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शनिवार, 21 अक्तूबर 2017

सबकुछ कितना सुंदर है !


लहरें कभी नहीं सोचती
किनारों को छूने के लिए
मैं ही क्यूँ बेकरार रहूँ !
मुमकिन है सोचती हो 
लेकिन मोह किनारे का
उसे खींचता है ज़ोर से
और लोग ... तालियाँ बजाते हैं !
12 घण्टे समंदर के किनारे 
लहरों से खेलते हुए
तस्वीरें लेते हुए
वे यही सोचते हैं 
... सबकुछ कितना सुंदर है !


यह है समंदर की बात, उससे भी अधिक है ख़ास आज का दिन , ,,, भाई दूज , भाई-बहन के अटूट रिश्ते का दिन 
आत्मा से अपने भाइयों का नाम लेकर बहनें कहती हैं,
"... भईया चललें अहेरिया 
... बहिनी देली असीस हो न 
जिय जिय हो रे मेरो भईया 
जिय भईया लाख बरीस हो न "

2 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सब कुछ बहुत सुन्दर है । सुन्दर बुलेटिन।

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति

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