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शनिवार, 23 सितंबर 2017

मैं हूँ लेकिन मैं कौन हूँ




मैं हूँ 
लेकिन मैं कौन हूँ
मैं बहुत कुछ हूँ
लेकिन क्या !!!
मैं भोर का संगीत हूँ 
लेकिन बोल इसके क्या हैं !
मैं एक पूरा दिन हूँ 
पर  ... 
जेठ की दुपहरी से सन्नाटे के मायने क्या हैं !
वह जो मेरे मन की शाखों पर चिड़िया चहकती है 
वह उड़ती क्यूँ नहीं !
यह जो मेरी परिक्रमा है 
इस शरीर से उस शरीर की 
यह मेरी रूह 
खानाबदोशी से उबती क्यूँ नहीं !


7 टिप्पणियाँ:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

एक अनोखी प्रस्तुति दीदी!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

एक अनोखी प्रस्तुति दीदी!

Meena sharma ने कहा…

वाह ! एक ही विषय पर इतने विविधतापूर्ण विचारों को संकलित कर दिया आपने ! सुंदर !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर । मैं कौन हूँ तू कौन है । बढ़िया बुलेटिन।

SKT ने कहा…

एक ही विचार 'मैं कौन हूँ?" पर इतनी संख्या में ब्लॉग...अद्भुत खोज!

Archana Chaoji ने कहा…

बहुत बढ़िया ,एक प्रश्न कितने जबाब

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

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