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बुधवार, 16 दिसंबर 2015

प्रतिभाओं की कमी नहीं - एक अवलोकन 2015 (१६)


ज़िन्दगी रिसती गई 
उँगलियाँ डुबोकर 
कोई दर्द लिखता गया  ... 




दर्द 

चलो आज तुम्हे
बतलाऊँ दर्द के बारे में
बहुत पूछते हो न?
किस चिड़िया का नाम है दर्द
चलो मिल कर नोंचते हैं
उस चिड़िया के सारे पर
दर्द
एक लम्हा है
जो
सहमा सा किसी छोर से
मेहमाँ सा चला जाता है
आँखों में जरा सा ठिठक कर
रहनुमाँ सा ढुलक आता है
दर्द 
एक भँवरा है
जो
फूलों के हँसी धोखे में
तितली के चटख पंखों का
रंग चुरा लेता है
दर्द 
एक चादर है
जो 
पैबंद बनी
खूब धुली जाती है
ओढी ही तभी जाती है
जब लाज चली जाती है
और जब लाज चली जाती है
तो
यही चादर लौट कर बाजार में
बिकने को चली आती है
दर्द 
एक समन्दर है
जो 
आँखों की पुतली सा गहरा है
लेकिन हर लहर-लहर
आँसू का पहरा है
इसीलिये तूफ़ान के
फटे आँचल में लिपटा है
आँखों की गोदी में सिमटा है
दर्द 
एक सिक्का है
जो 
कहीं नहीं चलता है
लेकिन जब घिसता है
पाँव-पाँव चलता है
दूर कहीं निकल जाता है
आँखों की फटी हुई जेबों से
पिघल-पिघल जाता है
दर्द 
एक चश्मा है
जिसे 
पहन कर
परकटी सी लेखनी के
पर निकल आते हैं
लेकिन यदि
चश्मे का पानी ही सूख गया
तो मोती की सीपों को शंख निगल जाते हैं
दर्द महाभारत है
जहाँ
हमराही सरदर्द बना करते हैं
जहाँ दिन में
शकुनी अपशकुनी बन जाते हैं
और स्याह रातों में
शान से शिखंडी भी मर्द बना करते हैं
दर्द 
एक कविता है
लंबी सी कविता है
साँसें जब पढ़ती हैं
कायर बन जाती है
लेकिन
ये आँसू जब पढते हैं
शायर बन जाते हैं|
दर्द 
एक मंजिल है
धर्म की राहों पर
जब हम अपने कदम ढूँढते हैं
पथ का हर मोड दूर निकल जाता है
लेकिन खुद को हम
बेखुदी में खो देते
अगले मोड पर ही
खुदा खुद आ जाता है
जान गए अब?
दर्द किस चिड़िया का नाम है
लो!!
मैंने आज उस चिड़िया के
सारे पर नोंच दिए|

7 टिप्पणियाँ:

kuldeep thakur ने कहा…

बहुत खूब...

Unknown ने कहा…

रश्मि जी.....निःशब्द हूँ ...चेहरे पर स्मित है और आँखें नम।

Ashok Sharma 'katethiya' ने कहा…

बेहतरीन कविता

कविता रावत ने कहा…

अंशु रत्नेश त्रिपाठी जी सुन्दर रचना प्रस्तुति हेतु आभार

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जय हो ... :)

Shivangi Friedi ने कहा…

abhi main apni maa ko suna rahi thi ye kavita....unhein bahut pasand ayi. apko badhayi .....

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर रचना !

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