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रविवार, 7 अगस्त 2016

शिरोमणि विद्वता को नमन करती ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार मित्रो,
आज 7 अगस्त का दिन अपने आपमें विशेष है. आज हरित क्रांति के अगुआ माने जाने वाले स्वामीनाथन का जन्मदिन तथा भारत के राष्ट्रगान के रचयिता रबीन्द्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि है.
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एम एस स्वामीनाथन 
अनुवांशिकी विशेषज्ञ और अंतर्राष्ट्रीय प्रशासक एम. एस. स्वामीनाथन, जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक अगुआ जाता है, का जन्म 7 अगस्त 1925 को कुम्भकोणम तमिलनाडु में हुआ था. उनका पूरा नाम मंकोम्बो सम्बासीवन स्वामीनाथन है. स्वामीनाथन पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने गेहूँ की एक बेहतरीन किस्म को पहचाना और स्वीकार किया. यह मैक्सिकन गेहूँ की एक किस्म थी, जिसे उन्होंने भारतीय खाद्यान्न की कमी दूर करने के लिए स्वीकार किया. इन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूँ के संकर बीज विकसित किए. हरित क्रांति कार्यक्रम के तहत ज़्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज ग़रीब किसानों के खेतों में लगाए गए. इस क्रांति ने भारत को दुनिया में खाद्यान्न की सर्वाधिक कमी वाले देश के कलंक से उबारकर आत्मनिर्भर बना दिया. तभी से स्वामीनाथन को भारतीय कृषि पुनर्जागरण के कृषि क्रांति आंदोलन के वैज्ञानिक नेता के रूप में ख्याति मिली. वे पर्यावरण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में यूनेस्को में भी पदासीन रहे हैं. उनकी विद्वत्ता को स्वीकारते हुए इंग्लैंड की रॉयल सोसाइटी और बांग्लादेश, चीन, इटली, स्वीडन, अमरीका तथा सोवियत संघ की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमियों ने उन्हें अपना सदस्य बनाया है. वे वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेज़ के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. 1999 में टाइम पत्रिका ने स्वामीनाथन को 20वीं सदी के 20 सबसे प्रभावशाली एशियाई व्यक्तियों में से एक बताया था. उनको विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1967 में पद्म श्री, 1972 में पद्म भूषण और 1989 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. इसके अतिरिक्त उनको 1971 में सामुदायिक नेतृत्व के लिए मैग्सेसे पुरस्कार, 1987 में पहले विश्व खाद्य पुरस्कार, 1999 में वॉल्वो इंटरनेशनल एंवायरमेंट पुरस्कार तथा 1999 में ही यूनेस्को गांधी स्वर्ग पदक से सम्मानित किया जा चुका है.
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रबीन्द्रनाथ टैगोर
रबीन्द्रनाथ ठाकुर अथवा रबींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 कलकत्ता में देवेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के पुत्र के रूप में एक संपन्न बांग्ला परिवार में हुआ था. बहुमुखी प्रतिभा के धनी टैगोर सहज ही कला के कई स्वरूपों जैसे- साहित्य, कविता, नृत्य और संगीत की ओर आकृष्ट हुए. उनको बचपन से ही कविता, कहानियाँ लिखने का शौक़ था. उनके पिता जाने-माने समाज सुधारक थे. वे चाहते थे कि रबीन्द्र बडे होकर बैरिस्टर बनें. इसलिए उनको क़ानून की पढ़ाई के लिए लंदन भेजा गया लेकिन रबीन्द्र का मन साहित्य में ही रमता था. आख़िरकार उनके पिता ने पढ़ाई के बीच में ही उन्हें वापस भारत बुला लिया और उन पर घर-परिवार की जिम्मेवारी डाल दी. रबीन्द्रनाथ ठाकुर एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे. वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं- भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बांग्ला उनकी ही रचनाएँ हैं. 1901 में उन्होंने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित शांतिनिकेतन में एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की. जहाँ उन्होंने भारत और पश्चिमी परम्पराओं के सर्वश्रेष्ठ को मिलाने का प्रयास किया. 1921 में यह विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया. उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार माना जाता है. 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया. भारत के राष्ट्रगान के प्रसिद्ध रचयिता रबीन्द्रनाथ ठाकुर का देहांत 7 अगस्त, 1941 को कलकत्ता में हुआ.

ऐसी प्रतिभाओं को याद करते हुए आज की बुलेटिन का आनंद उठाइए.

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दोनों चित्र गूगल छवियों से साभार 

5 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

एम. एस. स्वामीनाथन और रबींद्रनाथ टैगोर को उनके जन्मदिन पर नमन । सुन्दर रविवारीय बुलेटिन ।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

एम. एस. स्वामीनाथन और रविद्रनाथ टैगोर दोनों महारथियों को शत शत नमन
मेरे लिखे को मान देने के लिए आभार आपका

कविता रावत ने कहा…

एम. एस. स्वामीनाथन के साथ रवींद्रनाथ टैगोर जी के जन्मदिन पर बहुत अच्छी जानकारी साथ सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
दोनों हस्तियों को नमन!

रत्ना रॉय ने कहा…

बहुत सुंदर लेख....
राष्ट्रिय गान की बात हुई है तो मैं बताना चाहूंगी श्रीलंका का राष्ट्रिय गान एवं संगीत टैगोर की रचना से प्रेरित है। श्रीलंका के राष्ट्रिय गान के रचनाकार टैगोर के शिष्य थे।

Harsh Wardhan Jog ने कहा…

सुंदर जानकारी. "गाँव की ओर" शामिल करने के लिए आभार.

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