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गुरुवार, 18 जून 2015

योग अब वैश्विक विरासत बन गया है

नमस्कार साथियो,
एक तरफ विश्व योग दिवस की जोर-शोर से चलती तैयारी और दूसरी तरफ उसके विरोध में उठते स्वर और इनके बीच आज की आपकी ब्लॉग बुलेटिन लेकर हम आये हैं. देश की सभ्यता संस्कृति का अंग माने जाने वाले ‘योग’ पर आज राजनीति हो रही है. एक पक्ष इसको सांप्रदायिक बताकर, हिन्दू धार्मिक क्रियाकलाप बताकर बदनाम करने की साजिश में लिप्त है. वास्तविकता से कहीं परे इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है कि विश्व योग दिवस न तो भाजपा का एजेंडा है, न ही हिंदुत्व का मुद्दा है और न ही मोदी की राजनीति बल्कि संयुक्त राष्ट्र संघ में किये गए मोदी जी के अनुरोध के बाद वहाँ से पारित कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम को चालीस से अधिक मुस्लिम देशों का भी समर्थन  प्राप्त हुआ था. इसका सीधा सा अर्थ है कि योग का किसी धार्मिक पद्धति से कोई लेना-देना नहीं है. 

योग के पूर्व किये जाने वाले सूर्य नमस्कार को लेकर भी किये जा रहे हंगामे को भी देखें तो ये भी मात्र विरोध के लिए किया जाने वाला विरोध है. किसी पर भी इसको करने का दबाव नहीं डाला जा रहा है और स्वयं केंद्र सरकार इस मामले में उदार रवैया अपनाये हुए है. जहाँ तक तमाम मुस्लिम संगठनों की बात है तो वे भूल जाते हैं कि सूर्य केवल हिन्दुओं का देव नहीं है वरन सम्पूर्ण सृष्टि का पालक है. हाँ, उए उदारमना सनातन संस्कृति की विशेषता रही है कि इसमें प्रकृति के कण-कण को देवतुल्य मानकर उसे पूजा गया है. सूर्य को हिंदुत्व का देवता घोषित कर सूर्य नमस्कार का विरोध करने वाले कट्टरपंथी मुस्लिम क्या चाँद, हवा, जल, वृक्ष आदि का भी त्याग करेंगे? आखिर ये भी तो हिन्दुओं के देवरूप में स्थापित हैं.

योग करने वाले २१ जून को योग करेंगे, न करने वाले कतई नहीं करेंगे; सूर्य नमस्कार करने वाले आज भी कर रहे हैं, न करने वाले उस दिन भी नहीं करेंगे मगर इस विरोध से एक बात स्पष्ट हो चुकी है कि आने वाले समय में इससे भी छोटी-छोटी बातों को विवाद का विषय बनाकर देश में हंगामा पैदा करने की कोशिश की जाया करेगी. धर्म-मजहब के नाम पर फसाद फ़ैलाने का काम किया जाया करेगा. समझना चाहिए कि योग के बहाने से सम्पूर्ण विश्व ने भारतीय संस्कृति को स्वीकार किया है और एक हम अपने देश में ही इसको लेकर आपस में टकराने को तैयार बैठे हैं.

बहरहाल ऊपर वाला (यदि कहीं कोई है तो) सबको सद्बुद्धि दे.... आज की ब्लॉग-बुलेटिन इस सन्देश को फ़ैलाने में सफल रहे तो ये भारतीय संस्कृति के संरक्षण-संवर्द्धन की दिशा में एक चल रहे महायज्ञ में एक आहुति होगी... शुभकामनाओं सहित, आज की बुलेटिन आपके सामने है...

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विश्व योग दिवस की तैयारी में भारत 














5 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सबसे पहले खुद की बुद्धि शुद्ध करने की जरूरत होने लगी है । बहुत सुंदर बुलेटिन सुंदर योग सूत्रों के साथ ।

राजीव कुमार झा ने कहा…

सुंदर सूत्रों से सजी बुलेटिन.
'देहात' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

योग दिवस का विरोध केवल राजनीतिक कारणों से हो रहा है ... पर उसे धार्मिक रंग मे रंगा गया है |

समसामयिक बुलेटिन राजा साहब ... आभार आपका |

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन राजा जी - जय हो

Unknown ने कहा…

achhi buletin..

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