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गुरुवार, 2 जुलाई 2015

तीन सवाल - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक बार एक लड़के ने एक बुजुर्ग से पूछा, "बाबा, जब एक दिन दुनिया से जाना है तो फिर लोग पैसे के पीछे क्यों भागते हैं?"

"जब जमीन जायदाद जेवर यहीं रह जाते हैं तो लोग इनको अपनी जिंदगी क्यों बनाते हैं?"

"जब रिश्ते निभाने की बारी आती है तो दोस्त ही दुश्मनी क्यों निभाते हैं?"

बुजुर्ग ने गौर से तीनों सवाल सुने। फिर उसने माचिस की डिब्बी से तीन तीलियां निकालीं। दो तीलियां उसने फेंक दीं और एक तीली को आधा तोड़कर उसका ऊपर वाला भाग फेंक दिया। उसके बाद नीचे वाले भाग को नुकीला बनाकर अपना दांत कुरेदते हुए बोला,
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"चल भाग यहाँ से, मुंझे नहीं पता।"

शिक्षा :- कुछ सवालों के जवाब ... सिर्फ़ आपका अनुभव दे सकता है कोई और नहीं ... :)

सादर आपका
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ख्वाहिशें

कभी पूरी ही नहीं होती 

दो पंछी दो तिनके कहो ले के चले हैं कहां!

जहां उन का ठिकाना 

रुकता नही वक्त कभी

इस की आदत भी आदमी की सी हैं 

"बाज़ार से नहीं गुजरा हूँ, फिर भी खरीददार हूँ",

दुनिया मे हूँ, दुनिया का तलबगार नहीं हूँ  

विद्वता और अहंकार

आजकल साथ साथ पाये जाते है

कार्टून:-अगले जनम मोहे सांसद बनाइयो

इस जन्म मे भी कोशिश कर लो 

चाह मेरी

क्या है 

दुनिया में किसी पर भी विश्वास करने से पहले बेहतर है कि परख लिया जाये।

बेहद जरूरी है 

मुहल्ला अस्सी क्यों नहीं देखेंगें...?

हम तो देखेंगे ... दिखाओ तो 

मानसून नदी

बहती रहे 

मेरे एहसास अगर तुम पर लिखते चले गए.....

तो दुनिया मुझे पागल समझने लगेगी

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

3 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

जरूरी क्या है?
यहाँ आना ? \
यहीं पर कुछ कह के जाना?
वहाँ जाना ?
वहाँ कुछ कह आना ?
जरूरी कुछ नहीं है।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

अच्छा बुलेटिन है ।
ये चौथा सवाल है :)

Sunil Deepak ने कहा…

धन्यवाद शिवम, मानसून नदी को ब्लाग बुलेटिन में जगह देने के लिए

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