Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

रविवार, 23 अक्तूबर 2016

ब्लॉग - जो अब बंद हैं - 6




कुछ पाने की ख्वाहिश में
कितना कुछ हम पीछे छोड़ आये
क्या सच में हम इतना आगे चले आये
कि मुड़कर देखना मुनासिब नहीं लगा !!!
जाने कितने ख्याल मथते हैं ठहरे पानी के आगे
क्या सच में बाधा थी ?
या हमने बहने नहीं दिया ?
या  ...
काश, कभी पूछा होता,
मित्र ठहर क्यूँ गए !
कुछ तो सुगबुगाता एहसासों का सफर





3 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

फिर से शुरु होंगे
जागेंगी सोई हुई
सुबहें जरूर
मेंहनत रंग लायेगी
चुप चुप हो
रही गौरइया
चहचायेंगी
फिर से।

सुन्दर ।

Rohitas Ghorela ने कहा…

चलते चलते यूँ ठहर के भूले बिसरे अहसासों को हरा करना...

बहुत लाजवाब पोस्ट


 रू-ब-रू

कविता रावत ने कहा…

खोजबीन जारी है ...
सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार