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शनिवार, 28 जनवरी 2017

शेर ए पंजाब की १५२ वीं जयंती - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
लाला लाजपत राय ( जन्म: 28 जनवरी 1865 - मृत्यु: 17 नवम्बर 1928)
लाला लाजपत राय (अंग्रेजी: Lala Lajpat Rai, पंजाबी: ਲਾਲਾ ਲਾਜਪਤ ਰਾਏ, जन्म: 28 जनवरी 1865 - मृत्यु: 17 नवम्बर 1928) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है। इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये और अन्तत: १७ नवम्बर सन् १९२८ को इनकी महान आत्मा ने पार्थिव देह त्याग दी।
 
जीवन वृत्त
 
लाला लाजपत राय का जन्म पंजाब के मोगा जिले में हुआ था। इन्होंने कुछ समय हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरों में वकालत की। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता थे। बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के साथ इस त्रिमूर्ति को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता था। इन्हीं तीनों नेताओं ने सबसे पहले भारत में पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग की थी बाद में समूचा देश इनके साथ हो गया। इन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को पंजाब में लोकप्रिय बनाया। लाला हंसराज के साथ दयानन्द एंग्लो वैदिक विद्यालयों का प्रसार किया भाग जिन्हें आजकल डीएवी स्कूल्स व कालेज के नाम से जाना जाता है। लालाजी ने अनेक स्थानों पर अकाल में शिविर लगाकर लोगों की सेवा भी की थी। 30 अक्टूबर 1928 को इन्होंने लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध आयोजित एक विशाल प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये। 
उस समय इन्होंने कहा था: 
 
"मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।"  
 
और वही हुआ भी; लालाजी के बलिदान के 20 साल के भीतर ही ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त हो गया। 17 नवंबर 1928 को इन्हीं चोटों की वजह से इनका देहान्त हो गया। 
 

शेर ए पंजाब स्व॰ लाला लाजपत राय जी की १५२ वीं जयंती पर ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से उनको हमारा शत शत नमन |
सादर आपका
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प्यार करने का एक ज़रूरी रास्ता यह भी है

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

4 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत कुछ लाये हैं आज के बुलेटिन में शिवम जी । आभार है 'उलूक' के सूत्र 'बिना झंडे के लोग लावारिस हो रहे हैं' को भी जगह दी ।

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

लाला लाजपत राय हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी नेता ही नहीं थे, महान शिक्षा-शास्त्री और समाज सुधारक भी थे. दलितोद्धार के लिए उन्होंने अनथक प्रयास किया. उत्तराखंड में उन्होंने नायक जाति में कन्याओं से वेश्यावृत्ति कराने की कुप्रथा के उन्मूलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. लालाजी मज़दूर आन्दोलन से भी जुड़े रहे. उनकी पुस्तक 'अन-हैप्पी इंडिया' भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन एवं ब्रिटिश दामन चक्र का प्रामाणिक दस्तावेज़ है.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

अच्छी जानकारी.

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