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मंगलवार, 27 सितंबर 2016

भूली-बिसरी सी गलियाँ - 9




मेरी आवाज़ ब्लॉग की गलियों से है 
संभव है कि किसी ब्लॉग को दुबारे लिख दूँ  ... उम्र का तकाज़ा है 
भूलने की आदत सी है 
तो आप भी भूल जाइयेगा :)
मकसद है 
छोड़ आये हम जो गलियाँ 
वहाँ लौट चलें 
कोई तो कहे,
"तुम आ गए हो, नूर आ गया है  ... "



10 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

कोई फर्क नहीं पड़ता है एक गली में दो बार भी जाया जा सकता है आज की गलियाँ लगा कर कुल हो गई 181 गलियाँ नौ दिन में इतना घुमा तो दिया आपने :)

बहुत सुन्दर ।

अजय कुमार झा ने कहा…

प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी आपकी ये श्रृंखला अविरल चलती यही याद दिला रही है रश्मि दीदी ...शो मस्ट गो ऑन | बहुत ही सुन्दर बुलेटिन दीदी |

kavita verma ने कहा…

bahut shukriya shamil karne ke liye ..

Asha Lata Saxena ने कहा…

उम्दा लिंक्स रश्मि जी |

priyadarshini ने कहा…

आभारी हूँ , मेरे ब्लॉग लिंक को शामिल करने के लिए ..शुक्रिया .

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर याद...

Amrita Tanmay ने कहा…

ज्वाला सुलगा है ...

Arvind kumar ने कहा…

आभार आपका ।

Atoot bandhan ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Atoot bandhan ने कहा…

मेरे ब्लॉग का लिंक शामिल करने के लिए आभार - वंदना बाजपेयी

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