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मंगलवार, 26 जुलाई 2016

सैनिकों के सम्मान में विजय दिवस - ब्लॉग बुलेटिन

हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्‌ अर्थात या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा अथवा विजयश्री प्राप्त कर पृथ्वी का राज्य भोगेगा. गीता के इस श्लोक से प्रेरित होकर देश के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को खदेड़ कर सीमापार कर दिया था. आज से 17 वर्ष पहले भारतीय सेना ने कारगिल पहाड़ियों पर कब्ज़ा जमाए पाकिस्तानी सैनिकों को मार भगाया था. इस विजय की याद में और शहीद जांबाजों को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 26 जुलाई को कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारतीय सेना के विभिन्न रैंकों के लगभग 30000 अधिकारियों और जवानों ने ऑपरेशन विजय में भाग लिया. इस युद्ध में भारतीय आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 527 जांबाज़ शहीद हुए और 1363 घायल हुए.


एक तरह हम विजय दिवस मना रहे हैं वहीं दूसरी तरफ हमारे सैनिक एक आतंकी की मौत पर अलगाववादियों के पत्थरों का शिकार हो रहे हैं. आखिर ऐसा विरोधाभास क्यों? यहाँ इस तथ्य का स्मरण करना होगा कि विगत कुछ वर्षों से भारतीय सेना के कार्यों-दायित्वों में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है. अब नागरिक प्रशासन में भी उनकी भूमिका अहम् होती जा रही है. देश में किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा आने पर सेना को याद किया जाता है. दंगों की स्थिति, वर्ग-संघर्ष, धरना प्रदर्शन, बच्चों के बोरवेल में गिरने की घटनाएँ या फिर निर्वाचन, सभी में स्थानीय प्रशासन के स्थान पर सेना की भूमिका को सराहनीय, विश्वसनीय माना जाने लगा है. आज ये अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि अपनी जान पर खेलकर देश के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले सैनिकों के लिए हम किस तरह का माहौल बना रहे हैं? सैनिकों को यदि पर्याप्त सम्मान न मिले, अधिकार होने के बाद भी अधिकारों का उपयोग करने की आज़ादी न मिले, सशक्त होने के बाद भी भीड़ से पत्थरों की मार सहनी पड़े, कर्तव्य की राह में मानवाधिकार आकर धमकाए तो ये खतरे का सूचक है. ये बिन्दु कहीं न कहीं सैनिकों के, सेना के मनोबल को कम करते हैं, उनमें अलगाव की भावना को जन्म देते हैं.

सत्ता प्रतिष्ठानों के साथ-साथ आम नागरिकों का प्रयास हो कि सेना का मनोबल कम न होने पाए. सत्ता प्रतिष्ठानों को सेना सम्बन्धी मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए. समय-समय पर सेना के सामने आती असहज स्थितियों पर उनके साथ खड़े होने का एहसास कराना चाहिए. इससे सेना का मनोबल बढ़ेगा. इसी तरह आम नागरिकों को भी अपने स्तर पर सेना का, सैनिकों का सम्मान करने की भावना को विकसित करना चाहिए. हमारे जवानों द्वारा किये गए वलिदानों को, उनकी जांबाजी को न केवल याद किया जाये वरन उसे समाज में प्रचारित-प्रसारित किया जाये. निस्वार्थ भाव से देश के लिए कार्य कर रहे सैनिकों के लिए हम सभी को जागना होगा. कारगिल विजय दिवस के सहारे ही हमें उन सभी सैनिकों का स्मरण करना होगा जो हमारी रक्षा के लिए अपनी जान को जोखिम में डालते हैं. देश की एकता, अखंडता, स्वतंत्रता के लिए और नागरिकों के सुखमय जीवनयापन करने, सुरक्षित रहने के लिए ऐसा करना अनिवार्य भी है.

अपने जांबाज़ सैनिकों को याद करते हुए विजय दिवस को समर्पित आज की बुलेटिन. 
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3 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

विजय दिवस पर भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों को नमन । सुन्दर प्रस्तुति ।

कविता रावत ने कहा…

कारगिल विजय दिवस पर अमर वीर शहीदों को नमन!
बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

Romi Sharma ने कहा…

The role of Indian Army is to safeguard the country from all sort of external and internal dangers and threats. indian army images

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