज पटेलhttps://www.blogger.com/profile/18240856473748797655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-50682196984522067802012-07-16T23:54:50.300+05:302012-07-16T23:54:50.300+05:30कानून तो बनाए जाते हैं लेकिन सख्ती से पालन नहीं कि...कानून तो बनाए जाते हैं लेकिन सख्ती से पालन नहीं किया जाता .... अपराधी को सालों लग जाते हैं अपराधी बताने में ...कई बार तो निरपराध ही घोषित कर दिया जाता है .... काश कुछ कानून सख्त बने और सख्ती से ही उनका पालन हो .... अच्छी प्रस्तुति ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7855737057694827709.post-31405715269570896272012-07-16T23:38:18.385+05:302012-07-16T23:38:18.385+05:30क्या कहो ..और क्या होगा कुछ कह कर. बस शर्म आती है ...क्या कहो ..और क्या होगा कुछ कह कर. बस शर्म आती है इस समाज पर,अपनी इस कानून व्यवस्था पर और इस अपराध में लिप्त उन युवाओं के कुसंस्कारों पर.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.com