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मंगलवार, 29 मार्च 2016

अपनी कलम को निःस्वार्थ रखिये



जीवन के अंश अंश को लिखनेवाला कोई वाल्मीकि हो 
हर दृश्य को शब्दों में उपस्थित करने को वेद व्यास हो 
तो - व्यक्तित्व के कई पहलू स्थापित होते हैं !
सोचिये 
यदि वाल्मीकि राम से प्रतिस्पर्धा रखते 
तो रामायण' की रचना नहीं होती 
राम का हर पहलु उजागर नहीं होता
....
तो अपनी कलम को निःस्वार्थ रखिये 

6 टिप्पणियाँ:

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉगपोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

Barthwal ने कहा…

सुंदर सन्देश निस्वार्थ कलम ही ,,,,,

Barthwal ने कहा…

सुंदर सन्देश निस्वार्थ कलम ही ,,,,,

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

आज कलम को निःस्वार्थ रखने की आवश्यकता है!!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन हमेशा की तरह ।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

कोशिश तो यही रहती है !!

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