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गुरुवार, 13 अगस्त 2015

बंधक बनी संसद को निहारता बेबस देश



नमस्कार मित्रो,
गुरुवार की बुलेटिन के साथ आपका ये मित्र पुनः उपस्थित है मगर कुछ ऊहापोह लिए. वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में जो कुछ घटित हो रहा है वो न केवल निंदनीय है वरन देश के भविष्य के लिए घातक भी है.

लगभग छह दशकों से अधिक सत्तासीन रहने वाली कांग्रेस वर्तमान लोकसभा में सांसदों की संख्या के अपने निम्नतम प्रदर्शन के बाद राजनैतिक क्रियाकलापों की निम्नता पर भी आ गई है. संसद का वर्तमान सत्र कांग्रेस के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की जिद के चलते हंगामे की भेंट चढ़ गया. विगत वर्षों में जिन मुद्दों पर भाजपा की तरफ से हंगामा किया जाता रहा, वर्तमान में उसी तरह से मुद्दों पर कांग्रेस सड़कों पर दिख रही है. कल तक जिन मुद्दों को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था, उसके विपक्ष में आते ही आज वे जनहितकारी नहीं रह गए हैं. आखिर ऐसा क्यों? बहरहाल, इसका उत्तर खोजना खुद राजनैतिक दलों के लिए जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक देश की जनता के लिए भी है. आखिर देश की जनता जानना चाहती है कि संसद के अन्दर से निकल कर सड़क तक आते हंगामे के पीछे का मकसद क्या है? देश की जनता इसे भी जानना चाहती है कि बजाय अपने गिरेबान में झांकने के ये राजनैतिक दल दूसरे दलों पर दोषारोपण क्यों करते रहते हैं? देश की जनता देश कांग्रेस से ये भी जानना चाहती है कि आखिर उसके लगाये आरोप क्यों लौटकर उसी के दामन पर दाग लगा देते हैं? जनता ये भी जानने की इच्छुक है कि कहीं संसद से लेकर सड़क तक होते हंगामे, संसद का गतिरोध राजनैतिक दलों की आपसी नूराकुश्ती तो नहीं है? 

देश के आज़ाद इतिहास में सर्वाधिक समयावधि तक कांग्रेस सत्तासीन रही है, ऐसे में यदि देश के विकास का श्रेय उसको दिया जाता है तो तमाम विसंगतियों का दोष भी उसको दिया जाना गलत नहीं होगा. और फिर विगत एक दशक में जिस तरह की राजनैतिक विसंगतियां उभर कर सामने आई हैं, उनसे जनमानस का विश्वास राजनीति से, संसद से, संविधान से, राजनैतिक व्यक्तियों से, राजनैतिक दलों से उठता जा रहा है. ऐसे हालातों में मुख्य विपक्षी होने के नाते, देश के सबसे पुराने दल होने के नाते, विगत एक दशक से सत्तासीन रहने के नाते कांग्रेस की जिम्मेवारी बनती है कि वो सत्तासीन भाजपा के सामने सवाल खड़े करे, उसके क्रियाकलापों को जनमानस के सामने उभारकर जवाबदेही तय करे, उसके अनैतिक कदमों को, देशहित-विरोधी, जनहित-विरोधी निर्णयों का खुलकर विरोध करे किन्तु वर्तमान सत्र में कांग्रेस द्वारा जैसी हरकतें की गई हैं, जिस तरह के आरोप लगाये गए हैं, जिस तरह की अनर्गल बयानबाजी की गई है, जिस तरह से संसद को बंधक सा बनाये रखा गया है, जिस तरह से सड़कों पर छात्रसंघों जैसा व्यवहार किया गया है उससे बजाय कोई समाधान निकलने के उसकी छवि ही ख़राब हुई है. कहीं न कहीं जनमानस में ये सन्देश गया है कि कांग्रेस ने जानबूझ कर ऐसे मुद्दों को उठाया जिनके सहारे विरोध के चलते वे संसद को ठप्प रख सकें, तमाम सारे निर्णयों को लागू करने से रोक सकें. कांग्रेस पार्टी तथा उसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समझते हैं कि केन्द्र सरकार को काम न करने देने, संसद रोक कर रखने से भाजपा को नुकसान होने वाला है, केन्द्र सरकार की साख गिरने वाली है तो ये उनकी एक और राजनैतिक भूल है.

विपक्ष के रूप में कांग्रेस की भूमिका को सराहनीय नहीं कहा जा सकता है. उसने जहाँ संसद को बाधित किया, देशहित में लिए जाने वाले तमाम फैसलों में अवरोधक का काम किया, देश का करोड़ों रुपया बर्बाद किया वहीं अप्रत्यक्ष रूप से केन्द्रीय सत्ता में विराजमान भाजपा को भी लाभ दिया है. यदि संसद चलती तो कई-कई निर्णयों पर, कई-कई फैसलों पर भाजपा की नीयत का, उसकी मंशा का, उसकी जनहित, देशहित नीति का पता देश को चलता किन्तु कहीं न कहीं कांग्रेस ने ऐसा नहीं होने दिया. फ़िलहाल तो संसद का वर्तमान सत्र पूरी तरह से निष्क्रियता की, जबरिया जिद की भेंट चढ़ गया. लोकतान्त्रिक मूल्यों की बात करते राजनैतिक दलों को भविष्य में इस बारे में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है.

चलिए देखते हैं कि वे क्या विचार करते हैं अपने और देश के भविष्य के लिए... तब तक हम सब भी इस विषय पर विचार करते हुए आज की बुलेटिन पर भी दृष्टिपात कर लें...... शेष अगले गुरुवार को.... एक और बुलेटिन के साथ..... तब तक नमस्कार..!!

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  सुहागिन का आँगन



और अंत में......

9 टिप्पणियाँ:

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर बुलेटिन ....

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति !

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सामायिक बुलेटिन ... आभार बंधुवर।

Ashi ने कहा…

सेंगर जी, इस शानदार बुलेटिन के लिए बधाई। बुलेटिन में हिंदी वर्ल्ड को शामिल करने का बहुत बहुत शुक्रिया।

Manoj Kumar ने कहा…


डायनामिक
की पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका आभार !

सभी अच्छी पोस्ट के लिंक शुक्रिया

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

आपने सच कहा . विपक्ष का अब कोई धर्म नही रह गया है .

प्रभात ने कहा…

सुन्दर पोस्ट शामिल करने के लिए आभार

कविता रावत ने कहा…

सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार

Vikram Pratap Singh ने कहा…

Meri post ko jagah dene ke liye Appka abhaar.

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