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गुरुवार, 28 जुलाई 2016

श्रद्धांजलि हजार चौरासी की माँ को - ब्लॉग बुलेटिन

प्रसिद्द बांग्ला साहित्यकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी का आज २८ जुलाई २०१६ को ९० वर्ष की आयु में निधन हो गया.


महाश्वेता जी का जन्म १४ जनवरी १९२६ को अविभाजित भारत के ढाका में हुआ था. आपके पिता मनीष घटक कवि और उपन्यासकार थे तथा आपकी माता धारित्री देवी भी लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता थीं. अपने माता-पिता के व्यापक प्रभावस्वरूप उन्होंने स्वयं को पत्रकार, लेखक, साहित्यकार और आंदोलनधर्मी के रूप में विकसित किया. भारत विभाजन के पश्चात् उनका परिवार पश्चिम बंगाल आ गया. कोलकाता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने शिक्षक और पत्रकार के रूप में अपना जीवन शुरू किया. इसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय में अंग्रेजी व्याख्याता के रूप में नौकरी की.

महाश्वेता जी ने कम उम्र में लेखन शुरू कर दिया था. झाँसी की रानी उनकी प्रथम रचना है जिसका प्रकाशन १९५६ में हुआ. उनका कहना था कि "इसको लिखने के बाद मैं समझ पाई कि मैं एक कथाकार बनूँगी।" इस पुस्तक को महाश्वेता जी ने कलकत्ता में बैठकर नहीं बल्कि इतिहास के मंच पर सागर, जबलपुर, पूना, इंदौर, ललितपुर के जंगलों, झाँसी ग्वालियर, कालपी में १८७५-५८ के दौरान घटित तमाम घटनाओं के साथ तादात्म्य बैठाते हुए लिखा. उनके लेखन की मूल विधा कविता थी जो बाद में कहानी और उपन्यास में परिवर्तित हुई. उनकी कृतियों में 'अग्निगर्भ' 'जंगल के दावेदार' और 'हजार चौरासी की माँ' अत्यंत प्रसिद्द हैं. आपकी छोटी-छोटी कहानियों के बीस संग्रह प्रकाशित किये जा चुके हैं और लगभग सौ उपन्यास (सभी बंगला भाषा में) प्रकाशित हो चुके हैं. आपने बांग्ला भाषा में अत्यंत संवेदनशील और वैचारिक लेखन के द्वारा साहित्य को समृद्ध बनाया. वे लेखन के साथ-साथ समाजसेवा में भी लगातार सक्रिय रहीं. स्त्रियों, दलितों तथा आदिवासियों के हितों के लिए उन्होंने व्यवस्था से संघर्ष किया. 'संघर्ष' (१९६८), 'रूदाली' (१९९३), 'हजार चौरासी की माँ' (१९९८) और 'माटी माई' (२००६) उनकी कृतियों पर बनी कुछ फिल्में हैं.

१९७७ में महाश्वेता देवी को 'मैगसेसे पुरस्कार' प्रदान किया गया. उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए १९७९ में उन्हें 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' तथा १९९६ में 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित किया गया. १९८६ में 'पद्मश्री' तथा २००६ में उन्हें 'पद्मविभूषण' से अलंकृत किया गया.

ब्लॉग बुलेटिन परिवार की तरफ से महाश्वेता देवी जी को विनम्र श्रद्धांजलि के साथ उनकी सक्रियता को समर्पित आज की बुलेटिन.

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7 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

महाश्वेता देवी जी को विनम्र श्रद्धांजलि ।

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

महाश्वेता देवी जी को विनम्र श्रद्धांजलि !
सूत्र देने के लिए आभार !

Harsh Wardhan Jog ने कहा…

महाश्वेता देवी जी को विनम्र श्रधांजलि.
"वो काटा" को शामिल करने का आभार.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

विनत नमन

कविता रावत ने कहा…

महाश्वेता देवी जी को विनम्र श्रद्धा सुमन!
सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

NKC ने कहा…

बहुत बढ़िया , बहुत ही खूबसूरत शब्दों और जानकारियों के साथ महाश्वेता देवी जी को श्रधांजलि ! शुभकामनायें !

Rohit Kumar ने कहा…

nice mam this is very imresional thought.
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