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शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

भ्रम का इलाज़ - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक मौलाना सोचता था कि वो मर गया है, परन्तु वास्तव में वो जिन्दा था, उसका भ्रम उसके परिवार के लिए एक समस्या बन गया था, और आखिर में उन्होंने उसे एक मनोचिकित्सक को दिखाया!

मनोचिकित्सक ने कई तरह से मौलाना को आश्वासन दिया कि वो जिन्दा है, घबराने की जरुरत नहीं है!

अंत में डॉक्टर ने एक अंतिम तरीका सोचा जिससे मौलाना को यकीन हो जाए कि वो जिन्दा है!

उसने मौलाना को अपनी किताबें दिखाई जिसमें लिखा था मरे हुए आदमी से खून नहीं निकलता कुछ देर उन उबाऊ किताबें पढ़ने के बाद मौलाना ने मान लिया कि मरे हुए आदमी से खून नहीं निकलता!

डॉक्टर ने मौलाना से पूछा: अब तो तुम मान गए न कि मरे हुए आदमी से खून नहीं निकलता?

मौलाना ने कहा: हाँ में मान गया हूँ, डॉक्टर ने कहा: बहुत अच्छे!

उसने एक पिन निकाली और मौलाना की ऊँगली में चुभो दी ऊँगली से खून की बूंदें निकलने लगी!

तब डॉक्टर ने पूछा: अब तुम क्या कहते हो?

"या मेरे अल्लाह !" मौलाना ने अपनी ऊँगली की ओर हैरानी से देखा.... "मरे हुए आदमी से भी खून निकलता है!"
 
ऐसे ही एक मौलाना साहब को आज भ्रम हुआ है कि वे 'शांति दूत' हैं जबकि साहब खुले तौर पर आत्मघाती हमलों को जायज़ बता रहे थे !!

हम तो यही दुआ करते हैं कि ऊपरवाला इन सब को सदबुद्धि दें|
 
सादर आपका
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6 टिप्पणियाँ:

अजय कुमार झा ने कहा…

हा हा हा बहुत गजबे मारे हैं हो ..एकदम धोबी पाट...सन्नाट बुलेटिन ...

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बड़ा कनफ्यूजन है भाई सारे बड़े पोस्टरों के पीछे लगे होते हैं अगल बगल के पिस्सू मौज मार रहे होते हैं अब सही बात है पोस्टर बिकेगा पिस्सू की बात कौन सुनेगा ? बहुत सुंदर बुलेटिन । आप अपनी कहिये हम भी कहेंगे अपनी कुछ :)

रश्मि शर्मा ने कहा…

Bahut sundar ...maulana wala to gajab hai. Meri ranchna shamil karne le liye dhnyawad.

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

हा --हा-- गजब.

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