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शुक्रवार, 24 मार्च 2017

पेन्सिल,रबर और ज़िन्दगी

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

कभी आप ने गौर किया कि ... 


हम गलतियाँ करना तो उस दिन से शुरू कर देते है जिस दिन से पेन्सिल के साथ "रबर" भी दे दी जाती है !!

पर काश कि जीवन की हर गलती को इस रबर से मिटा कर सुधारा जा सकता ... काश !!

ज़रा सोचिएगा !!

सादर आपका
शिवम् मिश्रा  

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हिन्दी भाषा में रोमियो शब्द के तीन आशय होते हैं-हिन्दी व्यंग्य चिंत्तन

मसख़रों का ज़माना ...

न जाने कौन सी तकलीफ लेकर दौड़ता होगा -सतीश सक्सेना

{३३८} डगर जीवन की

परिप्रेक्ष्य : महाश्वेता देवी : गरिमा श्रीवास्तव

हारे हुए नेताजी से एक्सक्लूसिव बातचीत !

जागो, हथेली के बाहर एक दुनिया और भी है!!!

हमारे सहजीवन की पहली सब से बड़ी खुशी

प्यार किया है, जिन्दगी भर निभायेंगे !!!

" प्यार की प्रकृति ........."

दुनियावालों...मैंने चोरी की है....

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!! 

10 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति।

Udan Tashtari ने कहा…

आभार!!

Satish Saxena ने कहा…

शुक्रिया शिवम् , लेख को स्थान देने के लिए !
सस्नेह मंगलकामनाएं !

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

रुचिकर लिंक्स। आभार।

कविता रावत ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति
आभार!

Rebecca Cao ने कहा…

Hello, I’m Rebecca from NewsDog who is in charge of blogger partnership. We can provide traffic for your articles and revenue share every month. If you want to cooperate with us, please contact me: caoxue@hinterstellar.com

Archana Chaoji ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

जय जय हो।

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